Logo
Court Book - India Code App - Play Store

advertisement

सुप्रीम कोर्ट ने बैंक ऑफ बड़ौदा की बर्खास्तगी रद्द की: प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों को दी मजबूती

Shivam Y.

के. प्रभाकर हेगड़े बनाम बैंक ऑफ बड़ौदा - सुप्रीम कोर्ट ने बैंक ऑफ बड़ौदा द्वारा के. प्रभाकर हेगड़े की बर्खास्तगी को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि प्राकृतिक न्याय का उल्लंघन स्वयं पूर्वाग्रह है। न्यायालय ने उनके सेवानिवृत्ति लाभ बहाल कर दिये।

सुप्रीम कोर्ट ने बैंक ऑफ बड़ौदा की बर्खास्तगी रद्द की: प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों को दी मजबूती

भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने के. प्रभाकर हेगड़े बनाम बैंक ऑफ बड़ौदा (सिविल अपील संख्या 6599/2025) में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है, जिसमें कहा गया है कि प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन अपने आप में ही पक्षपात है और इसे "कोई नुकसान साबित नहीं हुआ" कहकर नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

Read in English

मामले की पृष्ठभूमि

के. प्रभाकर हेगड़े ने 1959 में विजय बैंक (बाद में बैंक ऑफ बड़ौदा में विलय) में नौकरी शुरू की और दिल्ली में ज़ोनल हेड तक पदोन्नत हुए। 1999 में उन पर अस्थायी ओवरड्राफ्ट (TOD) मंजूरी देने में अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए नोटिस जारी किया गया, जिसमें ₹15 लाख का एक ओवरड्राफ्ट एम/एस कुनाल ट्रैवल्स प्रा. लि. को देने का मामला भी शामिल था।

Read also:- दिल्ली हाई कोर्ट ने HT मीडिया के खिलाफ 40 लाख रुपये के मानहानि मामले में डिक्री पर रोक लगाई

विभागीय जांच के बाद जुलाई 2002 में उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया गया, जबकि वे 2006 में सेवानिवृत्त हुए। 2003 में उनकी अपील भी खारिज कर दी गई।

कर्नाटक उच्च न्यायालय के एकल पीठ ने 2009 में बर्खास्तगी रद्द कर दी और उन्हें सेवानिवृत्ति लाभ देने का आदेश दिया, लेकिन 2021 में डिवीजन बेंच ने इसे पलटते हुए बर्खास्तगी बहाल कर दी। इसके बाद हेगड़े ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

सुप्रीम कोर्ट ने तीन प्रमुख मुद्दों पर विचार किया:

  1. क्या प्रारंभिक जांच रिपोर्ट न देने से अपीलकर्ता को नुकसान हुआ?
  2. क्या विजय बैंक विनियम 6(17) के तहत परिस्थितियों पर प्रश्न न पूछे जाने से जांच अवैध हो गई?
  3. क्या सेवानिवृत्ति के बाद भी अनुशासनात्मक कार्यवाही जारी रखी जा सकती है?

Read also:- आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने अवैध स्पीड ब्रेकरों को हटाने का आदेश दिया, भारतीय सड़क कांग्रेस मानदंडों का कड़ाई से अनुपालन करने का निर्देश दिया

न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता ने फैसला सुनाते हुए एस.एल. कपूर बनाम जगमोहन, ओल्गा टेलिस बनाम बॉम्बे म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन, तुलसीराम पटेल मामला और ए.आर. अंतुले बनाम आर.एस. नायक जैसे पूर्व संवैधानिक पीठ के फैसलों पर भरोसा जताया।

न्यायालय ने दोहराया:

“प्राकृतिक न्याय का पालन न करना अपने आप में ही किसी व्यक्ति के लिए पक्षपात है, और इसके लिए अलग से नुकसान साबित करने की आवश्यकता नहीं है।”

प्रारंभिक जांच रिपोर्ट पर न्यायालय ने कहा कि चूंकि जांच अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट में इस पर भरोसा नहीं किया, इसलिए इसे न देना नुकसान नहीं माना जा सकता। लेकिन विनियम 6(17) के तहत आरोपित अधिकारी से साक्ष्यों पर प्रश्न पूछना अनिवार्य कर्तव्य था। ऐसा न करना प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन है।

