बुधवार को गुजरात हाई कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान अदालत ने 22 वर्षीय तात्या प्रज्ञेशभाई पटेल को उन गंभीर आरोपों से राहत देने से इनकार कर दिया, जिनका सामना वह इस्कॉन ब्रिज दुर्घटना के मामले में कर रहे हैं, जिसमें नौ लोगों की मौत हो गई थी और कई घायल हुए थे। न्यायमूर्ति पी. एम. रावल ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि रिकॉर्ड पर रखी गई सामग्री “सेक्शन 304 पार्ट II के तहत एक मजबूत प्रथमदृष्टया मामला” दर्शाती है, जो हत्या न होकर भी मृत्यु कारक अपराध (कुल्पेबल होमिसाइड) से संबंधित है।
पृष्ठभूमि
यह घटना 20 जुलाई 2023 की देर रात की है। आरोप है कि पटेल अपनी जैगुआर कार को लगभग 130 किमी/घंटा की रफ्तार से चला रहे थे, जब वाहन इस्कॉन ब्रिज पर पहले से हुए एक एक्सीडेंट को देखने के लिए जमा पुलिसकर्मियों और लोगों की भीड़ पर चढ़ गया। नौ लोगों की मौके पर मौत हो गई और एक दर्जन से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हुए। केस रिकॉर्ड के अनुसार, उनके सहयात्रियों ने उन्हें गति कम करने के लिए कहा था, लेकिन जैसा कि अदालत ने नोट किया, यह अनुरोध “उनके कानों पर नहीं चढ़ा।”
पटेल और उनके पिता प्रज्ञेश हर्षदभाई पटेल ने ट्रायल कोर्ट द्वारा डिस्चार्ज न देने के आदेश को चुनौती देते हुए संशोधन आवेदन दायर किए थे। इनमें मौत का कारण बनना, हत्या का प्रयास, लापरवाही से गाड़ी चलाना और मोटर वाहन अधिनियम से जुड़े आरोप शामिल थे।
अदालत की टिप्पणियाँ
न्यायमूर्ति रावल ने सबूतों जैगुआर के स्पीड-डेटा, फोरेंसिक रिपोर्ट और गवाहों के बयान का विस्तार से परीक्षण किया। पीठ ने टिप्पणी की, “यदि वाहन अत्यधिक गति में और इस तरह चलाया जाए कि चालक को मृत्यु की आशंका का ज्ञान हो, और फिर भी वह ऐसा करता रहे, तो सेक्शन 304 पार्ट II की धाराएँ लागू होती हैं।”
जज ने यह भी स्पष्ट किया कि यह साधारण लापरवाही का मामला नहीं है। रफ्तार, रात का समय, धुंधले शीशों वाली कार, दृश्यता की समस्या और सहयात्रियों की चेतावनियों की अनदेखी-इन सभी ने मिलकर मामला और गंभीर बनाया। पुराने फैसलों पर निर्भर होकर कम गंभीर धारा लगाने का आग्रह, अदालत के अनुसार, “इस मामले के विशिष्ट तथ्यों को नजरअंदाज” कर देता है।
रक्षा पक्ष का तर्क था कि पटेल के पास ज्ञान नहीं था जबकि यह धारा 304 पार्ट II का मुख्य तत्व है। न्यायमूर्ति रावल इससे सहमत नहीं हुए और बोले कि शहर के फ्लायओवर पर 130 किमी/घंटा की गति से वाहन दौड़ाने वाला चालक “यह दावा नहीं कर सकता कि उसे किसी परिणाम की उम्मीद नहीं थी।”
पिता के संबंध में अदालत का रुख अलग रहा। रिकॉर्ड से पता चलता है कि वह दुर्घटना के बाद मौके पर पहुंचे, झगड़ा किया, धमकी दी और अपने बेटे को वहाँ से ले गए। लेकिन अदालत ने कहा कि यह व्यवहार हत्या या गंभीर ड्राइविंग अपराधों में उकसावे (abetment) के बराबर नहीं आता। अदालत के अनुसार, “अधिकतम, यह डराने-धमकाने और अपमान से जुड़े अपराधों को आकर्षित करता है।”
निर्णय
अंतिम आदेश में हाई कोर्ट ने तात्या पटेल की डिस्चार्ज याचिका खारिज करते हुए कहा कि उन पर सेक्शन 304 पार्ट II और सेक्शन 308 सहित अन्य आरोपों के तहत मुकदमा चलेगा। वहीं पिता को आंशिक राहत मिली अदालत ने उन्हें लापरवाही, कुल्पेबल होमिसाइड और मोटर वाहन अधिनियम से जुड़े आरोपों से मुक्त कर दिया, लेकिन धमकी और संबंधित अपराधों की धाराएँ जारी रखने का आदेश दिया।
अब मामला ट्रायल कोर्ट वापस जाएगा, और हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि निचली अदालत को यह मुकदमा स्वतंत्र रूप से और इन प्रारंभिक टिप्पणियों से प्रभावित हुए बिना चलाना होगा।
Case Title: Tathya Pragneshbhai Patel vs. State of Gujarat
Case Type: Criminal Revision Application No. 1406/2023
Date of Judgment: 03 December 2025









