सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाईकोर्ट का वह आदेश रद्द कर दिया है, जिसमें अभिनेता दर्शन समेत कई आरोपियों को एक क्रूर हत्या मामले में जमानत दी गई थी। यह मामला जून 2024 में रेनुकास्वामी के अपहरण और हत्या से जुड़ा है, जिसमें कथित तौर पर साजिश, यातना और शव को बेंगलुरु के पास फेंकना शामिल है।
हाईकोर्ट ने पहले जमानत देते समय, गिरफ्तारी के लिखित आधार देने में देरी जैसे प्रक्रियागत त्रुटियों का हवाला दिया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे दोष, बिना किसी ठोस नुकसान के प्रमाण के, हत्या जैसे गंभीर मामलों में जमानत का आधार नहीं हो सकते, खासकर जब मज़बूत प्राथमिक साक्ष्य मौजूद हों। अदालत ने पाया कि हाईकोर्ट ने जमानत के चरण में ही मामले के गुण-दोष पर राय दी, जो कानूनन गलत है, और फोरेंसिक, प्रत्यक्षदर्शी व डिजिटल सबूतों के साथ-साथ अपराध की गंभीरता को नज़रअंदाज़ किया।
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता पूर्ण नहीं है और विशेषकर जघन्य अपराधों में, व्यक्तिगत अधिकारों और सामाजिक हित के बीच संतुलन बनाना ज़रूरी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट का “लापरवाह” रवैया गवाहों पर दबाव और मुकदमे में देरी का खतरा बढ़ाता है, और इससे पहले ही कुछ आरोपी फरार हो चुके हैं।
"हाईकोर्ट ने सभी जमानत याचिकाओं को बहुत लापरवाही से निपटाया… जिससे कई आरोपी फरार हो गए और मुकदमा खतरे में पड़ गया।" – सुप्रीम कोर्ट
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सर्वोच्च न्यायालय ने सभी आरोपियों को ट्रायल कोर्ट में सरेंडर करने का आदेश दिया और दोहराया कि जमानत का फैसला सोच-समझकर, अपराध की गंभीरता और सबूतों के वज़न को ध्यान में रखकर किया जाना चाहिए।
मामले का शीर्षक: कर्नाटक राज्य बनाम श्री दर्शन एवं अन्य
मामला संख्या: आपराधिक अपील संख्या 3528-3534/2025 (विशेष अनुमति याचिका (आपराधिक अपील) संख्या 516-522/2025 से उत्पन्न)
निर्णय की तिथि: 2025 (2025 आईएनएससी 979 के रूप में रिपोर्ट किया गया)
अपीलकर्ता: कर्नाटक राज्य
प्रतिवादी: श्री दर्शन (अभिनेता) एवं अन्य