पटना उच्च न्यायालय ने हाल ही में 13-08-2025 के अपने एक निर्णय में बिहार संस्कृतिक विद्यापीठ के संचालन पर लगे स्टेटस कोव आदेश में संशोधन किया। यह मामला (CR. मिस्क. नंबर 2699/2025) संस्थान के प्रबंधन को लेकर विवाद से उत्पन्न हुआ था, जिसमें निर्वाचित सचिव महंत कमल नारायण दास ने 16.04.2024 के आदेश में संशोधन की मांग की थी।
मामले की पृष्ठभूमि
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि स्टेटस कोव आदेश ने विद्यापीठ के दैनिक संचालन, जिसमें रखरखाव कार्य, धार्मिक अनुष्ठान और शैक्षणिक गतिविधियाँ शामिल हैं, में बाधा उत्पन्न की थी। आम सभा द्वारा निर्वाचित और सोसाइटी रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत पंजीकृत कार्यकारी समिति को बिहार के निरीक्षक महापंजीयक द्वारा मान्यता प्रदान की गई थी। इसके बावजूद, आदेश ने संस्थान के प्रबंधन में बाधाएँ खड़ी कर दी थीं।
न्यायमूर्ति राजेश कुमार वर्मा ने नोट किया कि पंजीयन विभाग ने याचिकाकर्ता को निर्वाचित सचिव और कार्यकारी समिति को वैध मान्यता दी थी। न्यायालय ने देखा कि स्टेटस कोव आदेश संस्थान के संचालन में बाधक बन गया था। परिणामस्वरूप, पहले के आदेश से "दोनों पक्षों को स्टेटस कोव बनाए रखने का निर्देश दिया गया है" वाक्यांश को हटा दिया गया
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"16.04.2024 के आदेश में संशोधन किया जाता है, जिससे 'दोनों पक्षों को स्टेटस कोव बनाए रखने का निर्देश दिया गया है' वाक्यांश को हटाया जाएगा।"
विपक्षी पक्ष संख्या 2 ने तर्क दिया कि संशोधन की आवश्यकता नहीं थी क्योंकि टाइटल सूट (नंबर 6/2020 और नंबर 303/2021) अभी भी लंबित थे। हालाँकि, न्यायालय ने कानूनी विवादों के बावजूद संस्थान की परिचालन आवश्यकताओं को प्राथमिकता दी, जिससे सुचारू प्रबंधन सुनिश्चित हुआ।
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केस का शीर्षक: महंत कमल नारायण दास बनाम जगत नारायण शर्मा एवं अन्य
केस संख्या: CR. MISC. No 2699/2025 ( CR. MISC. No 72012/2023 से उत्पन्न)