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पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने SARFAESI अधिनियम का कड़ाई से अनुपालन करने का आदेश दिया: मजिस्ट्रेटों को शीघ्र बैंक वसूली सुनिश्चित करने का निर्देश दिया और देरी पर अवमानना ​​की चेतावनी दी

Court Book (Admin)

एयू स्मॉल फाइनेंस बैंक बनाम पंजाब राज्य एवं अन्य - पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने एसएआरएफएईएसआई अधिनियम के त्वरित क्रियान्वयन का निर्देश दिया, अधिकारियों को अवमानना ​​की चेतावनी दी, तथा बैंकों से शीघ्र वसूली सुनिश्चित करने के लिए मजिस्ट्रेटों को प्रशिक्षण देने का आदेश दिया।

पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने SARFAESI अधिनियम का कड़ाई से अनुपालन करने का आदेश दिया: मजिस्ट्रेटों को शीघ्र बैंक वसूली सुनिश्चित करने का निर्देश दिया और देरी पर अवमानना ​​की चेतावनी दी

चंडीगढ़: पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने राजस्व अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई है, जिन्होंने SARFAESI अधिनियम के तहत पारित आदेशों को समय पर लागू नहीं किया। हाल ही में एयू स्मॉल फाइनेंस बैंक द्वारा दाखिल याचिका में खुलासा हुआ कि लुधियाना के अधिकारियों ने सुरक्षित संपत्ति का कब्ज़ा देने में आदेश के बावजूद देरी की।

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मुख्य न्यायाधीश शील नागू और न्यायमूर्ति रमेश कुमारी की खंडपीठ ने कहा कि इस तरह की चूक SARFAESI अधिनियम, 2002 के तहत संपूर्ण वसूली तंत्र को कमजोर करती है।

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"गैर-निष्पादित संपत्तियां (NPAs) सार्वजनिक धन पर भारी बोझ हैं और त्वरित प्रवर्तन वित्तीय व्यवस्था में तरलता बनाए रखने के लिए अत्यंत आवश्यक है।"

बैंक ने हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया क्योंकि तहसीलदार-सह-ड्यूटी मजिस्ट्रेट ने फरवरी 2025 का वह आदेश लागू नहीं किया, जिसमें संपत्ति का वास्तविक कब्ज़ा सौंपने को कहा गया था। जबकि कानून साफ कहता है कि जिला मजिस्ट्रेट और राजस्व अधिकारी बिना देरी के कार्रवाई करें, अधिकारियों ने पालन नहीं किया।

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कोर्ट ने निर्देश दिया कि संबंधित अधिकारी 30 दिनों के भीतर आदेश लागू करें, ताकि बैंक संपत्ति की नीलामी कर बकाया राशि की वसूली कर सके। अदालत ने यह भी याद दिलाया कि बैंक ऑफ महाराष्ट्र बनाम डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट, हिसार (2024) के फैसले में पहले ही समयसीमा तय की जा चुकी है।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले आर.डी. जैन एंड कंपनी बनाम कैपिटल फर्स्ट लिमिटेड (2023) का हवाला देते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि धारा 14 के तहत जिला मजिस्ट्रेट की भूमिका पूरी तरह प्रशासनिक है। कानून के अनुसार उन्हें 30 दिनों में कार्रवाई करनी होती है, जिसे अधिकतम 60 दिनों तक बढ़ाया जा सकता है। सर्वोच्च न्यायालय ने पहले ही कहा था,

"समय का अत्यधिक महत्व है। यही इस विशेष कानून की आत्मा है।"

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बार-बार हो रही लापरवाही की ओर इशारा करते हुए पीठ ने कहा कि या तो अधिकारी इन फैसलों से अनजान हैं या जानबूझकर नज़रअंदाज़ कर रहे हैं। भविष्य में ऐसी देरी रोकने के लिए अदालत ने चंडीगढ़ न्यायिक अकादमी को निर्देश दिया कि पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ के सभी जिला मजिस्ट्रेटों और तहसीलदारों के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जाए।

आदेश की प्रतियां पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ प्रशासन के मुख्य सचिवों को भी भेजी गई हैं। अदालत ने साफ चेतावनी दी कि भविष्य में धारा 14 के आदेशों का पालन न करना अवमानना मानी जाएगी।

केस का शीर्षक: एयू स्मॉल फाइनेंस बैंक बनाम पंजाब राज्य एवं अन्य

केस संख्या: सीडब्ल्यूपी संख्या 23941/2025

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