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औद्योगिक विवाद अधिनियम - Legal Drafting in Hindi

औद्योगिक विवाद अधिनियम पेज: धारा 33/33A से संबंधित परिवाद का हिंदी ड्राफ्ट—लंबित कार्यवाही में सेवा‑शर्त परिवर्तन/दंड पर रोक, अनुमोदन, और दाखिले की प्रक्रिया.

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Quick Overview

यह ‘औद्योगिक विवाद अधिनियम’ निर्देशिका धारा 33/33A से सम्बद्ध हिंदी ‘परिवाद’ ड्राफ्ट प्रदान करती है, जिससे कामगार लंबित कार्यवाहियों के दौरान नियोक्ता द्वारा सेवा‑शर्तों में अवैध परिवर्तन, दंड या बर्खास्तगी के खिलाफ प्रभावी शिकायत दाखिल कर सके। इसमें 33(1) की पूर्व‑अनुमति की जरूरत, 33(2)(b) के एक‑माह वेतन और अनुमोदन आवेदन जैसी शर्तें, ‘प्रोटेक्टेड वर्कमैन’ संरक्षण, और घरेलू जांच व दस्तावेजी आवश्यकताओं पर व्यावहारिक मार्गदर्शन शामिल है.

All templates are provided for reference and should be reviewed by legal professionals before use.

FAQs

धारा 33 का उद्देश्य क्या है?

लंबित समादेश/समझौता/निर्णयन के दौरान नियोक्ता द्वारा कर्मचारी का उत्पीड़न रोकना और सेवा‑शर्तों में प्रतिकूल परिवर्तन, बर्खास्तगी या दंड पर नियंत्रण रखना.

33(1) और 33(2) में मूल अंतर क्या है?

33(1) में विवाद से संबंधित मामलों पर बिना पूर्व अनुमति कोई प्रतिकूल परिवर्तन/दंड नहीं; 33(2) में विवाद से असंबंधित कृत्य पर कार्रवाई संभव, पर 33(2)(b) के लिए एक माह वेतन और प्राधिकरण से अनुमोदन आवश्यक.

33(2)(b) के तहत बर्खास्तगी के लिए किन शर्तों का पालन अनिवार्य है?

सुसंगत घरेलू जांच, एक माह का वेतन देना, और तत्परता से सक्षम प्राधिकरण के समक्ष अनुमोदन आवेदन दायर करना; शर्तें न पूरी होने पर कार्रवाई अवैध ठहर सकती है.

धारा 33A के अंतर्गत ‘परिवाद’ कब दायर किया जाता है?

जब नियोक्ता 33(1)/33(2) का उल्लंघन कर प्रतिकूल कार्रवाई करे; तब कामगार सीधे श्रम न्यायालय/औद्योगिक न्यायाधिकरण के समक्ष 33A शिकायत दाखिल कर सकता है.

33A शिकायत का मानक प्रारूप/प्रक्रिया क्या होती है?

केंद्रीय नियमों के अनुसार 33A शिकायत प्रायः त्रिपlicate में निर्दिष्ट फार्म (Form I) में, प्रासंगिक तथ्य, लंबित कार्यवाही का विवरण, उल्लंघन और मांगी गई राहतों सहित दायर की जाती है.

‘प्रोटेक्टेड वर्कमैन’ को अतिरिक्त संरक्षण कैसे मिलता है?

मान्यता प्राप्त यूनियन के निर्दिष्ट पदाधिकारियों को ‘प्रोटेक्टेड’ दर्जा मिलता है; उनके विरुद्ध कार्रवाई हेतु कठोर शर्तें और पूर्व अनुमति की आवश्यकता होती है.

घरेलू अनुशासनात्मक जांच के न्यूनतम मानदंड क्या हैं?

चार्ज‑शीट, निष्पक्ष सुनवाई, सबूतों का सामना का अवसर, आदेश में कारणों का उल्लेख; नियमावली/स्टैंडिंग ऑर्डर्स के अनुसार समुचित अनुपालन आवश्यक है.

लंबित कार्यवाही की अवधि कैसे मानी जाती है?

सुलह/पंच/न्यायालय/ट्रिब्यूनल के समक्ष कार्यवाही के आरंभ से निष्पत्ति तक की अवधि ‘pending proceedings’ मानी जाती है, जिसके दौरान 33 लागू रहता है.

33(1) के उल्लंघन पर सामान्यतः क्या राहत मांगी जाती है?

कार्रवाई का निरस्तीकरण/स्थगन, स्थिति पूर्ववत, वेतन‑लाभ की पुनर्स्थापना, और आवश्यक होने पर अंतरिम रोक/स्थगन एवं अनुशासनात्मक कार्यवाही पर निषेध.

कामगार को व्यावहारिक तौर पर क्या संलग्न करना चाहिए?

लंबित विवाद/कार्यवाही के दस्तावेज, नियोक्ता की कार्रवाई/आदेश, वेतन/एक‑माह वेतन भुगतान संबंधी साक्ष्य (यदि विवाद), जांच रिकॉर्ड/पत्राचार और शपथपत्र.