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बिलासपुर आंगनवाड़ी हादसे में तीन साल की बच्ची की मौत, हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेकर जिला प्रशासन से मांगा विस्तृत हलफनामा

Shivam Y.

छत्तीसगढ़ राज्य बनाम स्वप्रेरणा जनहित याचिका - छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने बिलासपुर में आंगनवाड़ी त्रासदी पर स्वप्रेरणा से कार्रवाई की, जिसमें एक बच्चे की मृत्यु हो गई; अधिकारियों की भूमिका पर जिला मजिस्ट्रेट से हलफनामा मांगा।

बिलासपुर आंगनवाड़ी हादसे में तीन साल की बच्ची की मौत, हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेकर जिला प्रशासन से मांगा विस्तृत हलफनामा

बिलासपुर स्थित छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने उस दर्दनाक घटना पर स्वतः संज्ञान लिया है, जिसमें तीन वर्षीय बच्ची मुस्कान की मौत हो गई थी। यह हादसा उस समय हुआ जब आंगनवाड़ी केंद्र, तिलापारा, बिलासपुर में अवैध रूप से रखे गए डीजे उपकरण का लोहे का पाइप खेलते समय बच्ची पर गिर गया।

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मामले की सुनवाई 22 अगस्त 2025 को मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बिभु दत्त गुरु की खंडपीठ के सामने हुई।

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घटना की पृष्ठभूमि

स्थानीय दैनिक में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, बच्ची को गंभीर सिर की चोट लगी थी। उसे जिला अस्पताल ले जाया गया और बाद में सीआईएमएस रेफर किया गया, जहां उपचार के दौरान उसने दम तोड़ दिया।

रिपोर्ट में आगे खुलासा किया गया कि महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों और स्थानीय पुलिस ने शुरुआत में इस घटना को दबाने का प्रयास किया। सात दिन बाद, जब पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण सिर की चोट स्पष्ट हुआ, तब जाकर संबंधित डीजे ऑपरेटर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई।

रिपोर्ट को देखते हुए हाईकोर्ट ने सुनवाई की तारीख को पहले कर दिया, जो मूल रूप से 26 अगस्त के लिए तय थी। राज्य के वकील ने दलील दी कि डीजे उपकरण आंगनवाड़ी के एक कर्मचारी के रिश्तेदार द्वारा अंदर रखे गए थे। कोर्ट को बताया गया कि आरोपी के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई शुरू कर दी गई है।

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अंतरिम आदेश देते हुए पीठ ने निर्देश दिया:

"जिला मजिस्ट्रेट, बिलासपुर, व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करेंगे, जिसमें घटना के संबंध में उठाए गए कदम, जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तथा दोषियों के खिलाफ की गई या प्रस्तावित कार्रवाई का पूरा विवरण होगा।"

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हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट करने को कहा कि पीड़ित परिवार को मुआवजा दिया गया है या नहीं। यदि भुगतान नहीं हुआ है, तो हलफनामे में यह बताया जाना चाहिए कि प्रक्रिया किस स्तर पर है। साथ ही अदालत ने दोहराया कि आंगनवाड़ी केंद्रों में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं, क्योंकि ये स्थान बच्चों की सुरक्षा के लिए बनाए गए हैं।

यह मामला अब 26 अगस्त 2025 को अगली सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है और जिला मजिस्ट्रेट को समयसीमा में अनुपालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है।

मामले का शीर्षक: Suo Moto जनहित याचिका बनाम छत्तीसगढ़ राज्य

मामला संख्या: WPPIL संख्या 17/2025

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