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दिल्ली हाईकोर्ट: पत्नी को कॉल रिकॉर्ड और होटल सबूत तक पहुंच, व्यभिचार मामले में बड़ा फैसला

Shivam Y.

स्मिता श्रीवास्तव बनाम सुमित वर्मा एवं अन्य - दिल्ली उच्च न्यायालय ने व्यभिचार तलाक मामले में पत्नी को कॉल रिकॉर्ड और होटल के सबूत तक पहुंच की अनुमति दी, जिससे गोपनीयता के अधिकारों और निष्पक्ष सुनवाई की आवश्यकताओं में संतुलन बना रहा।

दिल्ली हाईकोर्ट: पत्नी को कॉल रिकॉर्ड और होटल सबूत तक पहुंच, व्यभिचार मामले में बड़ा फैसला

दिल्ली हाईकोर्ट ने एक चर्चित तलाक मामले में महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है, जिसमें व्यभिचार और क्रूरता के आरोप लगे थे। 29 अगस्त 2025 को न्यायमूर्ति अनिल क्षेतरपाल और न्यायमूर्ति हरीश वैद्यनाथन शंकर की खंडपीठ ने फैमिली कोर्ट के आदेश को बरकरार रखते हुए पत्नी को कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDRs), टॉवर लोकेशन डेटा और होटल बुकिंग दस्तावेज़ों तक पहुंच की अनुमति दी।

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मामले की पृष्ठभूमि

स्मिता श्रीवास्तव और सुमित वर्मा का विवाह 2002 में हुआ था और उनके दो बच्चे हैं। गंभीर वैवाहिक विवाद के बाद पत्नी ने 2023 में हिंदू विवाह अधिनियम के तहत व्यभिचार और क्रूरता के आधार पर तलाक की अर्जी दाखिल की। उसने एक अन्य महिला को सह-प्रतिवादी बनाया, यह दावा करते हुए कि पति के साथ उसके अवैध संबंध हैं, जिसका सबूत संयुक्त यात्राओं और होटल में ठहरने से जुड़ा है।

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फैमिली कोर्ट ने पहले CDRs और कुछ वित्तीय रिकॉर्ड के खुलासे की अनुमति दी थी, जबकि अन्य मांगों को आंशिक रूप से खारिज कर दिया था। इसके खिलाफ पति, पत्नी और कथित परस्त्री ने अलग-अलग अपीलें दाखिल कीं, जिनकी संयुक्त सुनवाई हाईकोर्ट ने की।

परस्त्री ने खुद को मामले से हटाने की मांग की थी। अदालत ने इसे ठुकराते हुए कहा,

"व्यभिचार के आरोप गंभीर कलंक लाते हैं। बिना सुनवाई का अवसर दिए किसी तीसरे व्यक्ति के खिलाफ निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता।" न्यायाधीशों ने स्पष्ट किया कि ऐसे मामलों में सह-प्रतिवादी को शामिल करना प्राकृतिक न्याय का हिस्सा है।

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निजता बनाम निष्पक्ष सुनवाई

परस्त्री ने तर्क दिया कि उसका टॉवर लोकेशन डेटा देना उसके मौलिक निजता अधिकार का उल्लंघन होगा। कोर्ट ने संतुलन बनाते हुए खुलासे को केवल आरोपित अवधि तक सीमित किया और आदेश दिया कि रिकॉर्ड सीलबंद लिफाफे में प्रस्तुत हों।

खंडपीठ ने कहा,

"व्यभिचार शायद ही कभी प्रत्यक्ष साक्ष्य से सिद्ध होता है; संचार पैटर्न और होटल प्रवास जैसे परिस्थितिजन्य साक्ष्य अहम हो जाते हैं।"

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पत्नी ने व्हाट्सऐप चैट और FASTag रिकॉर्ड समेत कई दस्तावेज मांगे थे। अदालत ने अनुमान आधारित मांगों को खारिज कर दिया, लेकिन पति को होटल बुकिंग रिकॉर्ड, CDRs और प्रासंगिक वित्तीय विवरण - जैसे क्रेडिट कार्ड स्टेटमेंट और निवेश दस्तावेज़ - पेश करने का आदेश दिया। इन्हें सीधे आरोपों और भरण-पोषण तय करने से जुड़ा पाया गया।

केस का शीर्षक: स्मिता श्रीवास्तव बनाम सुमित वर्मा एवं अन्य

केस संख्या: MAT.APP.(F.C.) 251/2025

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