सुप्रीम कोर्ट ने 2017 दुर्घटना मामले में ओडिशा DGP और ओरिएंटल इंश्योरेंस को "लापरवाही भरे रवैये" के लिए फटकार लगाई, 15 दिसंबर तक अनुपालन का तगड़ा आदेश

By Vivek G. • December 2, 2025

ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड बनाम टूनी पाटी और अन्य, सुप्रीम कोर्ट ने ओडिशा DGP और ओरिएंटल इंश्योरेंस को 2017 दुर्घटना मामले में लापरवाही पर फटकार लगाई; 15 दिसंबर तक व्यक्तिगत स्पष्टीकरण व अनुपालन का आदेश।

गुरुवार को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने एक मोटर दुर्घटना मुआवजा विवाद में ओडिशा पुलिस के शीर्ष अधिकारी और ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी-दोनों को ही सख्त लहजे में फटकार लगाई। सुनवाई के दौरान, जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस प्रसन्ना बी. वराले की पीठ ने कई मौकों पर नाराज़गी जताई, क्योंकि पहले दिए गए निर्देशों के अनुपालन पर कोर्ट संतुष्ट नहीं था।

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पृष्ठभूमि

यह मामला 2017 की एक दुर्घटना से जुड़ा है, जिसमें एक बोलेरो पिकअप वैन (OR-04-L-2555) शामिल थी। इस हादसे में मुआवज़ा राशि निर्धारित की गई थी, जिसे ओरिएंटल इंश्योरेंस ने चुनौती देते हुए कहा कि वाहन की पहचान संदिग्ध है।

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मई 2025 में सुप्रीम कोर्ट ने इंश्योरेंस कंपनी को निर्देश दिया था कि वह इंश्योरेंस इंफॉर्मेशन ब्यूरो (IIB) से रिकॉर्ड जुटाए। बाद में 6 मार्च को कोर्ट ने ओडिशा DGP को यह सत्यापित करने के लिए SIT गठित करने का आदेश दिया कि क्या वही वाहन दुर्घटना में शामिल था या कोई अन्य।

गुरुवार को दायर नवीनतम हलफ़नामे में राज्य ने बताया कि गवाहों, RTO रिकॉर्ड और राज्यभर की पुलिस रिपोर्टों की जांच के बाद निष्कर्ष यह है कि 19 अक्टूबर 2017 की दुर्घटना में वही बोलेरो वैन शामिल थी।

अदालत के अवलोकन

इन स्पष्ट निष्कर्षों के बावजूद, पीठ आधिकारिक एजेंसियों के व्यवहार से नाराज दिखी।

जब अदालत ने इंश्योरेंस कंपनी से पूछा कि IIB से जानकारी क्यों नहीं मिली, तो जवाब था-“हम अभी भी प्रयास कर रहे हैं।” यह सुनकर अदालत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी।

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पीठ ने कहा, “छह महीनों से अधिक समय बीत जाने के बाद भी ऐसी दलील अस्वीकार्य है।” कोर्ट ने टिप्पणी की कि कंपनी का रवैया भरोसा जगाने वाला नहीं है, खासकर जब उसने पुलिस को जांच के लिए ऐसे दस्तावेज सौंपे जो बिल्कुल अपठनीय थे।

कोर्ट ने ओडिशा पुलिस की SIT जांच पर भी तीखी टिप्पणी की। आदेश DGP को दिया गया था, लेकिन उन्होंने इसे एक डिप्टी एसपी को सौंप दिया, जिसने सतही रिपोर्ट जमा कर दी।

कोर्ट ने कहा कि यह व्यवहार “गंभीर लापरवाही” दर्शाता है, और पूछा कि DGP ने जांच की निगरानी क्यों नहीं की। राज्य पक्ष इस पर कोई संतोषजनक स्पष्टीकरण नहीं दे पाया।

पीठ ने स्पष्ट किया, “DGP व्यक्तिगत हलफ़नामा दाखिल कर बताएँ कि उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों न की जाए।”

इंश्योरेंस कंपनी को भी चेतावनी दी गई कि आगे कोई देरी बर्दाश्त नहीं होगी।

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निर्णय

अब मामला 15 दिसंबर 2025 को दोपहर 3:30 बजे आंशिक-श्रवण के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। अदालत ने निर्देश दिया:

  • ओडिशा DGP को अपना व्यक्तिगत शो-कॉज़ हलफ़नामा दाखिल करना होगा।
  • इंश्योरेंस कंपनी को भी लंबित सत्यापन पूरा कर रिपोर्ट दाखिल करनी होगी।
  • यदि अगली तारीख तक जांच पूरी नहीं हुई, तो अदालत “कड़ी कार्रवाई” करेगी।

सुनवाई समाप्त होने से पहले, कोर्ट ने मुआवज़े की राशि पर भी बात की। इंश्योरेंस कंपनी ने बताया कि उसने ₹39 लाख (मूल राशि) और ₹10 लाख (ब्याज) MACT, कटक में जमा कर दिए हैं। अब इसे दावेदार पक्ष द्वारा जांचा जाएगा।

अंत में अदालत ने आदेश दिया कि दावेदारों-जिन्हें पहले एक-चौथाई राशि जारी की गई थी-को अब अतिरिक्त एक-चौथाई मुआवज़ा भी MACT में जमा धन से जारी किया जाए। इसके बाद शेष मुद्दों को अगली सुनवाई तक स्थगित कर दिया गया।

Case Title: The Oriental Insurance Co. Ltd. vs. Tuni Pati & Others

Case No.: SLP (C) No. 5582 of 2023

Case Type: Special Leave Petition (Civil) arising from Motor Accident Compensation Appeal

Decision / Order Date: 27 November 2025

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