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ओडिशा हाई कोर्ट ने हत्या के प्रयास के मामले में दी जमानत, लंबी हिरासत और फ्री-फाइट दलीलों के बाद चोट रिपोर्ट पर की विस्तृत चर्चा

Vivek G.

सूर्य नारायण @ सूर्य वास, ओडिशा राज्य, ओडिशा हाई कोर्ट ने हत्या के प्रयास के मामले में लंबी हिरासत, चोट रिपोर्ट और फ्री-फाइट दलीलों के आधार पर जमानत दी, सख्त शर्तें लगाईं।

ओडिशा हाई कोर्ट ने हत्या के प्रयास के मामले में दी जमानत, लंबी हिरासत और फ्री-फाइट दलीलों के बाद चोट रिपोर्ट पर की विस्तृत चर्चा
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गुरुवार को ओडिशा हाई कोर्ट के कोर्ट में माहौल संयमित था, कोई नाटकीयता नहीं। न्यायमूर्ति सिबो शंकर मिश्रा ने मेडिकल रिपोर्ट और पुलिस के कागजात शांति से देखे, इसके बाद उस व्यक्ति को जमानत देने का आदेश दिया, जिस पर एक युवती पर गंभीर हमले का आरोप है। यह मामला स्थानीय स्तर पर इसलिए चर्चा में रहा क्योंकि इसमें हिंसा की गंभीरता और हत्या के प्रयास का आरोप शामिल था।

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पृष्ठभूमि

याचिकाकर्ता सूर्य नारायण @ सूर्य प्रधान, जून 2025 में दर्ज जगन्नाथप्रसाद थाना कांड का आरोपी है। अभियोजन पक्ष के अनुसार, घटना 26 जून की सुबह करीब 10:15 बजे की है, जब सूचक की बेटी पर लकड़ी के डंडे से हमला किया गया।

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पुलिस का कहना है कि वार सिर पर किया गया था। खुद को बचाने की कोशिश में लड़की ने हाथ उठाए, लेकिन फिर भी उसके कान के पास गंभीर चोट आई। पहले उसका इलाज जगन्नाथप्रसाद अस्पताल में हुआ और बाद में बेहतर उपचार के लिए उसे भुवनेश्वर भेजा गया। मेडिकल दस्तावेजों में बाद में जबड़े की हड्डी में फ्रैक्चर और कान के पास चोट की पुष्टि हुई।

स्थानीय मजिस्ट्रेट ने सितंबर में आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। तब से वह न्यायिक हिरासत में था। कोई अन्य जमानत अर्जी लंबित न होने के चलते उसने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

न्यायालय की टिप्पणियाँ

सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से चोट की रिपोर्ट अदालत के सामने रखी गई। रिपोर्ट में जबड़े की हड्डी में फ्रैक्चर, जिसमें पैरासिम्फाइसिस फ्रैक्चर और बाईं ओर सब-कॉन्डायलर फ्रैक्चर शामिल था, का उल्लेख किया गया। जांच अधिकारी ने यह भी बताया कि चोटें “गंभीर” थीं और जब्त किए गए लकड़ी के डंडे से संभव हो सकती थीं।

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इसी बीच, बचाव पक्ष ने एक अहम बिंदु उठाया। वकील ने दलील दी कि आरोपी की ओर से भी एक काउंटर शिकायत दर्ज कराई गई थी, जिससे यह संकेत मिलता है कि मामला एकतरफा हमला नहीं बल्कि आपसी झड़प का हो सकता है। हालांकि पुलिस ने इसे एफआईआर के रूप में दर्ज नहीं किया, लेकिन न्यायाधीश ने नोट किया कि “आरोप और प्रति-आरोप से प्रतीत होता है कि घटना के दिन दोनों पक्षों के बीच आमने-सामने की फ्री फाइट हुई थी।”

पीठ ने इस तथ्य पर भी ध्यान दिया कि आरोपी काफी समय से जेल में है। सूर्य 3 सितंबर 2025 से हिरासत में है, जबकि अभी तक ट्रायल शुरू नहीं हुआ है।

निर्णय

चोटों की गंभीरता, हिरासत की अवधि और समग्र परिस्थितियों को संतुलित करते हुए अदालत ने जमानत देने का फैसला किया। न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा, “हिरासत की अवधि और घायल को लगी चोटों की प्रकृति को देखते हुए” याचिकाकर्ता को सशर्त रिहाई का लाभ दिया जाना उचित है।

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हाई कोर्ट ने सूर्य को कड़ी शर्तों के साथ जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया। उसे तीन महीने तक हर पंद्रह दिन में संबंधित पुलिस स्टेशन में हाजिरी देनी होगी, ट्रायल कोर्ट की अनुमति के बिना क्षेत्राधिकार से बाहर नहीं जाना होगा और हर सुनवाई की तारीख पर उपस्थित रहना होगा। साथ ही, उसे पीड़िता या उसके परिवार के सदस्यों से संपर्क करने से मना किया गया है और साक्ष्यों से छेड़छाड़ या किसी भी अपराध से दूर रहने की चेतावनी दी गई है। अदालत ने साफ किया कि किसी भी शर्त के उल्लंघन पर जमानत रद्द की जा सकती है।

Case Title: Surya Narayan @ Surya vs State of Odisha

Case No.: BLAPL No. 9608 of 2025

Case Type: Bail Application (Attempt to Murder allegation)

Decision Date: 19 December 2025

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