Logo
Court Book - India Code App - Play Store

advertisement

विवाह विषयकमुस्लिम विवाह अधिनियम - Legal Drafting in Hindi

डाउनलोड करें 6+ विवाह विषयक मुस्लिम विवाह अधिनियम अंतर्गत कानूनी प्रारूप — मेहर और दहेज की वसूली के लिए वाद, मृत्यु के उपरांत कानूनी वारिसों पर दावा, तलाक/विवाह विघटन के बाद दावा प्रारूप।

advertisement

Quick Overview

विवाह विषयक मुस्लिम विवाह अधिनियम दस्तावेज संग्रह में 6 आवश्यक कानूनी प्रारूप शामिल हैं जो मेहर और दहेज की वसूली के दावों के लिए बनाए गए हैं। इनमें तुरंत मेहर, विवाह के विघटन के बाद, तथा मृत पति या पत्नी के कानूनी वारिसों के विरुद्ध दहेज और मेहर की वसूली के वाद शामिल हैं। ये प्रारूप मुस्लिम पर्सनल लॉ और सिविल प्रक्रिया संहिता के अनुरूप तैयार किए गए हैं, जिससे फैमिली कोर्ट या सिविल कोर्ट में दावा करना सरल हो जाता है।

All templates are provided for reference and should be reviewed by legal professionals before use.

FAQs

मुस्लिम विवाह अधिनियम के अंतर्गत मेहर क्या है?

मेहर वह धनराशि है जो विवाह अनुबंध में पति द्वारा पत्नी को देने का वादा किया जाता है, जो विवाह के समय या बाद में दी जा सकती है।

तुरंत मेहर (Prompt Dower) की वसूली कब की जा सकती है?

तुरंत मेहर शादी के बाद पत्नी द्वारा किसी भी समय मांगा जा सकता है; इसके भुगतान पर विवाहिक सहवास शर्त नहीं है।

विवाह के विघटन के बाद दहेज की वसूली कैसे की जाती है?

विवाह टूटने के बाद पत्नी अदालत में वाद दाखिल कर पति से प्राप्त दहेज या उसकी रकम की वापसी की मांग कर सकती है।

मृत पति के कानूनी वारिसों के विरुद्ध मेहर/दहेज वसूली का दावा कब होता है?

जब पति की मृत्यु हो चुकी हो और मेहर या दहेज का भुगतान न हुआ हो, तब पत्नी या उसके कानूनी वारिस मृत पति के वारिसों पर वसूली का दावा कर सकते हैं।

विवाह विच्छेदन के बाद मेहर वसूली का दावा कैसे करें?

तलाक या न्यायिक अलगाव के उपरांत, तयशुदा मेहर राशि की वसूली के लिए फैमिली कोर्ट या सिविल कोर्ट में वाद दाखिल करें।

दहेज वसूली वाद में क्या-क्या दस्तावेज लगाने चाहिए?

विवाह प्रमाण पत्र/निकाहनामा, दहेज सूची, गवाहों के बयान, भुगतान से संबंधित रसीदें और अन्य सहायक प्रमाण।

क्या मुस्लिम विवाह अधिनियम में महिला के दहेज अधिकार सुरक्षित हैं?

हाँ, कोर्ट के माध्यम से महिला को दहेज और मेहर की रकम वसूलने का अधिकार प्राप्त है।

वाद दाखिल करने की समयसीमा क्या होती है?

सीमांकन अधिनियम के अनुसार, सामान्यतः वसूली के अधिकार उत्पन्न होने से 3 वर्ष के अंदर वाद दाखिल करना चाहिए।

इन प्रारूपों को कौन प्रयोग कर सकता है?

वकील, प्रभावित पत्नी या उसके वारिस, और फैमिली कोर्ट में पक्षकार।

क्या ये प्रारूप पूरे भारत में मान्य हैं?

हाँ, मुस्लिम पर्सनल लॉ से संबंधित होने के कारण ये प्रारूप पूरे भारत में लागू होते हैं, लेकिन राज्य के अनुसार प्रक्रियात्मक बदलाव हो सकते हैं।