भारत के सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि रूस कानूनी रूप से बाध्य है कि वह भारत की मदद करे, उस रूसी महिला और उसके बच्चे को खोजने में, जो अपने भारतीय पति के साथ चल रहे कस्टडी विवाद के दौरान लापता हो गई।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा कि भारत-रूस आपसी कानूनी सहयोग संधि के तहत रूस की ज़िम्मेदारी है कि वह जांच में मदद करे, जिसमें लापता व्यक्तियों को ढूंढना भी शामिल है। कोर्ट ने विदेश मंत्रालय (MEA) को निर्देश दिया कि वह सभी ज़रूरी दस्तावेज़ों के साथ रूस को फिर से अनुरोध भेजे।
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“रूसी दूतावास को अपनी द्विपक्षीय संधि संबंधी जिम्मेदारियों को याद रखना चाहिए, जिसमें व्यक्तियों को ढूंढना और पहचान करना शामिल है,” कोर्ट ने कहा।
कोर्ट ने रूसी दूतावास को पहले सहयोग न करने पर फटकार लगाई और भारतीय अधिकारियों को कहा कि वे राजनयिक माध्यमों से सक्रिय कदम उठाएं। न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने सवाल किया कि भारत का मॉस्को स्थित दूतावास इस मामले में पूरी तरह से अपने संसाधनों का उपयोग क्यों नहीं कर रहा।
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) ने बताया कि:
- महिला पर किडनैपिंग, फर्जीवाड़ा और आपराधिक साजिश का मामला दर्ज हुआ है।
- इंटरपोल ने उसके खिलाफ ब्लू कॉर्नर नोटिस जारी किया है।
- दिल्ली पुलिस की लापरवाही पर कार्रवाई शुरू की गई है, क्योंकि कोर्ट के आदेशों के बावजूद महिला बच्चे के साथ भाग गई।
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कोर्ट ने चिंता जताई कि बच्चा अदालत की कस्टडी से ले जाया गया है, सिर्फ पिता की नहीं, और इसे “गंभीर अवमानना” बताया।
मामले की पृष्ठभूमि
इस दंपत्ति के पाँच साल के बच्चे की संयुक्त कस्टडी थी। 7 जुलाई को माँ बच्चे के साथ गायब हो गई। बाद में पता चला कि वह नेपाल और यूएई होते हुए 16 जुलाई को रूस पहुँच गई। यह भी आरोप लगे कि उसे रूसी दूतावास में एक डिप्लोमैट के साथ देखा गया।
अब यह मामला जारी रहेगा और केंद्र व विदेश मंत्रालय को अगली सुनवाई में कोर्ट को यह बताना होगा कि माँ और बच्चे को वापस लाने के लिए क्या कदम उठाए गए।
केस: विक्टोरिया बसु बनाम पश्चिम बंगाल राज्य एवं अन्य, डब्ल्यू.पी.(Crl.) संख्या 129/2023