Read also:- मद्रास हाईकोर्ट का फैसला: रिज़ॉल्यूशन प्रोफेशनल अब माने जाएंगे लोक सेवक, भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत कार्रवाई संभव

न्यायालय ने यह भी पाया कि केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) की बर्खास्तगी संबंधी सिफारिश को बिना उपलब्ध कराए ही माना गया, जिससे पूरी प्रक्रिया दूषित हो गई।

सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय की डिवीजन बेंच का आदेश और अनुशासनात्मक बर्खास्तगी रद्द कर दी। इसके साथ ही एकल पीठ का आदेश बहाल किया गया, जिसके तहत हेगड़े को सभी सेवानिवृत्ति लाभ ऐसे मिलेंगे मानो उन्हें कभी बर्खास्त किया ही न गया हो।

केस का शीर्षक: के. प्रभाकर हेगड़े बनाम बैंक ऑफ बड़ौदा

केस संख्या: 2025 की सिविल अपील संख्या 6599

Advertisment

Recommended Posts

SC ने 5,250 दिन पुराने मामले में देरी की माफ़ी को खारिज किया, मामला बॉम्बे हाईकोर्ट को वापस भेजा

SC ने 5,250 दिन पुराने मामले में देरी की माफ़ी को खारिज किया, मामला बॉम्बे हाईकोर्ट को वापस भेजा

15 Aug 2025 11:15 AM
कर्नाटक हाईकोर्ट में बॉश लिमिटेड के खिलाफ श्रम विवाद पर कई याचिकाओं की सुनवाई

कर्नाटक हाईकोर्ट में बॉश लिमिटेड के खिलाफ श्रम विवाद पर कई याचिकाओं की सुनवाई

18 Aug 2025 11:19 AM
सुप्रीम कोर्ट ने कथित धोखाधड़ी वाले संपत्ति निपटान मामले में आदेश वापस लिया

सुप्रीम कोर्ट ने कथित धोखाधड़ी वाले संपत्ति निपटान मामले में आदेश वापस लिया

13 Aug 2025 2:07 PM
सुप्रीम कोर्ट ने ट्रस्ट विवाद डिक्री बहाल की, पक्षों को रुख बदलने पर फटकार

सुप्रीम कोर्ट ने ट्रस्ट विवाद डिक्री बहाल की, पक्षों को रुख बदलने पर फटकार

15 Aug 2025 1:20 PM
हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत कृष्ण कुमार कसाना को स्टॉकिंग मामले में प्री-अरेस्ट बेल दी

हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत कृष्ण कुमार कसाना को स्टॉकिंग मामले में प्री-अरेस्ट बेल दी

16 Aug 2025 11:02 AM
मध्य प्रदेश हत्या मामले में सबूतों पर संदेह के कारण सुप्रीम कोर्ट ने बरी को बरकरार रखा

मध्य प्रदेश हत्या मामले में सबूतों पर संदेह के कारण सुप्रीम कोर्ट ने बरी को बरकरार रखा

12 Aug 2025 12:46 PM
भारतीय विधि परिषद ने गुणवत्ता मानकों को बनाए रखने के लिए नए लॉ कॉलेजों पर तीन वर्षीय प्रतिबंध लगाया

भारतीय विधि परिषद ने गुणवत्ता मानकों को बनाए रखने के लिए नए लॉ कॉलेजों पर तीन वर्षीय प्रतिबंध लगाया

14 Aug 2025 2:33 PM
सुप्रीम कोर्ट ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की कुलपति नियुक्ति पर उठाए सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की कुलपति नियुक्ति पर उठाए सवाल

18 Aug 2025 9:35 AM
NI एक्ट मामले में उच्च न्यायालय ने पक्षों के समझौते के बाद कंपाउंडिंग फीस घटाकर 5% कर दी

NI एक्ट मामले में उच्च न्यायालय ने पक्षों के समझौते के बाद कंपाउंडिंग फीस घटाकर 5% कर दी

14 Aug 2025 11:22 AM
बॉम्बे हाईकोर्ट ने सबूतों के अभाव में पति और ससुराल वालों को धारा 498-ए के आरोपों से मुक्त किया

बॉम्बे हाईकोर्ट ने सबूतों के अभाव में पति और ससुराल वालों को धारा 498-ए के आरोपों से मुक्त किया

11 Aug 2025 9:06 AM