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उन्नाव रेप केस फिर सुप्रीम कोर्ट पहुँचा, कुलदीप सेंगर की उम्रकैद की सजा निलंबित करने के दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती

Vivek G.

उन्नाव रेप केस में सज़ा के सस्पेंशन को चुनौती देने वाली याचिका, उन्नाव रेप केस में नया मोड़, सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कुलदीप सेंगर की सजा निलंबित करने के दिल्ली हाईकोर्ट आदेश को चुनौती।

उन्नाव रेप केस फिर सुप्रीम कोर्ट पहुँचा, कुलदीप सेंगर की उम्रकैद की सजा निलंबित करने के दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती
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लंबे समय से चल रहे उन्नाव रेप मामले में मंगलवार को एक बार फिर हलचल देखने को मिली, जब भारत के सुप्रीम कोर्ट में एक नई याचिका दाखिल की गई। इस याचिका में दिल्ली हाईकोर्ट के उस हालिया आदेश को चुनौती दी गई है, जिसमें पूर्व भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की जेल की सजा को निलंबित कर दिया गया था। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह आदेश “न्याय की गंभीर विफलता” है, खासकर उस मामले में जिसने कभी पूरे देश को झकझोर दिया था।

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पृष्ठभूमि

यह याचिका अधिवक्ता अंजले पटेल और पूजा शिल्पकर की ओर से दाखिल की गई है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से 23 दिसंबर के हाईकोर्ट आदेश पर रोक लगाने की मांग की है। उस आदेश में उन्नाव रेप मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे सेंगर की सजा को, उनकी अपील लंबित रहने तक, निलंबित कर दिया गया था।

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दिसंबर 2019 में दिल्ली की ट्रायल कोर्ट ने सेंगर को 2017 में नाबालिग पीड़िता के अपहरण और बलात्कार का दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। ट्रायल कोर्ट ने साफ कहा था कि सेंगर को अपनी पूरी प्राकृतिक उम्र तक जेल में रहना चाहिए। इससे पहले, अगस्त 2019 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर यह मामला और इससे जुड़े अन्य केस उत्तर प्रदेश से दिल्ली स्थानांतरित किए गए थे, ताकि निष्पक्ष सुनवाई और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

अदालत की टिप्पणियाँ

सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दायर याचिका में दलील दी गई कि हाईकोर्ट ने सजा निलंबित करते समय अहम तथ्यों को नजरअंदाज कर दिया। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि अदालत ने सेंगर के आपराधिक इतिहास और अपराध की गंभीरता को सही ढंग से नहीं देखा। याचिका में कहा गया, “हाईकोर्ट ने कानून और तथ्यों दोनों में गंभीर गलती की है।”

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याचिका में अभियोजन पक्ष के उस रुख का भी जिक्र किया गया है, जिसमें कहा गया था कि पीड़िता के पिता की न्यायिक हिरासत के दौरान ही उनकी मौत हो गई, जिसे बाद में ट्रायल कोर्ट ने हिरासत में हुई मौत करार दिया। याचिका के अनुसार, “अदालत उस ठोस सबूत को समझने में विफल रही, जो आरोपी की दबंगई, आर्थिक प्रभाव और आपराधिक प्रवृत्ति को दिखाता है।” याचिकाकर्ताओं ने कहा कि इन पहलुओं के रहते किसी भी तरह की राहत नहीं दी जानी चाहिए थी।

निर्णय

दिल्ली हाईकोर्ट ने सेंगर की सजा निलंबित करते हुए यह कहा था कि वह पहले ही सात साल पांच महीने से अधिक समय जेल में बिता चुका है। अदालत ने कड़ी शर्तें भी लगाईं, जिनमें ₹15 लाख का निजी मुचलका और समान राशि के तीन जमानती शामिल हैं। साथ ही, उसे दिल्ली में पीड़िता के निवास स्थान के पांच किलोमीटर के दायरे में आने से रोका गया और पीड़िता या उसकी मां को धमकाने पर जमानत रद्द करने की चेतावनी दी गई।

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हालांकि, सेंगर फिलहाल जेल में ही रहेगा क्योंकि पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत के मामले में उसे 10 साल की सजा मिली हुई है और उस केस में उसे जमानत नहीं दी गई है। अब सुप्रीम कोर्ट इस बात पर विचार करेगा कि हाईकोर्ट द्वारा उम्रकैद की सजा निलंबित करने के आदेश पर रोक लगाई जानी चाहिए या नहीं, जब तक कि अपील पर सुनवाई पूरी नहीं हो जाती।

Case Title: Plea Challenging Suspension of Sentence in Unnao Rape Case (Kuldeep Singh Sengar)

Case No.: Not specified

Case Type: Criminal Petition / Special Leave Petition (Challenge to suspension of sentence)

Decision Date: Delhi High Court order dated December 23

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