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कंपनीज एक्ट

Templates•5 documents available

कंपनीज एक्ट पेज: 433/434 नोटिस, 439 के तहत वाइंडिंग‑अप याचिका, अस्थायी परिसमापक नियुक्ति, परिसंपत्तियों के हस्तांतरण पर रोक और पेटिशन नोटिस के हिंदी टेम्पलेट्स.

अस्थाई परिसमापक की नियुक्ति के लिए प्रार्थना पत्रDOCX
उत्तरदाता कम्पनी को अपनी परिसम्पत्तियों को विक्रय करने या हस्तान्तरित करने से रोकने के लिए प्रार्थना पत्रDOCX
कम्पनीज एक्ट 1956 की धारा 433 सपठित धारा 434 के अन्तर्गत नोटिसDOCX
कम्पनीज एक्ट 1956 की धारा 433 सपठित धारा 439 के अन्तर्गत उत्तर दाता की कम्पनी को बन्द करने हेतु याचिकाDOCX
पेटिशन का नोटिसDOCX

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Quick Overview

इस कंपनीज एक्ट पेज में 1956 अधिनियम की धारा 433/434 नोटिस, 439 के तहत वाइंडिंग‑अप याचिका, अस्थायी परिसमापक नियुक्ति, संपत्तियों के विक्रय/हस्तांतरण पर रोक के लिए अंतरिम प्रार्थना तथा पेटिशन नोटिस के हिंदी ड्राफ्ट शामिल हैं. नवीन व्यवस्था के अनुसार ‘देयता न चुकाने’ वाले मामले IBC 2016 के अधीन जाते हैं, जबकि अन्य वाइंडिंग‑अप आधार Companies Act, 2013 के Chapter XX के अंतर्गत NCLT में संचालित होते हैं—साथ ही Rule 14 एवं WIN‑फॉर्म्स के अनुरूप अस्थायी परिसमापक की नियुक्ति प्रक्रिया भी परिलक्षित है.

All templates are provided for reference and should be reviewed by legal professionals before use.

Frequently Asked Questions

Common questions about कंपनीज एक्ट legal templates

धारा 433/434 के तहत ‘वाइंडिंग‑अप’ नोटिस का उद्देश्य क्या है?

कंपनी की ‘देयता चुकाने में असमर्थता’ दर्शाने हेतु वैधानिक मांग भेजना; 3 सप्ताह तक भुगतान/सुरक्षा/समझौता न होने पर देनदारी के आधार पर वाइंडिंग‑अप याचिका दायर करने का अधिकार बनता है.

धारा 439 के अंतर्गत वाइंडिंग‑अप याचिका किन आधारों पर दायर होती है?

1956 कानून में 433 की स्थितियों पर, विशेषकर 433(e) असमर्थता/देयता न चुकाने पर; याचिका दाखिल कर हाई कोर्ट/अब ट्रिब्यूनल से कंपनी को बंद करने का आदेश मांगा जाता है.

Companies Act, 2013 में वाइंडिंग‑अप की वर्तमान स्थिति क्या है?

2013 अधिनियम के Chapter XX के तहत NCLT वाइंडिंग‑अप देखता है; ‘inability to pay debts’ का आधार IBC 2016 में स्थानांतरित हो चुका है, जबकि अन्य आधार s271 में बने हैं.

धारा 434 (Companies Act, 2013) के तहत लंबित वाइंडिंग‑अप कैसे ट्रांसफर होते हैं?

433(e) आधार पर लंबित याचिकाएँ NCLT को ट्रांसफर हो सकती हैं; सुप्रीम कोर्ट ने ट्रांसफर विवेक और चरणों पर दिशा‑निर्देश दिए हैं.

अस्थायी परिसमापक (Provisional Liquidator) की नियुक्ति कब और कैसे होती है?

याचिका ‘एडमिशन’ के बाद, पर्याप्त कारणों के शपथपत्र सहित, ट्रिब्यूनल धारा 273/275 व Companies (Winding Up) Rules, 2020 के Rule 14 के अनुसार नियुक्त कर सकता है; शक्ति/फीस/घोषणा WIN‑फॉर्म्स से शासित हैं.

अस्थायी परिसमापक/कंपनी लिक्विडेटर के लिए नियामकीय फॉर्म कौन‑से हैं?

Rule 14 के तहत नोटिस WIN‑7, नियुक्ति सूचना WIN‑9, और हित‑टकराव/स्वतंत्रता उद्घोषणा WIN‑10 दाखिल करनी होती है; RoC को भी प्रति भेजी जाती है.

परिसंपत्तियों के विक्रय/हस्तांतरण पर रोक के लिए क्या मांगा जा सकता है?

याचिका लंबित रहते ‘इंटरिम ऑर्डर’ से कंपनी की संपत्ति के एलियनशन पर restraint/स्टे आदेश मांगा जा सकता है ताकि कलेक्टिव हित सुरक्षित रहें.

433(e) के तहत वाइंडिंग‑अप का न्यायिक परीक्षण किन बातों पर होता है?

ऋण पर ‘बोना फाइड’ वास्तविक विवाद हो तो वाइंडिंग‑अप आम तौर पर नहीं; डिमांड नोटिस, निष्फल डिक्री निष्पादन, एवं समग्र देनताओं का आकलन जैसे कारक देखे जाते हैं.

IBC 2016 और Companies Act 2013 में वाइंडिंग‑अप का विभाजन कैसे है?

देयता न चुकाने (inability to pay debts) अब IBC के तहत CIRP/लिक्विडेशन में आता है; अन्य आधार (जैसे just and equitable, धोखाधड़ी) 2013 अधिनियम s271 के अंतर्गत NCLT में हैं.

अस्थायी परिसमापक की नियुक्ति के लिए पैनल/योग्यता क्या है?

ट्रिब्यूनल केंद्र सरकार के पैनल से प्रोफेशनल्स (CA/CS/CMA/Adv/IBC IPs) में से नियुक्त करता है; अनुभव, कार्य‑आकार व हित‑टकराव उद्घोषणा अनिवार्य हैं.


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