कर्नाटक हाईकोर्ट बेंगलुरु ने 7 अगस्त 2025 को, जस्टिस अनंत रमनाथ हेगड़े की अध्यक्षता में, बॉश लिमिटेड के कर्मचारियों द्वारा कंपनी और श्रम अधिकारियों के खिलाफ दायर कई रिट याचिकाओं की सुनवाई की। ये याचिकाएँ संविधान के अनुच्छेद 226 और 227 के तहत दायर की गई थीं, जिनमें बेंगलुरु के उप श्रम आयुक्त द्वारा पारित आदेशों को चुनौती दी गई थी।
मामले की पृष्ठभूमि
करीब नब्बे से अधिक कर्मचारी अलग-अलग रिट याचिकाओं के जरिए अदालत पहुँचे। कर्मचारियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता प्रमिला नेसरगी और अधिवक्ता जॉर्ज एंथनी क्रूज़ ने पैरवी की। कर्मचारियों का कहना था कि 2016 और 2017 में उप श्रम आयुक्त द्वारा दिए गए आदेश उनकी सेवा और श्रमिक अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं।
वहीं, कंपनी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कस्तूरी और अधिवक्ता सुभा अनंथि पेश हुए। उप श्रम आयुक्त कार्यालय की ओर से अतिरिक्त सरकारी अधिवक्ता प्रिंस इसाक ने पक्ष रखा।
याचिकाओं में सेवा शर्तों, विभागीय तबादलों और श्रमिक अधिकारों की मान्यता से जुड़े विवादों को उठाया गया। कर्मचारियों ने उप श्रम आयुक्त के आदेशों को रद्द करने की मांग की, यह कहते हुए कि ये आदेश अन्यायपूर्ण हैं।
जस्टिस हेगड़े ने इस बात पर जोर दिया कि यह देखना आवश्यक है कि उप श्रम आयुक्त ने आदेश पारित करते समय अपने अधिकार क्षेत्र के भीतर काम किया था या नहीं।
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अदालत ने टिप्पणी की कि मुख्य मुद्दा यह है कि क्या श्रम आयुक्त के 2016 और 2017 के आदेश कानून के अनुसार पारित किए गए थे और क्या उन्होंने कर्मचारियों के अधिकारों का उल्लंघन किया।
मामले का शीर्षक: राममूर्ति सी.के. एवं अन्य बनाम बॉश लिमिटेड एवं अन्य
मामला संख्या: रिट याचिका संख्या 17695/2021 (एल-रेस) साथ में रिट
याचिका संख्या 12656/2021, 21703/2021, 23395/2021, 23730/2021, 23786/2021, 1434/2022