सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में, नॉर्थ ईस्टर्न डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन (NEDFI) और दीमापुर स्थित एक कंपनी के बीच लंबे समय से चल रहे वित्तीय विवाद का आखिरकार पटाक्षेप हुआ। न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की अध्यक्षता वाली पीठ ने साफ कहा कि SARFAESI अधिनियम के तहत उठाए गए वसूली के त्वरित कदम उस समय नागालैंड में कानूनी रूप से टिकाऊ नहीं थे। NEDFI द्वारा दायर अपील खारिज कर दी गई और उधारकर्ता कंपनी के पक्ष में गुवाहाटी हाई कोर्ट के पहले के आदेश की पुष्टि की गई।
पृष्ठभूमि
यह मामला दो दशक से भी अधिक पुराना है। वर्ष 2000–2001 में, एम/एस एल. डूलो बिल्डर्स एंड सप्लायर्स प्राइवेट लिमिटेड ने दीमापुर में कोल्ड स्टोरेज यूनिट स्थापित करने के लिए NEDFI से वित्तीय सहायता मांगी थी। ऋण समझौता किया गया, लेकिन नागालैंड में अनुच्छेद 371A के तहत विशेष संवैधानिक संरक्षण होने के कारण, आदिवासी निवासियों की भूमि को किसी गैर-आदिवासी वित्तीय संस्था के पक्ष में सीधे गिरवी नहीं रखा जा सकता था।
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इस समस्या के समाधान के लिए, स्थानीय मॉडल विलेज काउंसिल गारंटर के रूप में सामने आई और उसने गारंटी विलेख निष्पादित किया, साथ ही कुछ संपत्तियों को सुरक्षा के रूप में अपने पास रखा। बाद में जब परियोजना असफल हो गई और ऋण की अदायगी रुक गई, तो NEDFI ने वसूली की कार्यवाही शुरू की। वर्ष 2011 में SARFAESI अधिनियम के तहत मांग नोटिस जारी किया गया और अंततः 2019 में कंपनी की संपत्तियों का भौतिक कब्जा ले लिया गया।
इसके खिलाफ उधारकर्ता ने गुवाहाटी हाई कोर्ट का रुख किया, जिसने पूरी SARFAESI कार्यवाही को अवैध घोषित कर दिया। इसके बाद NEDFI यह मामला सुप्रीम कोर्ट लेकर पहुंचा।
न्यायालय की टिप्पणियां
सुप्रीम कोर्ट ने SARFAESI की कानूनी संरचना को विस्तार से समझाया। सरल शब्दों में, यह कानून बैंकों और वित्तीय संस्थानों को बिना अदालत की दखल के सुरक्षित संपत्तियों को जब्त और बेचने की अनुमति देता है-लेकिन तभी, जब वैध “सिक्योरिटी इंटरेस्ट” मौजूद हो।
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पीठ ने कहा कि NEDFI के पक्ष में कभी भी किसी संपत्ति पर सीधा बंधक (मॉर्गेज) नहीं बनाया गया था। अदालत ने टिप्पणी की, “उधारकर्ता की संपत्तियों पर निगम के पक्ष में कोई अधिकार, स्वामित्व या हित स्थापित नहीं किया गया।” साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि केवल गारंटी होने से कोई ऋणदाता अपने आप SARFAESI के तहत सुरक्षित ऋणदाता नहीं बन जाता।
सबसे अहम बात यह रही कि अदालत ने नागालैंड की विशेष संवैधानिक स्थिति को रेखांकित किया। अनुच्छेद 371A के तहत भूमि के स्वामित्व और हस्तांतरण से जुड़े केंद्रीय कानून तब तक लागू नहीं होते, जब तक राज्य विधानसभा उन्हें स्वीकार न करे। SARFAESI अधिनियम को नागालैंड में औपचारिक रूप से दिसंबर 2021 में ही लागू किया गया था। पीठ ने कहा, “निगम की कार्रवाई उससे कई साल पहले शुरू हो चुकी थी,” और SARFAESI के इस्तेमाल को “अधिकार क्षेत्र से बाहर” बताया।
हालांकि NEDFI ने यह तर्क दिया कि पुराने और बकाया कर्ज पर वसूली कानून लागू होने चाहिए, लेकिन अदालत इससे सहमत नहीं हुई। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ऋणदाता अन्य कानूनी रास्तों, जैसे ऋण वसूली अधिकरण (DRT) के समक्ष कार्यवाही, अपना सकते हैं-लेकिन संवैधानिक सुरक्षा को दरकिनार कर नहीं।
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निर्णय
गुवाहाटी हाई कोर्ट के फैसले को पूरी तरह बरकरार रखते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने NEDFI की अपील खारिज कर दी। पीठ ने यह छूट जरूर दी कि निगम कानून के अनुसार उधारकर्ता कंपनी या ग्राम परिषद के खिलाफ वसूली की कार्यवाही कर सकता है, लेकिन इस मामले में SARFAESI के तहत की गई कार्रवाई पर पूरी तरह रोक लगा दी।
Case Title: North Eastern Development Finance Corporation Ltd. v. M/s L. Doulo Builders and Suppliers Co. Pvt. Ltd.
Case No.: Civil Appeal No. 6492 of 2024
Case Type: Civil Appeal (Loan Recovery / SARFAESI Act Dispute)
Decision Date: 16 December 2025









