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पराक्रम्य लिखित अधिनियम
पराक्रम्य लिखित अधिनियम (NI Act) निर्देशिका: धारा 138/142 के तहत चेक बाउंस परिवाद का हिंदी ड्राफ्ट, ‘जवाबदावा’ रिप्लाई फॉर्मेट, किरायेदार से बकाया किराया वसूली के वाद, तथा साझेदारी/फर्म भंग और लेखा‑जोखा से संबंधित दीवानी वाद के नमूने।
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Quick Overview
All templates are provided for reference and should be reviewed by legal professionals before use.
Frequently Asked Questions
Common questions about पराक्रम्य लिखित अधिनियम legal templates
इस पेज पर कौन‑कौन से ड्राफ्ट उपलब्ध हैं?
धारा 138/142 NI Act के तहत चेक बाउंस परिवाद, पराक्रम्य लिखत अधिनियम 1881 संदर्भ दस्तावेज, ‘जवाबदावा’ (रिप्लाई) फॉर्मेट, किरायेदार से बकाया किराया वसूली का वाद, तथा साझेदारी/फर्म के भंग और लेखा‑जोखा हेतु वाद के नमूने।
धारा 138 चेक बाउंस परिवाद दाखिल करने की बुनियादी शर्तें क्या हैं?
चेque प्रस्तुति वैधता अवधि में, अनादर मेमो की तिथि से 30 दिन के भीतर डिमांड नोटिस, नोटिस की सेवा से 15 दिन में भुगतान न होना, और कारण‑ए‑कार्रवाई उत्पन्न होने के 1 माह में परिवाद दाखिल (धारा 142) करना।
धारा 142 के तहत संज्ञान और लिमिटेशन कैसे लागू होती है?
केवल पेयी/होल्डर इन ड्यू कोर्स या अधिकृत प्रतिनिधि परिवाद दाखिल कर सकते हैं; कोर्ट सीमित अवधि में दायर परिवाद पर संज्ञान लेता है, विलंब पर ‘सुफिशिएंट कॉज़’ दिखाकर कंडोनेशन मांगी जा सकती है।
किराया बकाया के लिए NI Act का सहारा या दीवानी वाद—कब क्या करें?
यदि किराया चेक से भुगतान तय था और चेक बाउंस हुआ है तो धारा 138 का उपाय उपलब्ध हो सकता है; अन्यथा सामान्यतः दीवानी वाद/किराया नियंत्रण कानूनों के अंतर्गत वसूली/बेदखली उपयुक्त रहती है।
‘जवाबदावा’ ड्राफ्ट का उपयोग कैसे करें?
यह सामान्य रिप्लाई/लिखित उत्तर का फॉर्मेट है—पैरावार खंडन, प्रारंभिक आपत्तियाँ (जुरिस्डिक्शन, लिमिटेशन, maintainability), तथा दस्तावेज़ों का संदर्भ देकर उपयोग करें।
साझेदारी फर्म भंग और लेखा‑जोखा वाद में क्या प्रमुख प्रार्थनाएँ रखें?
फर्म का विघटन घोषित करना, रिसीवर/परिसंपत्तियों की सुरक्षा, खातों का अंतिम मिलान, देनदारियों का निपटान/वितरण, और आवश्यक अंतरिम आदेश (इंजंक्शन/खाता प्रस्तुत) की मांग।
NI Act 138 परिवाद के साथ कौन से दस्तावेज़ संलग्न करें?
मूल चेक/कॉपी, बैंक रिटर्न मेमो, डिमांड लीगल नोटिस की कॉपी और सेवा प्रमाण (पोस्टल/कूरियर/ट्रैक), लेन‑देन का आधार/इनवॉइस/एग्रीमेंट, और प्राधिकरण पत्र (यदि कंपनी/फर्म)।
क्या 138 केस में समन ट्रायल प्रक्रिया लागू होती है?
हाँ, सामान्यतः समन्स केस की तरह त्वरित/संक्षिप्त प्रक्रिया; प्री‑समन्स एफ़िडेविट‑एविडेंस, प्री‑समन्स स्टेटमेंट, और बाद में क्रॉस‑एग्ज़ामिनेशन/डिफेंस एविडेंस।
कंपनी/फर्म के खिलाफ 138 में किन्हें आरोपी बनाया जाए?
कंपनी/फर्म के साथ वे व्यक्ति जो धारा 141 के तहत ‘इन‑चार्ज एंड रिस्पॉन्सिबल’ थे; अधिकरण/बोर्ड रेज़ोल्यूशन/ऑथराइजेशन का ध्यान रखें।
ड्राफ्ट भरते समय व्यावहारिक टिप्स?
तिथिवार घटनाक्रम, वैधानिक टाइमलाइन का अनुपालन, राशि/ब्याज का स्पष्ट हिसाब, क्षेत्राधिकार का आधार, और सभी संलग्नकों की क्रमांकित सूची/सत्यापन जोड़ें।