कलकत्ता उच्च न्यायालय ने डनलप ट्रेडमार्क विवाद में ग्लोरियस इन्वेस्टमेंट की अपील खारिज कर दी, उच्च न्यायालय में दूसरी अपील पर धारा 100ए प्रतिबंध का हवाला दिया

By Shivam Y. • November 6, 2025

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने "डनलप" ट्रेडमार्क पर ग्लोरियस इन्वेस्टमेंट की अपील को खारिज कर दिया, धारा 100 ए के तहत ट्रेड मार्क्स अधिनियम के तहत अंतर-न्यायालय अपील पर रोक लगा दी। - ग्लोरियस इन्वेस्टमेंट लिमिटेड बनाम डनलप इंटरनेशनल लिमिटेड और अन्य।

एक चर्चित बौद्धिक संपदा विवाद में, कलकत्ता हाईकोर्ट ने मंगलवार को ग्लोरियस इन्वेस्टमेंट लिमिटेड द्वारा डनलप इंटरनेशनल लिमिटेड के खिलाफ दायर अपील को खारिज कर दिया। न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी और न्यायमूर्ति ओम नारायण राय की खंडपीठ ने यह कहते हुए अपील को “अस्वीकार्य” (not maintainable) घोषित किया कि सिविल प्रक्रिया संहिता (CPC) की धारा 100A एक ही हाईकोर्ट में दूसरी अपील पर स्पष्ट रूप से रोक लगाती है।

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मामला प्रसिद्ध “डनलप” ट्रेडमार्क से जुड़ा था, जो लंबे समय से टायर और रबर उत्पादों से संबंधित एक नाम रहा है, और जिसकी स्वामित्व व पंजीकरण अधिकार को लेकर वर्षों से कानूनी विवाद चला आ रहा है।

पृष्ठभूमि

कानूनी विवाद तब शुरू हुआ जब ग्लोरियस इन्वेस्टमेंट लिमिटेड ने “डनलप” मार्क के पंजीकरण के लिए आवेदन किया। ट्रेडमार्क के डिप्टी रजिस्ट्रार ने जुलाई 2024 में यह आवेदन स्वीकार कर लिया, और डनलप इंटरनेशनल लिमिटेड की आपत्तियों को खारिज कर दिया।

इसके बाद डनलप इंटरनेशनल ने ट्रेड मार्क्स एक्ट, 1999 की धारा 91 के तहत हाईकोर्ट के एकल पीठ में अपील की। एकल न्यायाधीश ने डिप्टी रजिस्ट्रार का आदेश रद्द करते हुए मामले को पुनः विचार के लिए वापस भेज दिया, ताकि दोनों पक्षों को सुनवाई का अवसर मिल सके।

इस निर्णय से असंतुष्ट होकर ग्लोरियस इन्वेस्टमेंट ने अब डिवीजन बेंच का रुख किया - यही वर्तमान अपील थी।

अदालत में दलीलें

डनलप इंटरनेशनल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता देबनाथ घोष ने दलील दी कि यह मूलतः एक दूसरी अपील है, और धारा 100A CPC के तहत ऐसी अपीलों पर स्पष्ट रोक है।

“ऐसी स्थिति में किसी एकल न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ कोई दूसरी अपील विधिक रूप से मान्य नहीं है,” घोष ने कहा, और सुप्रीम कोर्ट के कमल कुमार दत्ता बनाम रूबी जनरल हॉस्पिटल के फैसले पर भरोसा जताया।

वहीं ग्लोरियस इन्वेस्टमेंट की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता जॉयदीप कर ने तर्क दिया कि ट्रेडमार्क रजिस्ट्रार कोई सिविल कोर्ट नहीं है, इसलिए धारा 100A की रोक लागू नहीं होती। उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट के Promoshirt SM SA बनाम Armassuisse फैसले का हवाला देते हुए कहा कि बौद्धिक संपदा (IPR) मामलों में अब भी लेटर्स पेटेंट अपील (intra-court appeal) की अनुमति है।

कर ने यह भी कहा कि Intellectual Property Rights Division Rules, 2023 स्पष्ट रूप से ऐसी अपीलों की अनुमति देते हैं, और हाईकोर्ट का संवैधानिक अधिकार इस पर कायम है।

अदालत के अवलोकन

न्यायमूर्ति ओम नारायण राय ने विस्तृत विश्लेषण में ट्रेडमार्क कानूनों का इतिहास बताया -
ट्रेडमार्क एक्ट 1940 से लेकर ट्रेड एंड मर्चेंडाइज मार्क्स एक्ट 1958 और फिर ट्रेडमार्क्स एक्ट 1999 (2021 संशोधन सहित)।

अदालत ने कहा कि पुराने कानूनों में जहाँ दूसरी अपील का प्रावधान था, वहीं 1999 के अधिनियम में इसे जानबूझकर हटा दिया गया, जिससे स्पष्ट होता है कि विधायिका ने दोहरी अपील व्यवस्था खत्म करने का निर्णय लिया।

“यह विधिक सिद्धांत स्थापित है कि बिना विधिक प्रावधान के कोई अपील नहीं की जा सकती,” न्यायमूर्ति राय ने आदेश सुनाते हुए कहा।

खंडपीठ ने यह भी विचार किया कि क्या ट्रेडमार्क रजिस्ट्रार को “अदालत के लक्षण” (trappings of a court) प्राप्त हैं। धारा 127 के अनुसार, रजिस्ट्रार को गवाह बुलाने, साक्ष्य लेने और आदेश पारित करने जैसी शक्तियाँ हैं, जिन्हें सिविल कोर्ट जैसा माना गया। इससे अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि रजिस्ट्रार की भूमिका क्वासी-ज्यूडिशियल (अर्ध-न्यायिक) है, और इसलिए धारा 100A की रोक लागू होती है।

“रजिस्ट्रार न्यायिक रूप से कार्य करता है, अधिकार तय करता है, और सिविल कोर्ट जैसी शक्तियाँ रखता है। इसलिए लेटर्स पेटेंट अपील पर प्रतिबंध लागू है,” बेंच ने कहा।

अदालत ने यह भी कहा कि 1958 के अधिनियम से दूसरी अपील का प्रावधान हटाकर संसद ने स्पष्ट रूप से मंशा जाहिर की कि अब आगे अपील की गुंजाइश नहीं रहेगी।

“विधायी मंशा को न्यायिक व्याख्या से बदला नहीं जा सकता,” न्यायमूर्ति राय ने टिप्पणी की।

निर्णय

27 पन्नों के इस विस्तृत निर्णय में खंडपीठ ने अंततः कहा कि ग्लोरियस इन्वेस्टमेंट लिमिटेड की अपील अस्वीकार्य है और इसके साथ जुड़ी अंतरिम आवेदन भी निरस्त की जाती है।

“TEMPAPO-IPD 5 of 2025 को खारिज किया जाता है। संबंधित आवेदन GA-COM 1 of 2025 भी खारिज किया जाता है। कोई लागत आदेश नहीं होगा,” आदेश में कहा गया।

इसके साथ ही कलकत्ता हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया कि ट्रेडमार्क्स एक्ट की धारा 91 के तहत दायर इंट्रा-कोर्ट अपीलें सेक्शन 100A CPC के कारण अमान्य हैं - एक ऐसा फैसला जो भविष्य में भारत के अन्य हाईकोर्ट्स में चल रहे बौद्धिक संपदा विवादों को भी प्रभावित करेगा।

Case Title: Glorious Investment Limited vs. Dunlop International Limited & Anr.

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