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उपभोक्ता संरक्षण निर्देशिका में हिंदी टेम्पलेट्स: धारा 25 प्रवर्तन, धारा 27 दण्ड, धारा 19 अपील (राज्य/राष्ट्रीय आयोग), परिवाद/उत्तर के प्रारूप, तथा ऑर्डर 37 CPC के अंतर्गत राशि वसूली के वाद के नमूने।
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Quick Overview
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FAQs
धारा 25 के अंतर्गत क्या राहत मिलती है?
धारा 25 (उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986) के तहत फोरम/आयोग अपने आदेशों का प्रवर्तन कर सकता है—अमान्यता पर संपत्ति कुर्की, 3 महीने तक कुर्की, निरंतर उल्लंघन पर संपत्ति विक्रय व वादकारी को क्षति-पूर्ति; तथा बकाया राशि की वसूली कलेक्टर द्वारा भू-राजस्व बकाये की तरह करवाई जाती है[12].
धारा 27 के अंतर्गत क्या कार्यवाही होती है?
धारा 27 के तहत आदेश का पालन न करने पर दंडात्मक कार्रवाई (जेल/जुर्माना) की जा सकती है; धारा 27 के आदेशों के खिलाफ धारा 27-A के तहत अपील का प्रावधान है, पर धारा 25 के निष्पादन आदेश पर 27-A में अपील का आधार नहीं है[9][4].
धारा 19 के तहत अपील कब और कहाँ दायर होती है?
राज्य आयोग के आदेश से आहत पक्ष 30 दिनों में राष्ट्रीय आयोग में धारा 19 के अंतर्गत अपील दायर कर सकता है; विलंब पर पर्याप्त कारण होने पर विलंब-क्षमा सम्भव है; कुछ मामलों में पूर्व-डिपॉजिट की शर्त भी लागू होती है[8][14].
ऑर्डर 37 CPC के अंतर्गत राशि वसूली का वाद कब दायर करें?
जहाँ लिखित अनुबंध/प्रॉमिसरी नोट/बिल ऑफ एक्सचेंज जैसे दस्तावेजों पर आधारित निश्चित धनराशि की वसूली हो, वहाँ समरी सूट (ऑर्डर XXXVII CPC) त्वरित उपाय है; प्रतिवादी को ‘लीव टू डिफेंड’ लेना पड़ता है, वरना डिक्री हो सकती है[7][20][13].
धारा 25 के निष्पादन आदेश के विरुद्ध अपील संभव है?
धारा 27-A की भाषा केवल धारा 27 के आदेशों पर अपील देती है; धारा 25 के आदेशों पर 27-A के तहत अपील सामान्यतः विचारणीय नहीं मानी जाती, हालांकि आयोगों के दृष्टिकोण में कभी-कभी असंगति देखी गई है[4][9].