इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने यूपीपीएससी मुख्य परीक्षा की अनुमति दी, लेकिन अपील पर निर्णय होने तक परिणाम घोषणा पर रोक लगाई

By Shivam Y. • September 27, 2025

शुक्रवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में नाटकीय मोड़ आया, जब न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी और न्यायमूर्ति अनीश कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने हज़ारों अभ्यर्थियों के हितों और चल रही कानूनी लड़ाई के बीच संतुलन साधने का प्रयास किया। मामला उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) की भर्ती प्रक्रिया से जुड़ा था, जिसमें प्रारंभिक परीक्षा के परिणाम तैयार करने के तरीके को लेकर पहले ही चुनौती दी जा चुकी थी।

पृष्ठभूमि

विवाद तब शुरू हुआ जब यूपीपीएससी ने सहायक अभियंता और अन्य समूह-ए व बी पदों के लिए 609 रिक्तियां निकालीं। प्रारंभिक परीक्षा के बाद केवल 7,358 अभ्यर्थियों को शॉर्टलिस्ट किया गया। याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि परिणाम त्रुटिपूर्ण है क्योंकि इसमें आरक्षित वर्ग के उन अभ्यर्थियों को ठीक से शामिल नहीं किया गया जिन्होंने सामान्य वर्ग की कट-ऑफ से अधिक अंक प्राप्त किए।

25 सितंबर को एकल पीठ ने याचिकाकर्ताओं से सहमति जताते हुए आयोग को मेरिट सूची दोबारा बनाने का आदेश दिया। अगर यह आदेश तुरंत लागू होता, तो 28 सितंबर को होने वाली मुख्य परीक्षा टल जाती, जिससे पहले ही एडमिट कार्ड और परीक्षा केंद्र प्राप्त कर चुके सात हज़ार से अधिक अभ्यर्थियों में अनिश्चितता फैल जाती।

अदालत की टिप्पणियाँ

यूपीपीएससी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी ने तात्कालिक सुनवाई पर जोर देते हुए कहा,

"मुख्य परीक्षा के लिए सारी तैयारियाँ पूरी हो चुकी हैं… अब किसी तरह का व्यवधान अराजक स्थिति पैदा करेगा।"

दूसरी ओर, याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक खरे ने आपातकालीन स्थिति को स्वीकार किया, लेकिन निष्पक्षता के सिद्धांत पर अडिग रहे।

खंडपीठ ने संतुलन की नाजुक स्थिति पर गौर किया। न्यायाधीशों ने टिप्पणी की,

"परीक्षा के अंतिम समय पर कोई भी व्यवधान हज़ारों अभ्यर्थियों के लिए भारी अराजकता और अन्याय का कारण बनेगा।" अदालत ने इशारा दिया कि बड़े पैमाने की प्रतियोगी परीक्षाओं में न्यायिक दखल को व्यावहारिक हकीकतों पर भी ध्यान देना चाहिए।

फैसला

अंततः खंडपीठ ने बीच का रास्ता निकाला। उसने यूपीपीएससी मुख्य परीक्षा को 28 सितंबर को तय कार्यक्रम के अनुसार आयोजित करने की अनुमति दी, लेकिन एक महत्वपूर्ण शर्त रखी परिणाम अपील के निपटारे तक घोषित नहीं होंगे। एकल पीठ का मेरिट सूची को दोबारा बनाने का आदेश फिलहाल स्थगित कर दिया गया है।

सरल भाषा में कहें तो, छात्र परीक्षा देंगे लेकिन उनका परिणाम अदालत के अगले आदेश पर निर्भर करेगा। अगली सुनवाई 7 अक्टूबर को होगी, जिसके लिए दोनों पक्षों को आपत्तियाँ दाखिल करने का निर्देश दिया गया है।

इस प्रकार अदालत ने फिलहाल के लिए विवाद को शांत किया है, लेकिन मेरिट सूची को लेकर अंतिम तस्वीर अभी भी अधर में है।

Case Title: Public Service Commission, U.P., Prayagraj through its Secretary vs. State of U.P. and 47 Others

Case Number: Special Appeal Defective No. 816 of 2025

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