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सुप्रीम कोर्ट ने KKK हाइड्रो पावर की ऊँचे टैरिफ वाली याचिका खारिज की, नियामक आयोग की भूमिका स्पष्ट

Vivek G.

सुप्रीम कोर्ट ने KKK हाइड्रो पावर की ऊँचे टैरिफ वाली याचिका खारिज की और कहा कि बिजली टैरिफ केवल राज्य आयोग की मंजूरी से तय होगा, निजी समझौते से नहीं।

सुप्रीम कोर्ट ने KKK हाइड्रो पावर की ऊँचे टैरिफ वाली याचिका खारिज की, नियामक आयोग की भूमिका स्पष्ट

सुप्रीम कोर्ट ने M/s KKK हाइड्रो पावर लिमिटेड की उस अपील को खारिज कर दिया है, जिसमें उसने हिमाचल प्रदेश में अपनी 4.90 मेगावाट की बरग्रान हाइड्रो इलेक्ट्रिक परियोजना के लिए ₹2.95 प्रति यूनिट (kWh) का ऊँचा टैरिफ माँगा था। अदालत ने स्पष्ट किया कि बिजली उत्पादकों और वितरण कंपनियों के बीच निजी समझौते के आधार पर टैरिफ तय नहीं किया जा सकता, बल्कि इसके लिए राज्य विद्युत नियामक आयोग की मंजूरी अनिवार्य है।

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मामले की पृष्ठभूमि

  • KKK हाइड्रो पावर लिमिटेड ने 30 मार्च 2000 को हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड (HPSEB) के साथ पावर परचेज एग्रीमेंट (PPA) किया था, जिसमें 3 मेगावाट परियोजना का टैरिफ ₹2.50 प्रति यूनिट तय हुआ।
  • बाद में कंपनी ने परियोजना को बढ़ाकर 4.90 मेगावाट किया और 2008 में 1.90 मेगावाट की अतिरिक्त यूनिट जोड़ी।
  • विवाद तब शुरू हुआ जब कंपनी ने हिमाचल प्रदेश विद्युत नियामक आयोग (HPERC) के 2007 के नियमों और टैरिफ आदेशों के आधार पर ऊँचा टैरिफ माँगा।

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अक्टूबर 2014 में विद्युत अपीलीय न्यायाधिकरण (APTEL) ने कंपनी की अपील आंशिक रूप से स्वीकार की और कहा:

  • मूल 3 मेगावाट यूनिट का टैरिफ ₹2.50 प्रति यूनिट ही रहेगा।
  • अतिरिक्त 1.90 मेगावाट यूनिट (जुलाई 2008 में चालू हुई) HPERC के 2007 के नियमों के अंतर्गत आएगी।
  • पूरे प्रोजेक्ट के लिए भारित औसत (Weighted Average) पर आधारित एक साझा टैरिफ तय होगा। बाद में HPERC ने 2015 में इसे ₹2.60 प्रति यूनिट तय किया।

हालांकि, KKK हाइड्रो पावर ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और पूरे प्रोजेक्ट के लिए ₹2.95 प्रति यूनिट टैरिफ की माँग की।

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न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति एन.वी. अंजारिया की पीठ ने APTEL के आदेश को बरकरार रखा लेकिन कानूनी स्थिति स्पष्ट की:

  • टैरिफ मंजूरी अनिवार्य है: "बिजली खरीद की कीमत तय करना निजी बातचीत का विषय नहीं है… इसे राज्य आयोग द्वारा बिजली अधिनियम, 2003 की धारा 86(1)(b) के तहत समीक्षा और मंजूरी मिलनी ही चाहिए।”
  • 10 सितंबर 2010 को किया गया पूरक PPA, जिसमें टैरिफ ₹2.95 प्रति यूनिट किया गया था, HPERC की मंजूरी के बिना हुआ और इसलिए अमान्य है।
  • कोर्ट ने यह भी कहा कि भले ही APTEL ने 1.90 मेगावाट यूनिट को ऊँचे टैरिफ का लाभ देने में गलती की हो, लेकिन HPSEB ने इस पर अपील नहीं की। और क्योंकि दोनों पक्ष 2015 से ही संशोधित ₹2.60 प्रति यूनिट टैरिफ पर अमल कर रहे हैं, इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने पुराने फैसले में दखल नहीं दिया।

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  • सुप्रीम कोर्ट ने KKK हाइड्रो पावर की अपील खारिज कर दी और साफ किया कि पूरे प्रोजेक्ट पर ₹2.95 प्रति यूनिट का टैरिफ लागू नहीं होगा।
  • कंपनी को केवल वही टैरिफ मिलेगा जो HPERC के नियमों के तहत तय हुआ है, यानी 4.90 मेगावाट क्षमता के लिए ₹2.60 प्रति यूनिट

मामले का शीर्षक: मेसर्स केकेके हाइड्रो पावर लिमिटेड बनाम हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड लिमिटेड एवं अन्य

निर्णय की तिथि: 29 अगस्त, 2025

उद्धरण: 2025 आईएनएससी 1057

मामले का प्रकार: सिविल अपील संख्या 3005/2015

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