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अयोध्या राजस्व मामले में न्याय में देरी के लिए बार एसोसिएशन की हड़ताल पर हाईकोर्ट ने कार्रवाई का आदेश दिया

Shivam Yadav

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अयोध्या में वकीलों द्वारा की जाने वाली लगातार हड़तालों पर गंभीर चिंता जताई है, जिससे राजस्व न्यायालय के कामकाज में देरी हो रही है। मामले, न्यायिक निर्देश और बार एसोसिएशन के लिए संभावित परिणामों के बारे में जानें।

अयोध्या राजस्व मामले में न्याय में देरी के लिए बार एसोसिएशन की हड़ताल पर हाईकोर्ट ने कार्रवाई का आदेश दिया

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अयोध्या के रुदौली में राजस्व न्यायालय के एक मामले में बार एसोसिएशन द्वारा बार-बार हड़ताल की वजह से सुनवाई स्थगित होने पर गंभीर चिंता जताई है। मोहम्मद नजीम खान से जुड़े इस मामले में 102 तारीखों में से 68 बार सुनवाई स्थगित की गई, जिसमें से 21 बार लगातार 27 मई 2025 से हड़ताल की वजह से सुनवाई नहीं हो पाई।

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मामले की पृष्ठभूमि और न्यायिक हस्तक्षेप

याचिकाकर्ता मोहम्मद नजीम खान ने अयोध्या के रुदौली में लंबित राजस्व न्यायालय के मामले (केस नंबर 1587/2024) की त्वरित सुनवाई के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। न्यायमूर्ति आलोक माथुर ने कहा कि रुदौली बार एसोसिएशन द्वारा बुलाई गई हड़तालों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का उल्लंघन किया है, जिसमें एक्स-कैप्टन हरिश उप्पल बनाम भारत संघ (2003) और हुसैन बनाम भारत संघ (2017) शामिल हैं, जो वकीलों को अदालत का बहिष्कार करने से रोकते हैं। कोर्ट ने विनोद कुमार बनाम नायब तहसीलदार के फैसले का भी हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि हड़तालें न्यायिक कामकाज में बाधा डालती हैं और मुवक्किलों को नुकसान पहुंचाती हैं।

"वकीलों को हड़ताल या बहिष्कार का आह्वान करने का कोई अधिकार नहीं है, यहां तक कि प्रतीकात्मक हड़ताल का भी नहीं।"
- सुप्रीम कोर्ट, जिला बार एसोसिएशन, देहरादून बनाम ईश्वर शांडिल्य (2020)

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बार एसोसिएशन के अधिकारियों को नोटिस

कोर्ट ने याचिकाकर्ता को निर्देश दिया कि वह रुदौली बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और महासचिव को प्रतिवादी बनाए। उन्हें नोटिस जारी कर यह स्पष्ट करने को कहा गया कि उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई क्यों न की जाए, क्योंकि उन्होंने न्यायिक निर्देशों की जानबूझकर अवहेलना की है। अधिकारियों को 2 सितंबर 2025 को व्यक्तिगत रूप से अदालत में हाजिर होकर हड़तालों का कारण बताने के लिए हलफनामा दाखिल करना होगा।

कोर्ट ने चेतावनी दी कि ऐसी हड़तालें पेशेवर अनैतिकता और अदालत की अवमानना के दायरे में आती हैं। यह स्पष्ट किया गया कि बार एसोसिएशन वकीलों को हड़ताल में शामिल होने के लिए मजबूर नहीं कर सकती और निष्कासन या दबाव जैसी कार्रवाइयां अवैध हैं।

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बार एसोसिएशन की हड़तालों की वजह से लगातार स्थगन ने मुवक्किलों को परेशानी में डाल दिया है, जिससे न्याय प्रक्रिया अनिश्चित काल तक लटक गई है। इलाहाबाद हाईकोर्ट का सख्त रुख इस बात को रेखांकित करता है कि वकीलों को न्यायपालिका के प्रति अपने कर्तव्य का पालन करना चाहिए और ऐसी किसी भी कार्रवाई से बचना चाहिए जो अदालती कार्यवाही में बाधा डालती हो। 2 सितंबर को होने वाली सुनवाई में बार एसोसिएशन के अधिकारियों के खिलाफ आगे की कार्रवाई तय होगी।

मामले का शीर्षक: मोहम्मद नजीम खान बनाम तहसीलदार/सहायक कलेक्टर प्रथम श्रेणी, परगना, तहसील रुदौली, अयोध्या एवं अन्य

मामला संख्या: अनुच्छेद 227 के अंतर्गत मामला संख्या - 4868 वर्ष 2025

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