दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को जम्मू-कश्मीर के सांसद इंजीनियर रशीद (अब्दुल रशीद शेख) की अंतरिम जमानत याचिका पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) से जवाब मांगा। रशीद, जो 2024 के लोकसभा चुनाव में बारामुला से सांसद चुने गए हैं, संसद के बजट सत्र (31 जनवरी से 4 अप्रैल) में शामिल होने के लिए अस्थायी जमानत चाहते हैं।
UAPA केस का पृष्ठभूमि
इंजीनियर रशीद 2019 से दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद हैं। NIA ने उन पर यूएपीए (अनलॉफुल एक्टिविटीज प्रिवेंशन एक्ट) के तहत 2017 के आतंकी फंडिंग मामले में केस दर्ज किया था। जेल में रहते हुए भी रशीद ने बारामुला सीट से पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को बड़े अंतर से हराकर चुनाव जीता।
अदालत में क्या हुआ?
न्यायाधीश विकास महाजन ने NIA के वकील सिद्धार्थ लुथरा से रशीद की जमानत याचिका पर एजेंसी का रुख स्पष्ट करने को कहा। अदालत ने जोर देकर कहा कि सांसद के संसद सत्र में शामिल होने की जरूरत को ध्यान में रखते हुए जल्द फैसला होना चाहिए।
रशीद के वकील एन. हरिहरन:
"मेरे चुनाव क्षेत्र को महीनों तक बिना प्रतिनिधित्व के नहीं छोड़ा जा सकता। मैं पहले ही एक सत्र मिस कर चुका हूं। बजट सत्र महत्वपूर्ण है—मैं क्या करूं? मैं भागने वाला नहीं हूं। मैंने देश के प्रति निष्ठा दिखाई है।"
हरिहरन ने बताया कि ट्रायल कोर्ट ने रशीद की जमानत याचिका सुनने से मना कर दिया था, क्योंकि यह केस अब सांसद/विधायकों के लिए बनी विशेष अदालत में जाना चाहिए। यह केस अभी तक उस अदालत में ट्रांसफर नहीं हुआ है।
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जमानत में देरी क्यों?
दिसंबर 2023 में, UAPA केस की सुनवाई कर रही अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (ASJ) ने कहा था कि वह रशीद की नियमित जमानत याचिका पर फैसला नहीं कर सकती। उसने जिला न्यायाधीश से केस को सांसद/विधायक विशेष अदालत में ट्रांसफर करने को कहा था, जो अभी तक पूरा नहीं हुआ।
NIA ने रशीद की याचिका का विरोध करते हुए कहा:
NIA के वकील सिद्धार्थ लुथरा:
"सांसद बनने से संसद जाने का अधिकार नहीं मिल जाता। कानून में अपील के लिए अलग प्रक्रिया है, इसलिए यह याचिका मान्य नहीं।"
लुथरा ने यह भी बताया कि NIA ने सुप्रीम कोर्ट से पूछा है कि क्या विशेष अदालतें सांसदों के केस सुन सकती हैं।
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पहले भी मिली थी अंतरिम जमानत
पिछले साल, रशीद को जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में प्रचार करने के लिए अंतरिम जमानत मिली थी। अब वह संसद सत्र में शामिल होने के लिए ऐसी ही राहत चाहते हैं। अगर जमानत नहीं मिलती, तो वह बजट सत्र के दौरान अस्थायी रिहाई की मांग कर रहे हैं।
आगे की सुनवाई
हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई 31 जनवरी या 3 फरवरी को तय की है। इस फैसले का असर यह होगा कि कानूनी मुकदमों में फंसे नेताओं को अपने सार्वजनिक कर्तव्य निभाने की अनुमति मिलेगी या नहीं।
न्यायाधीश विकास महाजन:
"हमें इसका हल निकालना होगा। सांसद/विधायक अदालत कोई विशेष सुविधा नहीं, बल्कि न्याय के लिए जरूरी है।"