बिलासपुर स्थित छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने धमतरी जिले की एक महिला दुकानदार के अधिकारों की रक्षा करते हुए कहा कि नगर पालिका ने जल्दबाजी और बिना विधिक प्रक्रिया का पालन किए कार्रवाई की। यह आदेश गुरुवार को स्म्ट. कोमल देवी पंजाबी बनाम छत्तीसगढ़ राज्य प्रकरण में न्यायमूर्ति संजय एस. अग्रवाल की पीठ ने पारित किया।
पृष्ठभूमि
48 वर्षीय कोमल देवी पंजाबी, जो नगरी (धमतरी) की निवासी हैं, को अक्टूबर 2019 में नगर पंचायत की परिषद बैठक के प्रस्ताव के तहत इंदिरा मार्केट कॉम्प्लेक्स में एक अधनिर्मित दुकान आवंटित की गई थी। उन्होंने 50,000 रुपये प्रीमियम जमा किया और प्रति माह 460 रुपये किराया देने के लिए सहमति दी।
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लेकिन कुछ ही महीनों बाद, 25 फरवरी 2020 को मुख्य नगरपालिका अधिकारी ने राज्य सरकार के निर्देश का हवाला देते हुए उन्हें 24 घंटे के भीतर दुकान खाली करने का आदेश दे दिया। अधिकारियों का कहना था कि यह आवंटन छत्तीसगढ़ नगरपालिका (अचल संपत्ति हस्तांतरण) नियम, 1996 के विपरीत किया गया था और निर्माण को तोड़ा भी जा सकता है।
न्यायालय की टिप्पणियां
पीठ ने इस बेदखली आदेश पर कड़ी आपत्ति जताई। न्यायमूर्ति अग्रवाल ने कहा कि याचिकाकर्ता ने नियमानुसार प्रीमियम और किराया जमा किया था, फिर भी रद्द करने का निर्णय "नकी अनुपस्थिति में " लिया गया।
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"जिस जांच रिपोर्ट के आधार पर राज्य का आदेश जारी हुआ, उसकी प्रति याचिकाकर्ता को कभी दी ही नहीं गई। सबसे अहम बात यह है कि रद्द करने से पहले उन्हें अपना पक्ष रखने का कोई अवसर ही नहीं दिया गया," अदालत ने टिप्पणी की।
न्यायालय ने कार्रवाई की जल्दबाजी पर भी सवाल उठाया।
"24 घंटे में निर्माण हटाने का निर्देश देना, बिना पक्षकार को सुने, मनमाना है," पीठ ने कहा।
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निर्णय
सभी तथ्यों पर गौर करने के बाद हाईकोर्ट ने 25 फरवरी 2020 का नोटिस खारिज कर दिया। अदालत ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि आगे कोई कदम उठाने से पहले कोमल देवी को उचित अवसर दिया जाए।
न्यायमूर्ति ने यह भी स्पष्ट किया कि नगर निकाय चाहे तो नई जांच कर सकता है या कार्रवाई शुरू कर सकता है, लेकिन केवल प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन करने के बाद ही। इन निर्देशों के साथ ही रिट याचिका का निपटारा कर दिया गया।
केस का शीर्षक: श्रीमती कोमल देवी पंजाबी बनाम छत्तीसगढ़ राज्य एवं अन्य
केस संख्या: WPC No. 828 of 2020
आदेश की तिथि: 4 सितंबर 2025