सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व में कथित अवैध निर्माण और पेड़ों की कटाई पर जारी अपने निरीक्षण के बीच हुई एक घटनाक्रम पर कड़ी नाराज़गी व्यक्त की। पीठ, जिसकी अध्यक्षता मुख्य न्यायाधीश कर रहे थे, तब स्पष्ट रूप से असंतुष्ट दिखी जब यह सामने आया कि जांच के दायरे में आए एक वरिष्ठ वन अधिकारी ने अभियोजन स्वीकृति को चुनौती देने के लिए चुपचाप उत्तराखंड हाई कोर्ट का रुख किया - जबकि यह मामला पहले से ही सुप्रीम कोर्ट में लंबित था।
पृष्ठभूमि
यह मामला लंबे समय से चल रहे टी.एन. गोडावर्मन वन संरक्षण प्रकरण से जुड़ा है, जिसमें कोर्ट कॉर्बेट क्षेत्र में कथित अनधिकृत निर्माण और वन भूमि के दुरुपयोग की जांच कर रही है। पहले, उत्तराखंड हाई कोर्ट ने सीबीआई जांच का आदेश दिया था, जिसके बाद एजेंसी ने एफआईआर दर्ज की।
ज्यादातर अधिकारियों के खिलाफ राज्य सरकार ने अभियोजन की अनुमति दे दी थी, लेकिन एक अधिकारी - श्री राहुल, भारतीय वन सेवा के अधिकारी - के मामले में देरी हुई।
8 सितंबर 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि आख़िर इस अधिकारी को “विशेष छूट” क्यों दी जा रही है। इसके तुरंत बाद 16 सितंबर को इस अधिकारी के खिलाफ अभियोजन की अनुमति जारी की गई। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत होने के बजाय, अधिकारी ने उत्तराखंड हाई कोर्ट में अलग से याचिका दायर की, जिसने इस अनुमति पर रोक लगा दी।
कोर्ट की टिप्पणियाँ
पीठ ने इस घटनाक्रम को बेहद गंभीर बताया।
पीठ ने कहा “जब यह मामला पहले से इस कोर्ट के विचाराधीन है, तब किसी अन्य संवैधानिक अदालत में जाकर वहां से राहत लेना, मौजूदा कार्यवाही में हस्तक्षेप के समान है।”
कोर्ट ने यह भी उल्लेख किया कि श्री राहुल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही लगातार देख रहे थे। इसका अर्थ यह है कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट में ही राहत लेने का पूरा अवसर था, लेकिन उन्होंने हाई कोर्ट जाकर एक समानांतर रास्ता चुना।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि हाई कोर्ट “निम्न” नहीं है, लेकिन न्यायिक अनुशासन यह कहता है कि जब कोई मुद्दा सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित हो, तो दो अदालतों की समानांतर कार्यवाही से बचना चाहिए।
कोर्ट इस बात से भी असंतुष्ट थी कि हाई कोर्ट ने अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई का उल्लेख तक नहीं किया।
निर्णय
सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट में लंबित याचिका को अपने पास स्थानांतरित कर लिया, यह निर्देश दिया कि सभी रिकॉर्ड तत्काल सुप्रीम कोर्ट को भेजे जाएँ, और हाई कोर्ट द्वारा दी गई रोक को निलंबित कर दिया।
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इसके साथ ही, अदालत ने श्री राहुल को नोटिस जारी किया, उन्हें 11 नवंबर 2025 को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने और यह बताने का निर्देश दिया कि क्यों न उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू की जाए।
मामला अब सीधे सुप्रीम कोर्ट के समक्ष ही आगे बढ़ेगा।
कार्यवाही समाप्त होकर अगली सुनवाई 11 नवंबर 2025 तय की गई।
Case: Supreme Court recalls Uttarakhand High Court proceedings and issues contempt notice to forest officer in Corbett illegal construction inquiry










