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मोटर दुर्घटना दावे
मोटर दुर्घटना दावे: MACT हेतु हिंदी टेम्पलेट—धारा 140/166 दावा, उपेक्षा से क्षतिपूर्ति वाद, रेल‑सड़क चोट वाद, ट्रैफिक धाराओं 177–199/201/208 के आवेदन सहित.
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Quick Overview
All templates are provided for reference and should be reviewed by legal professionals before use.
Frequently Asked Questions
Common questions about मोटर दुर्घटना दावे legal templates
इस ‘मोटर दुर्घटना दावे’ पेज पर क्या‑क्या टेम्पलेट उपलब्ध हैं?
MACT के लिए आवेदनपत्र, धारा 140 (नो‑फॉल्ट) और 166 (दोष आधारित) के संयुक्त/अलग प्रार्थना पत्र, उपेक्षा से वाहन चलाने पर क्षतिपूर्ति वाद, रेल‑सड़क दुर्घटना चोट वाद, और मोटर वाहन अधिनियम की धाराएँ 177–199/201/208 के अंतर्गत आवेदन प्रारूप.
धारा 140 और धारा 166 में क्या अंतर है?
धारा 140 ‘नो‑फॉल्ट’ आधार पर त्वरित अंतरिम मुआवजा देती है, जिसमें गलती सिद्ध करना आवश्यक नहीं; धारा 166 में उपेक्षा/दोष सिद्ध कर व्यापक क्षतिपूर्ति (आय हानि, उपचार, विकलांगता, निर्भरजन) मांगी जाती है.
MACT दावा दायर करने के लिए मुख्य दस्तावेज कौन‑से हैं?
FIR/क्राइम डिटेल्स, साइट प्लान/पंचनामा, MLC/डिस्चार्ज समरी/बिल्स, विकलांगता प्रमाणपत्र, आय/रोजगार/कर रिकॉर्ड, वाहन RC/इंश्योरेंस पॉलिसी/DL विवरण, और गवाहों की सूची.
उपेक्षा पूर्वक वाहन चलाने पर क्षतिपूर्ति वाद कैसे ड्राफ्ट करें?
दुर्घटना का तिथिवार विवरण, चालक की लापरवाही के तथ्य, चोट/नुकसान का चिकित्सा और खर्च प्रमाण, आय हानि/भविष्यगत नुकसान का आकलन, और बीमाकर्ता/मालिक/चालक को उचित पक्षकार बनाकर प्रार्थनाएँ जोड़ें.
रेल‑सड़क क्रॉसिंग दुर्घटनाओं में दावा कैसे संरचित करें?
क्रॉसिंग की स्थिति, संकेत/गेटिंग/चेतावनी में कमियाँ, संबंधित प्राधिकरण/ऑपरेटर की लापरवाही, चिकित्सा/आर्थिक नुकसान, और दायित्व निर्धारण के लिए साक्ष्य के साथ क्षतिपूर्ति की प्रार्थना करें.
धारा 177–199 और 201/208 के आवेदन कब उपयोगी हैं?
ये धाराएँ विभिन्न ट्रैफिक अपराध/दंड से संबंधित हैं; चालान/जुर्माना/प्रोसीक्यूशन संबंधी राहत, समन/बॉन्ड, या प्रक्रिया‑संबंधी अनुरोधों के लिए दिए गए आवेदन प्रारूप प्रयोग करें.
MACT में क्षतिपूर्ति की गणना किन मदों पर होती है?
उपचार व्यय, आय हानि (अस्थायी/स्थायी), भविष्यगत आय क्षमता में कमी, दर्द‑कष्ट, परिवहन/पोषण/अटेंडेंट, कृत्रिम अंग/रिहैब, और मृत्यु मामलों में निर्भरजनों के लिए आर्थिक व सहायक मद.
क्या धारा 140 के तहत अंतरिम राशि और धारा 166 का दावा साथ‑साथ हो सकता है?
हाँ, आमतौर पर धारा 140 के तहत अंतरिम मुआवजा मांगकर, बाद में धारा 166 में अंतिम क्षतिपूर्ति का विस्तृत दावा किया जाता है; अंतरिम राशि अंतिम अवॉर्ड से समायोजित हो सकती है.
बीमा कंपनी को पक्षकार बनाते समय क्या ध्यान रखें?
पॉलिसी विवरण/वैधता, R.C./DL वैधता, नोटिस/इंटिमेशन की तिथि, कवरेज/अपवाद, और बचाव (breach) से संबंधित तथ्यों का सही उल्लेख करें; उचित जुरिस्डिक्शन और फोरम चुनें.
ड्राफ्टिंग के व्यावहारिक टिप्स क्या हैं?
तिथिवार घटनाक्रम दें, सभी पक्षकार सही नाम/पते सहित जोड़ें, नुकसान का प्रमाण संलग्न करें, चिकित्सा व आय के दस्तावेज paginate करें, ब्याज/अंतरिम राहत स्पष्टीकरण सहित मांगे, और सत्यापन/हलफनामा संलग्न करें.