बिलासपुर स्थित छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बुधवार को एक सख्त आदेश में राज्य सरकार की उन नर्सरी और प्री-प्राइमरी स्कूलों के संचालन को लेकर नाराजगी जताई, जो बिना मान्यता के चल रहे हैं। मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति रविन्द्र कुमार अग्रवाल की पीठ ने स्पष्ट किया कि अदालत के निर्देशों का पालन हल्के में नहीं लिया जा सकता, खासकर जब मामला छोटे बच्चों की शिक्षा से जुड़ा हो।
पृष्ठभूमि
यह मामला कई याचिकाओं से जुड़ा है, जिनमें Chhattisgarh Private School vs State of Chhattisgarh भी शामिल है, जिसमें बिना मान्यता वाले प्ले स्कूलों की वैधता को चुनौती दी गई थी। विवाद की शुरुआत 5 जनवरी 2013 को जारी एक सरकारी परिपत्र से हुई थी, जिसमें प्री- प्राइमरी संस्थानों को मान्यता लेने का निर्देश था। इसके बावजूद, सैकड़ों स्कूल बिना मंजूरी के चलते रहे।
13 अगस्त 2025 को अदालत ने स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव को व्यक्तिगत हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया था, जिसमें यह बताया जाए कि अब तक ऐसे अवैध संस्थानों पर क्या कार्रवाई की गई है। लेकिन सचिव की जगह संयुक्त सचिव ने हलफनामा प्रस्तुत किया, यह कहते हुए कि सचिव सरकारी कार्य से राज्य से बाहर हैं।
अदालत की टिप्पणियाँ
पीठ इस स्पष्टीकरण से बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं हुई। न्यायाधीशों ने कहा, ''हम प्रस्तुत स्पष्टीकरण से बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं हैं,'' और राज्य को चेतावनी दी कि भविष्य में किसी भी प्रकार की छूट के लिए अलग से आवेदन दाखिल करना अनिवार्य होगा।
हालाँकि हलफनामे में कुछ प्रगति का उल्लेख किया गया। 16 सितम्बर 2025 को जिला शिक्षा अधिकारियों को सभी प्ले स्कूलों से 15 दिनों के भीतर विस्तृत जानकारी एकत्र करने का निर्देश दिया गया। साथ ही, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और बाल अधिकार संरक्षण आयोग के दिशानिर्देशों के अनुरूप नए नियम बनाने के लिए सात सदस्यीय समिति का गठन भी किया गया।
लेकिन अदालत ने खासतौर पर नोट किया कि हलफनामा इस मूल प्रश्न पर चुप है- 2013 से अब तक अवैध रूप से चल रहे स्कूलों पर क्या ठोस कार्रवाई हुई।
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निर्णय
हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव को व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया, जिसमें ''स्पष्ट और ठोस शब्दों में '' अब तक उठाए गए कदमों और भविष्य की कार्ययोजना दोनों का विवरण हो।
पीठ ने जाली आय प्रमाणपत्रों के आधार पर हुई गलत दाखिलों पर भी सख्त रुख दिखाया। अदालत ने स्वीकार किया कि कुछ फर्जी दाखिले रद्द किए जा चुके हैं, लेकिन आगे से प्रारंभिक स्तर पर ही कड़ाई से सत्यापन की व्यवस्था करने का आदेश दिया। आदेश में कहा गया,
''यदि भविष्य में कोई अनियमितता पाई जाती है, तो केवल लाभार्थियों ही नहीं बल्कि संबंधित अधिकारियों पर भी सख्त कार्रवाई होगी।''
यह मामला अब 17 अक्टूबर 2025 को आगे की निगरानी के लिए सूचीबद्ध किया जाएगा।
केस शीर्षक : छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल बनाम छत्तीसगढ़ राज्य