सोमवार दोपहर सुप्रीम कोर्ट के कोर्ट नंबर 8 में एक तरह की अधूरी-सी भावना दिखी। लंबी कारण सूची, दर्जनों वकील अपनी बारी का इंतज़ार करते हुए, और आखिर में एक संक्षिप्त आदेश, जिसने वर्षों पुराने मामले को अगली तारीख के लिए टाल दिया। राजनीश कुमार पांडेय एवं अन्य बनाम भारत संघ एवं अन्य मामले की सुनवाई कर रही पीठ ने किसी भी ठोस बहस में जाने से परहेज़ किया, वजह थी एक व्यावहारिक बाधा।
पृष्ठभूमि
यह मामला 2016 में एक रिट याचिका के रूप में दायर हुआ था। समय के साथ इसमें कई जुड़ी याचिकाएँ, हस्तक्षेप अर्ज़ियाँ और अवमानना याचिकाएँ तक जुड़ती चली गईं। मूल विवाद विभिन्न राज्यों द्वारा अपनाई जा रही भर्ती प्रक्रियाओं से जुड़ा है। वर्षों के दौरान, अलग-अलग पक्षों से कई लोग अदालत पहुँचे-कोई प्रक्रिया के समर्थन में, तो कोई उसके विरोध में-जिससे मामला न केवल भारी हो गया, बल्कि संवेदनशील भी बन गया।
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इन जटिल मुद्दों पर अदालत की सहायता के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता ऋषि मल्होत्रा को पहले एमिकस क्यूरी यानी अदालत का मित्र नियुक्त किया गया था। कई राज्यों और हितधारकों की भागीदारी को देखते हुए, उनका तटस्थ दृष्टिकोण अदालत के लिए अहम रहा है।
अदालत की टिप्पणियाँ
जब 16 दिसंबर को मामला पुकारा गया, तो पीठ ने सबसे पहले यह दर्ज किया कि एमिकस क्यूरी उस दिन उपलब्ध नहीं हैं। उनकी अनुपस्थिति में, न्यायाधीश ऐसे तर्क सुनने के इच्छुक नहीं थे जिनका व्यापक प्रभाव पड़ सकता था।
“पीठ ने यह माना कि चूँकि आज Learned Amicus Curiae उपलब्ध नहीं हैं, इसलिए मामलों को पुनः सूचीबद्ध किया जाना उचित होगा,” आदेश में सीधे शब्दों में कहा गया। अदालत का माहौल भी इसी ओर इशारा कर रहा था; कई वकील चुपचाप सहमति में सिर हिलाते दिखे।
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साथ ही, पीठ ने उस चिंता को भी संबोधित किया, जो पहले कई राज्यों की ओर से उठाई गई थी-क्या लंबित मुकदमे के कारण चल रही भर्ती प्रक्रियाओं पर रोक लग जाएगी।
निर्णय
अदालत ने पूरे मामले को 13 जनवरी 2026 को अपराह्न 3 बजे के लिए स्थगित कर दिया। हालांकि, उठने से पहले पीठ ने एक बात साफ़ कर दी। अदालत ने निर्देश दिया कि सभी राज्य इस बीच अपनी भर्ती प्रक्रियाएँ जारी रख सकते हैं, बशर्ते वे “कानून के अनुसार” आगे बढ़ें।
इस छोटे लेकिन अहम स्पष्टीकरण के साथ, पीठ ने कार्यवाही समाप्त की और बड़े सवालों को नए साल के बाद सुनवाई के लिए छोड़ दिया।
Case Title: Rajneesh Kumar Pandey & Ors. vs Union of India & Ors.
Case No.: Writ Petition (Civil) No. 132 of 2016
Case Type: Writ Petition (Civil)
Decision Date: 16 December 2025














