ग्वालियर स्थित मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की पीठ ने सोमवार को विंडसर हिल टाउनशिप मामले में आरोपी अंकित रंजन को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया। अदालत ने कहा कि आरोप लगभग ₹60 करोड़ की गंभीर आर्थिक अनियमितता की ओर इशारा करते हैं। मामला न्यायमूर्ति मिलिंद रमेश फड़के के समक्ष आया। सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों ने तथ्यों और आंकड़ों को लेकर जोरदार दलीलें रखीं और कोर्ट का माहौल भी काफी गंभीर रहा।
पृष्ठभूमि
यह मामला वर्ष 2017 में सिविल लाइन थाना सिओल, ग्वालियर में दर्ज एफआईआर से जुड़ा है, जो एशोटेक सी.पी. इन्फ्रास्ट्रक्चर के निदेशक राजीव श्रीवास्तव की शिकायत पर दर्ज की गई थी। शिकायत के अनुसार, विंडसर हिल परियोजना में फ्लैट, विला और प्लॉट बेचे गए, लेकिन बिक्री से प्राप्त राशि कंपनी के खाते में जमा नहीं कराई गई।
अंकित रंजन ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 482 के तहत हाईकोर्ट का रुख करते हुए गिरफ्तारी से संरक्षण की मांग की थी। उनके वकील का कहना था कि रंजन न तो कंपनी के निदेशक थे और न ही परियोजना के प्रबंधन से जुड़े थे, फिर भी उन्हें “अस्पष्ट और सामान्य आरोपों” के आधार पर फंसाया जा रहा है। बचाव पक्ष ने एक पुलिस जांच रिपोर्ट का भी हवाला दिया, जिसमें कथित तौर पर उनके खिलाफ गबन के कोई साक्ष्य नहीं पाए गए थे।
वहीं, राज्य सरकार ने बिल्कुल उलट तस्वीर पेश करते हुए दावा किया कि रंजन मुख्य आरोपी मनोज श्रीवास्तव और अन्य लोगों के साथ एक बड़ी साजिश का हिस्सा थे।
न्यायालय की टिप्पणियां
केस डायरी और बैंक रिकॉर्ड देखने के बाद अदालत ने पाया कि आरोपी से जुड़े खातों के माध्यम से बड़ी मात्रा में धन का लेन-देन हुआ, जो उसकी घोषित आय से कहीं अधिक था। “पीठ ने टिप्पणी की कि बार-बार बड़ी रकम जमा होना और फिर तुरंत अन्य खातों में ट्रांसफर किया जाना इस स्तर पर सामान्य या निर्दोष नहीं माना जा सकता।”
अदालत ने उन आरोपों पर भी ध्यान दिया, जिनमें कहा गया कि फ्लैट पहले कम कीमत पर रिश्तेदारों या शेल कंपनियों के नाम बेचे गए और फिर थोड़े समय में अधिक कीमत पर दोबारा बेचे गए, जबकि अतिरिक्त राशि कंपनी के खाते में नहीं पहुंची। न्यायमूर्ति फड़के ने कहा कि यदि ये आरोप सही पाए जाते हैं, तो मामला केवल दीवानी विवाद नहीं रह जाता, बल्कि इसमें योजना और आपराधिक मंशा नजर आती है।
अदालत ने साधारण शब्दों में यह भी कहा कि सार्वजनिक धन से जुड़े आर्थिक अपराध समाज में भरोसे को प्रभावित करते हैं और इसलिए ऐसे मामलों में जमानत पर विचार करते समय विशेष सावधानी जरूरी है।
निर्णय
यह कहते हुए कि जांच अभी जारी है और कई सह-आरोपी अभी तक पकड़े नहीं गए हैं, हाईकोर्ट ने माना कि इस स्तर पर अग्रिम जमानत देने से निष्पक्ष जांच प्रभावित हो सकती है। अदालत ने इस दलील को भी स्वीकार नहीं किया कि मामला केवल दीवानी प्रकृति का है और कहा कि कथित धोखाधड़ी की गंभीरता और पैमाने को देखते हुए सतर्क रुख अपनाना जरूरी है।
इन सभी तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने अंकित रंजन की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी।
Case Title: Ankit Ranjan vs State of Madhya Pradesh
Case No.: Misc. Criminal Case No. 54935 of 2025
Case Type: Anticipatory Bail Application (Economic Offence / Criminal)
Decision Date: 16 December 2025