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सर्वोच्च न्यायालय का बड़ा फैसला: ताराबाई नगर मामले में भूमि मालिक को पुनर्विकास का पहला अधिकार

Vivek G.

सुप्रीम कोर्ट ने ताराबाई नगर सहकारी गृहनिर्माण सोसायटी बनाम महाराष्ट्र राज्य मामले में भूमि मालिक के पहले अधिकार को मान्यता दी और राज्य का अधिग्रहण रद्द किया।

सर्वोच्च न्यायालय का बड़ा फैसला: ताराबाई नगर मामले में भूमि मालिक को पुनर्विकास का पहला अधिकार

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक अहम फैसला सुनाया है जिसमें ताराबाई नगर सहकारी गृहनिर्माण सोसायटी (प्रस्तावित), महाराष्ट्र राज्य, स्लम रिहैबिलिटेशन अथॉरिटी (SRA) और इंडियन कॉर्क मिल्स प्रा. लि. (ICM) के बीच भूमि अधिग्रहण और पुनर्विकास से जुड़े विवाद पर निर्णय दिया गया। यह मामला इस बात पर केंद्रित था कि महाराष्ट्र स्लम क्षेत्र (सुधार, सफाई और पुनर्विकास) अधिनियम, 1971 के तहत भूमि अधिग्रहण कितना वैध है और पुनर्विकास में भूमि मालिक का अधिकार क्या है।

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मामले की पृष्ठभूमि

मामला मुंबई के तुनगा गांव, कुरला स्थित लगभग 9,054 वर्ग मीटर भूमि का है। इस भूमि का एक हिस्सा 1979 में स्लम क्षेत्र घोषित किया गया था। समय के साथ झोपड़पट्टी के लोग संगठित होकर ताराबाई नगर सहकारी गृहनिर्माण सोसायटी (प्रस्तावित) के रूप में 2002 में पंजीकृत हुए।

सोसायटी ने भूमि अधिग्रहण और पुनर्विकास की मांग की और 2011 में SRA ने पूरी भूमि को स्लम पुनर्विकास क्षेत्र (SR Area) घोषित कर दिया। इसके बाद 2016 में महाराष्ट्र सरकार ने इस भूमि के अधिग्रहण की अधिसूचना जारी की।

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लेकिन मूल भूमि मालिक इंडियन कॉर्क मिल्स प्रा. लि. (ICM) ने आपत्ति जताई और कहा कि उसे भूमि के पुनर्विकास का पहला अधिकार है। 2018 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने ICM के पक्ष में फैसला सुनाते हुए अधिग्रहण रद्द कर दिया। इसके खिलाफ ताराबाई सोसायटी, महाराष्ट्र सरकार और SRA ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की।

सुप्रीम कोर्ट ने चार महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार किया:

  1. क्या भूमि मालिक को पुनर्विकास का प्राथमिक अधिकार है?
  2. क्या SRA के कदम उठाने से पहले भूमि मालिक को विशेष नोटिस या आमंत्रण देना जरूरी है?
  3. क्या राज्य सरकार का भूमि अधिग्रहण अधिकार (धारा 14) भूमि मालिक के अधिकार पर निर्भर है?
  4. क्या बॉम्बे हाईकोर्ट का अधिग्रहण रद्द करने का फैसला सही था?

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न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने फैसला लिखते हुए हाईकोर्ट के दृष्टिकोण को सही ठहराया। अदालत ने कहा:

  • भूमि मालिक का पहला अधिकार: “भूमि मालिक को पहला अधिकार है कि वह SR क्षेत्र का पुनर्विकास करे। केवल तभी SRA कदम उठा सकती है जब मालिक उचित समय में कार्रवाई न करे।”
  • विशेष नोटिस आवश्यक: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भूमि मालिक को पुनर्विकास प्रस्ताव देने के लिए सीधे नोटिस और आमंत्रण दिया जाना चाहिए। केवल सरकारी राजपत्र में प्रकाशन पर्याप्त नहीं है।
  • अधिग्रहण पर रोक: राज्य सरकार सीधे भूमि का अधिग्रहण नहीं कर सकती जब तक कि भूमि मालिक को अपना वैधानिक अधिकार (धारा 13) इस्तेमाल करने का अवसर न दिया जाए।
  • विवादित अधिग्रहण अमान्य: चूंकि ICM को पुनर्विकास योजना प्रस्तुत करने का अवसर ही नहीं दिया गया था, इसलिए राज्य सरकार का अधिग्रहण गैरकानूनी घोषित किया गया। अदालत ने ICM की योजना पर विचार करने का निर्देश दिया।

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“भूमि मालिक को पुनर्विकास का पहला अधिकार देना विधायी मंशा के अनुरूप है। यदि इस अधिकार से इनकार किया जाए तो अवैध प्रस्तावों को बढ़ावा मिलेगा और असली मालिक अपने अधिकारों से वंचित हो जाएंगे।”

अदालत ने यह भी कहा कि स्लम निवासियों का पुनर्वास सर्वोच्च प्राथमिकता है, लेकिन न्यायसंगत यह है कि भूमि मालिक को वैधानिक अवसर दिए बिना सरकार कदम न उठाए।

मामले का नाम: Tarabai Nagar Co-Operative Housing Society (Proposed) बनाम State of Maharashtra & Others

साथ में संबंधित अपीलें –

  • State of Maharashtra & Another बनाम Indian Cork Mills Pvt. Ltd. & Others
  • Slum Rehabilitation Authority बनाम State of Maharashtra & Others

जजमेंट डेट: वर्ष 2025

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