भारत के सुप्रीम कोर्ट में पर्नोड रिकार्ड इंडिया प्राइवेट लिमिटेड द्वारा दायर अपील पर सुनवाई चल रही है। यह कंपनी मशहूर व्हिस्की ब्रांड्स ब्लेंडर्स प्राइड, इंपीरियल ब्लू और सीग्राम्स बनाती है। मामला प्रतिवादी करणवीर सिंह छाबड़ा द्वारा लंदन प्राइड नाम के इस्तेमाल से जुड़ा है।
पर्नोड रिकार्ड का आरोप है कि लंदन प्राइड नाम उनके पंजीकृत ट्रेडमार्क से भ्रमित करने वाला है, खासकर “प्राइड” शब्द के इस्तेमाल और इंपीरियल ब्लू से मिलते-जुलते पैकेजिंग डिजाइन में। कंपनी का दावा है कि प्रतिवादी ने सीग्राम्स उकेरे हुए बोतलों का भी इस्तेमाल किया, जो ट्रेडमार्क उल्लंघन और पासिंग ऑफ के दायरे में आता है, जैसा कि ट्रेड मार्क्स एक्ट, 1999 में प्रावधान है। उनका कहना है कि इस तरह की समानता साधारण उपभोक्ता, जिसकी स्मृति पूर्ण नहीं होती, में भ्रम पैदा कर सकती है।
इससे पहले, वाणिज्यिक न्यायालय और मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने पर्नोड रिकार्ड के अंतरिम निषेधाज्ञा (इंजंक्शन) के अनुरोध को खारिज कर दिया था। दोनों अदालतों का मानना था कि दोनों ब्रांड और उनकी पैकेजिंग अलग-अलग हैं और पर्नोड रिकार्ड यह साबित नहीं कर पाया कि उसे अपूरणीय क्षति होगी।
अपील में पर्नोड रिकार्ड का तर्क है कि स्थापित कानूनी सिद्धांत — जैसे एंटी-डिसेक्शन नियम और डॉमिनेंट फीचर टेस्ट — को नजरअंदाज किया गया, और कि जानबूझकर समान ब्रांड नाम अपनाना निषेधाज्ञा देने का आधार है। वहीं, प्रतिवादी का कहना है कि लंदन प्राइड एक अलग और विशिष्ट ब्रांड है जिसमें किसी भी प्रकार का भ्रम होने की संभावना नहीं है।
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"परीक्षण यह है कि क्या औसत उपभोक्ता के मन में भ्रम की संभावना है — न कि वास्तविक धोखा," अदालत ने मामले पर विचार करते हुए कहा।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला यह स्पष्ट करेगा कि आंशिक नकल और शराब बाजार में ब्रांड की प्रतिष्ठा से जुड़े मामलों में ट्रेडमार्क समानता का आकलन कैसे किया जाए।
केस का शीर्षक: पर्नोड रिकार्ड इंडिया प्राइवेट लिमिटेड एवं अन्य बनाम करणवीर सिंह छाबड़ा
केस संख्या: सिविल अपील संख्या 10638/2025 (विशेष अनुमति याचिका (सी) संख्या 28489/2023 से उत्पन्न)
उच्च न्यायालय के आदेश की तिथि: 03 नवंबर 2023