जयपुर, 20 अगस्त: राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के उस फैसले पर रोक लगा दी है, जिसके तहत राजस्थान हाउसिंग बोर्ड के लिए अधिग्रहित ज़मीन पर बनी अवैध कॉलोनियों को नियमित करने का निर्णय लिया गया था। यह आदेश पब्लिक अगेंस्ट करप्शन नामक संस्था द्वारा दायर जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई के दौरान दिया गया।
न्यायमूर्ति संजीव प्रकाश शर्मा और न्यायमूर्ति संजीत पुरोहित की खंडपीठ ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया और टिप्पणी की कि शहरी विकास एवं आवासन (UDH) विभाग का 12 मार्च 2025 का आदेश, जिसके तहत इन कॉलोनियों को नियमित करने की अनुमति दी गई थी, स्थापित कानूनी सिद्धांतों के विपरीत है।
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अदालत ने उल्लेख किया कि सर्वोच्च न्यायालय ने राजेंद्र कुमार बड़जात्या बनाम यूपी आवास विकास परिषद (2024 INSC 990) मामले में स्पष्ट कहा था कि अनधिकृत निर्माण को प्रोत्साहित नहीं किया जा सकता। सर्वोच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में सख्त टिप्पणी करते हुए कहा था:
"बिना स्वीकृति के किए गए निर्माण को सख्ती से रोका जाना चाहिए। देरी, लापरवाही या वित्तीय हानि अवैध गतिविधियों के बचाव के रूप में स्वीकार्य नहीं हो सकती।"
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राजस्थान हाईकोर्ट ने इस मिसाल पर भरोसा जताते हुए कहा कि जिस ज़मीन का अधिग्रहण सार्वजनिक आवास परियोजनाओं के लिए किया गया था, उस पर बनी कॉलोनियों का नियमितीकरण न केवल भूमि अधिग्रहण के उद्देश्य को निष्फल करता है बल्कि राज्य की कोषागार को भी भारी नुकसान पहुंचाता है।
न्यायालय ने चेतावनी दी कि ऐसे कदमों से "प्रदूषण, अव्यवस्थित यातायात, सुरक्षा जोखिम और नियोजित विकास की विफलता" जैसी गंभीर समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
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खंडपीठ ने साफ किया कि हाउसिंग बोर्ड के लिए अधिग्रहित भूमि पर हुए किसी भी अतिक्रमण को ध्वस्त और हटाया जाना चाहिए। साथ ही उन अधिकारियों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए जिन्होंने ऐसे अवैध निर्माण की अनुमति दी।
इस अंतरिम आदेश के साथ, UDH के 12 मार्च 2025 के परिपत्र का संचालन तब तक निलंबित रहेगा जब तक कि इस जनहित याचिका का अंतिम निपटारा नहीं हो जाता। मामला आठ सप्ताह बाद फिर सूचीबद्ध किया जाएगा।
केस का शीर्षक: पब्लिक अगेंस्ट करप्शन बनाम राजस्थान राज्य
केस नंबर: D.B. Civil Writ Petition No. 6198/2025