दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (CAT) के उस आदेश को रद्द कर दिया है जिसमें एक विधवा की पारिवारिक पेंशन केवल केस दाखिल करने की तारीख से देने का निर्देश दिया गया था। कोर्ट ने कहा कि श्रीमती सोनी देवी अपने पति की मृत्यु की तारीख यानी 02 अगस्त 2009 से पारिवारिक पेंशन पाने की हकदार हैं, साथ ही उन्हें बकाया राशि और ब्याज भी दिया जाए।
मामला पृष्ठभूमि
श्रीमती सोनी देवी ने CAT के 09 सितंबर 2016 और 29 नवंबर 2016 के आदेशों को चुनौती दी थी। CAT ने अधिकारियों को उनका पारिवारिक पेंशन जारी करने का निर्देश तो दिया, लेकिन बकाया भुगतान केवल 16 अक्टूबर 2014 (याचिका दाखिल करने की तारीख) से सीमित कर दिया था।
यह भी पढ़ें: केरल हाईकोर्ट: कमिटल स्टेज पर भी मजिस्ट्रेट जमानत आवेदन पर विचार कर सकते हैं
उनके पति, जो रेलवे कर्मचारी थे, का निधन 02 अगस्त 2009 को हो गया था। लेकिन अधिकारियों ने यह कहते हुए उनका पेंशन दावा खारिज कर दिया कि उनके नाम को आधिकारिक परिवार सूची में दर्ज नहीं किया गया था। इसके अलावा उनसे उत्तराधिकार प्रमाणपत्र (succession certificate) भी लाने को कहा गया।
बाद में, उत्तारिया रेलवे मजदूर यूनियन की ओर से एक पत्र आया जिसमें मृतक कर्मचारी की एक तथाकथित अपंजीकृत वसीयत संलग्न थी, जो श्रीमती सीता देवी (प्रतिवादी संख्या-3) के नाम बताई गई थी। इसी आधार पर उनका पेंशन दावा लंबित कर दिया गया।
CAT ने यह स्वीकार किया कि सोनी देवी मृतक की विधिवत विवाहित पत्नी हैं और किसी अन्य व्यक्ति का कोई वैध दावा नहीं है। इसके बावजूद, उसने उनके बकाये को केवल केस दाखिल करने की तारीख से सीमित कर दिया।
यह भी पढ़ें: HP हाईकोर्ट: नाबालिग का आधार पर 18+ दिखाना आरोपी को POCSO मामले में नहीं देगा राहत
दिल्ली हाईकोर्ट की पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति नवीन चावला और न्यायमूर्ति मधु जैन शामिल थे, ने कहा कि न तो प्रतिवादी संख्या-3 और न ही भारत सरकार ने CAT के उस निष्कर्ष को चुनौती दी जिसमें सोनी देवी को वैध पत्नी माना गया था।
कोर्ट ने कहा:
“याचिकाकर्ता को पारिवारिक पेंशन से वंचित करना अनुचित था। केवल यूनियन के एक पत्र के आधार पर, जिसका स्वयं कोई दावा नहीं था, पेंशन से इनकार नहीं किया जाना चाहिए था।”
कोर्ट ने इस तर्क को भी खारिज कर दिया कि पति की मृत्यु के बाद भी सोनी देवी भरण-पोषण का मुकदमा लड़ रही थीं, इसलिए उन्हें 2009 से पेंशन नहीं मिलनी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि वैवाहिक विवाद होने के बावजूद, जब तक तलाक नहीं हुआ है, पत्नी का पारिवारिक पेंशन पर हक बना रहता है।
यह भी पढ़ें: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने स्पष्ट न्यायिक आदेशों के बावजूद दूसरी मातृत्व अवकाश को अस्वीकार करने पर
कोर्ट ने सोनी देवी के पक्ष में निर्णय देते हुए निर्देश दिया:
- उन्हें पारिवारिक पेंशन 02 अगस्त 2009 (पति की मृत्यु की तारीख) से मिलेगी।
- बकाया राशि चार महीने के भीतर दी जाए।
- बकाया पर 6% वार्षिक ब्याज दिया जाए।
- याचिका स्वीकार की गई, लेकिन कोई खर्च (cost) नहीं लगाया गया।
केस: श्रीमती सोनी देवी बनाम भारत संघ एवं अन्य
केस का प्रकार: रिट याचिका (सिविल) संख्या 4501/2018
निर्णय की तिथि: 01 अगस्त 2025
याचिकाकर्ता: श्रीमती सोनी देवी (मृतक रेलवे कर्मचारी की विधवा)
प्रतिवादी:
- भारत संघ
- रेलवे अधिकारी
- श्रीमती सीता देवी (अपंजीकृत वसीयत की कथित लाभार्थी)