कर्नाटक हाईकोर्ट ने बुधवार को साइबर अपराधों पर रोक लगाने के लिए हाल ही में बनाए गए साइबर कमांड सेंटर (CCC) को महज़ दिखावा बनने से रोकने के सख्त निर्देश दिए। जस्टिस एम. नागप्रसन्ना ने साफ कहा कि साइबर अपराध “नई उम्र का खतरा” है और अगर राज्य ने गंभीरता नहीं दिखाई तो पीड़ितों के लिए न्याय “मृगतृष्णा” बन जाएगा। यह मामला NewSpace Research and Technologies Private Limited बनाम State of Karnataka एवं अन्य (केस संख्या: WP No. 8403/2025, GM–Police) से जुड़ा हुआ है।
पृष्ठभूमि
यह याचिका मूल रूप से क्राइम नंबर 1025/2024 से जुड़ी थी, जिसे कोर्ट ने विशेष जांच दल (SIT) से पुनः जांच कराने का आदेश दिया था। इसी सुनवाई के दौरान जज ने यह भी माना कि राज्य को साइबर अपराधों के लिए एक विशेष कमांड सेंटर की ज़रूरत है। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस आदेश में दखल देने से इनकार किया था, जिसके बाद राज्य सरकार ने 2 सितंबर 2025 को एक सरकारी आदेश जारी कर CCC की स्थापना की।
आंकड़े कोर्ट के सामने रखे गए, जिनसे स्थिति की गंभीरता स्पष्ट हुई। 2021 में आईटी एक्ट के तहत 8,396 मामले दर्ज हुए थे। 2025 तक यह संख्या लगभग 30,000 तक पहुँच गई। जस्टिस नागप्रसन्ना ने कहा, “ग्राफ खतरनाक रूप से ऊपर चढ़ रहा है, यह साइबर अपराध की तेज़ रफ्तार बढ़त का ठंडा लेकिन डराने वाला सबूत है।”
सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि केवल आदेश जारी कर देने से कुछ नहीं होगा। “अगर यह सेंटर निष्क्रिय रहा तो यह सिर्फ कागज़ी खानापूर्ति बन जाएगा,” बेंच ने टिप्पणी की। उन्होंने यह भी कहा कि CCC को स्थिर और पारदर्शी बनाने के लिए अफसरों के बार-बार तबादले रोकने होंगे।
जज ने 1930 हेल्पलाइन का भी ज़िक्र किया, जिस पर लोग साइबर ठगी की शिकायत करते हैं। उन्होंने कहा, “हेल्पलाइन 1930 की बातचीत को पुलिस सिस्टम का हिस्सा बनाना ज़रूरी है… और ज़रूरत पड़ने पर ज़ीरो FIR दर्ज की जानी चाहिए।”
एक और चिंता यह थी कि साधारण पुलिस थाने और साइबर थाने अलग-अलग तरीके से केस हैंडल कर रहे हैं। कई बार सामान्य थाने साइबर अपराधों की जांच के लिए तैयार नहीं होते। इसलिए कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सभी साइबर अपराधों की जांच CCC के दायरे में लाई जानी चाहिए।
कोर्ट ने आदेश दिया कि 2 सितंबर 2025 का सरकारी आदेश पूरी तरह लागू होना चाहिए, केवल औपचारिकता न रहे। साइबर कमांड सेंटर के प्रमुख यानी डीजीपी का तबादला विशेष परिस्थिति को छोड़कर नहीं किया जाएगा। साथ ही, जांच की प्रगति और उठाए गए कदमों की रिपोर्ट अमिकस क्यूरी के माध्यम से कोर्ट में जमा करनी होगी।
मामले को आगे की सुनवाई के लिए 24 सितंबर 2025 को सूचीबद्ध किया गया। जस्टिस नागप्रसन्ना ने कहा, आज के डिजिटल युग में, अपराधी चेहरेहीन हैं, लेकिन जांच को आधारहीन नहीं होने दिया जा सकता। CCC को नई उम्र के अपराधों के लिए नई उम्र की दवा बनना होगा।
Case Title : न्यूस्पेस रिसर्च एंड टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड बनाम कर्नाटक राज्य एवं अन्य
Case Number:डब्ल्यू.पी. सं. 8403/2025 (जी.एम. – पुलिस)