राजस्थान हाईकोर्ट की जयपुर बेंच में सोमवार को खचाखच भरी अदालत में जस्टिस अनूप कुमार धंड ने एक अहम आदेश सुनाया, जिसने निजी स्कूलों में बोर्ड नियमों की अनुपालना को लेकर हलचल मचा दी है। मामला कोटा के दो स्कूलों एलबीएस कॉन्वेंट स्कूल और द लॉर्ड बुद्धा पब्लिक स्कूल से जुड़ा था, जिनकी पिछले साल सीबीएसई से मान्यता समाप्त कर दी गई थी। इन स्कूलों के कई छात्रों ने भी अदालत का रुख किया था, यह डर जताते हुए कि सेशन के बीच में स्कूल बदलने से उनका साल बर्बाद हो जाएगा।
पृष्ठभूमि
सीबीएसई ने अक्टूबर 2024 में दोनों स्कूलों की एफिलिएशन रद्द कर दी थी और उन्हें सीनियर सेकेंडरी से घटाकर सेकेंडरी स्तर पर कर दिया था। बोर्ड ने आरोप लगाया था कि स्कूलों ने डमी छात्रों का दाखिला किया, हाजिरी रजिस्टरों में हेराफेरी की और संबद्धता उपनियमों का उल्लंघन किया। वहीं कोटा का एक तीसरा स्कूल शिव ज्योति कॉन्वेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल जिस पर ऐसे ही आरोप थे, उसे कमियों को सुधारने का मौका देते हुए केवल जुर्माना भरवाया गया।
अपने साथ भेदभाव होने का आरोप लगाते हुए, दोनों स्कूलों ने अदालत में कहा कि उन्होंने सभी जरूरी स्वच्छता और सुरक्षा प्रमाणपत्र दिए थे, फिर भी उन्हें सुधरने का अवसर नहीं दिया गया। इसी बीच, छात्रों ने भी दलील दी कि सेशन के बीच स्कूल बदलना उनके महीनों की मेहनत पर पानी फेर देगा, खासकर बोर्ड परीक्षाओं से ठीक पहले।
अदालत की टिप्पणियां
जस्टिस धंड की पीठ ने सीबीएसई के रुख में साफ विरोधाभास पाया। बोर्ड का कहना था कि शिव ज्योति स्कूल में केवल "कमियां" थीं, कानूनी उल्लंघन नहीं; जबकि याचिकाकर्ता स्कूलों पर "गंभीर उपनियम उल्लंघनों" का आरोप लगाया गया।
जज ने टिप्पणी की,
"यह न्यायालय विशेषज्ञ नहीं है जो विरोधाभासी दलीलों में से चुनाव कर सके… यह सीबीएसई का दायित्व है कि वह खुद जांच करे।"
फैसले में अदालत ने राजस्थान, खासकर कोटा जैसे कोचिंग हब में डमी स्कूलों की बढ़ती समस्या पर भी सख्त टिप्पणी की। जस्टिस धंड ने कहा,
"डमी स्कूल भारत की शिक्षा व्यवस्था पर एक कलंक बन चुके हैं… ये स्कूल छात्रों को नियमित पढ़ाई से बचाकर केवल प्रतियोगी परीक्षा की कोचिंग पर केंद्रित कर देते हैं।"
उन्होंने चेतावनी दी कि यह चलन छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रहा है और उनके समग्र विकास को रोक रहा है। जज ने माता-पिता द्वारा आईआईटी-जेईई और नीट जैसी परीक्षाएं पास कराने के दबाव को भी इसका मुख्य कारण बताया और सभी स्कूलों में काउंसलिंग सेंटर खोलने तथा हाजिरी की सख्त निगरानी की जरूरत बताई।
निर्णय
अदालत ने मामला दोबारा सीबीएसई को भेजते हुए निर्देश दिया कि तीनों स्कूलों के मामलों की एक साथ तुलना कर चार हफ्तों में नया आदेश पारित किया जाए। तब तक, जिन छात्रों का नाम अभी इन स्कूलों में दर्ज है, उन्हें किसी अन्य स्कूल में नहीं भेजा जाएगा और वे आगामी बोर्ड परीक्षाओं में बैठ सकेंगे, बशर्ते वे पात्र हों।
साथ ही, स्कूलों को कक्षा 9 से 12 में नए छात्रों का प्रवेश लेने से भी रोका गया है, जब तक कि सीबीएसई उनकी एफिलिएशन बहाल न कर दे। जस्टिस धंड ने स्पष्ट किया,
"यदि कोई प्रतिकूल आदेश पारित होता है, तो याचिकाकर्ता स्कूल उचित विधिक मंच का दरवाजा खटखटा सकते हैं।"
फैसले में सीबीएसई और राजस्थान बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन को सभी संबद्ध स्कूलों में अचानक निरीक्षण करने और डमी प्रवेश पर सख्ती से कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया गया है, ताकि अब कोई ढिलाई न हो।
केस का शीर्षक:- एलबीएस कॉन्वेंट स्कूल, रीको इंस्टीट्यूशनल एरिया, रानपुर, कोटा एवं अन्य बनाम सीबीएसई एवं अन्य।