बॉम्बे हाई कोर्ट ने गुरुवार को यह स्पष्ट किया कि मानहानि के मामले में मुकदमा उसी जगह दायर किया जा सकता है जहाँ व्यक्ति की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचा हो, खासकर जब आरोप सोशल मीडिया या इंटरनेट के जरिए फैलाए गए हों। न्यायमूर्ति संदीप वी. मर्णे ने कहा कि यदि किसी की प्रतिष्ठा मुंबई में प्रभावित होती है, तो वह मुंबई में ही मानहानि का मुकदमा दायर कर सकता है, भले ही बयान कहीं और दिया गया हो।
पृष्ठभूमि
यह मामला महाराष्ट्र स्टेट वक्फ बोर्ड के चेयरमैन समीअर गुलामनबी काज़ी से जुड़ा है। काज़ी ने आरोप लगाया कि दो व्यक्तियों ने उनके खिलाफ सोशल मीडिया वीडियो, प्रेस बातचीत और अन्य ऑनलाइन पोस्ट्स के माध्यम से मानहानिकारक बयान दिए। ये वीडियो और बयान पुणे और औरंगाबाद से जारी किए गए, लेकिन काज़ी का कहना है कि ये सामग्री मुंबई में भी व्यापक रूप से देखी और साझा की गई।
प्रतिवादियों ने दलील दी कि काज़ी औरंगाबाद में रहते हैं और सामग्री भी वहीं से डाली गई, इसलिए बॉम्बे हाई कोर्ट इस मामले की सुनवाई नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि यदि मुकदमा मुंबई में दायर करना है, तो क्लॉज 12 लीव (विशेष अनुमति) लेना आवश्यक है।
अदालत के अवलोकन
न्यायमूर्ति मर्णे ने स्पष्ट किया कि मानहानि से जुड़े मामलों में सीपीसी की धारा 19 लागू होती है, जिसके तहत मुकदमा उस स्थान पर दायर किया जा सकता है जहाँ या तो प्रतिवादी रहता है या जहाँ नुकसान महसूस हुआ हो।
अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि प्रतिष्ठा को नुकसान सिर्फ उस स्थान तक सीमित नहीं है जहाँ बयान दिया गया:
“पीठ ने कहा, ‘जहाँ मानहानि का प्रभाव पड़ता है, वही स्थान अधिकार क्षेत्र निर्धारित करने के लिए पर्याप्त है।’”
न्यायालय ने माना कि वक्फ बोर्ड का मुख्य कार्यालय मुंबई में है और सामग्री मुंबई के लोगों के लिए सुलभ थी, इसलिए प्रतिष्ठा को नुकसान मुंबई में भी हुआ।
महत्वपूर्ण बात यह कि क्लॉज 12 अनुमति सिर्फ उन मामलों में आवश्यक होती है जहाँ अधिकार क्षेत्र कार्रवाई के हिस्से पर आधारित होता है। लेकिन मानहानि के मामले धारा 19 के अंतर्गत आते हैं, इसलिए कोई अनुमति आवश्यक नहीं।
निर्णय
अदालत ने प्रतिवादी की आपत्ति को खारिज करते हुए कहा कि बॉम्बे हाई कोर्ट को इस मानहानि मामले की सुनवाई करने का अधिकार है। पहले से लागू अंतरिम आदेश (मानहानिकारक सामग्री के आगे प्रसार पर रोक) को बरकरार रखा गया।
मामले की अगली सुनवाई 3 नवंबर 2025 को होगी।
लेख यहीं समाप्त होता है।
Case Title: Sameer Gulamnabi Kazi v. Ruhinaz Shakil Shaikh & Others
Case Type: Defamation Suit – Interim Application
Court: Bombay High Court (Original Civil Jurisdiction)
Coram: Justice Sandeep V. Marne
Decision Date: 16 October 2025