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हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने एनडीपीएस मामले में दिग्विजय सिंह की सजा बरकरार रखी

Prince V.

हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने दिग्विजय सिंह की एनडीपीएस एक्ट में दोषसिद्धि बरकरार रखी। हेरोइन बरामदगी मामले में उनकी अपील खारिज, चार साल की सजा और जुर्माना कायम।

हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने एनडीपीएस मामले में दिग्विजय सिंह की सजा बरकरार रखी

हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट, शिमला ने दिग्विजय सिंह की एनडीपीएस अधिनियम, 1985 की धारा 21 के तहत दोषसिद्धि को बरकरार रखा है। अदालत ने उनकी अपील खारिज कर दी और विशेष न्यायाधीश, शिमला द्वारा सुनाई गई चार साल की कठोर कैद और ₹25,000 के जुर्माने की सजा को सही ठहराया।

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यह मामला सितंबर 2018 का है, जब पुलिस ने देर रात हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी के पास गश्त के दौरान एक वाहन को संदिग्ध स्थिति में खड़ा पाया। गाड़ी के अंदर बैठे दिग्विजय सिंह से पूछताछ की गई, लेकिन वे संतोषजनक दस्तावेज़ नहीं दिखा सके। जब पुलिस ने डैशबोर्ड की जांच की तो उसमें टेप में लिपटा एक पैकेट मिला, जिसमें से हेरोइन बरामद हुई। बरामदगी को सील कर फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा गया, जिसमें यह हेरोइन साबित हुई।

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अप्रैल 2024 में ट्रायल कोर्ट ने पुलिस अधिकारियों की गवाही को विश्वसनीय मानते हुए दिग्विजय को दोषी ठहराया था, जबकि सह-अभियुक्त विपुल ठाकुर को बरी कर दिया गया था।

अपील में दिग्विजय सिंह ने दलील दी कि उन्हें झूठा फंसाया गया है और स्वतंत्र गवाहों की अनुपस्थिति से अभियोजन की कहानी कमजोर हो जाती है। उन्होंने गवाहों के बयानों में विरोधाभास और सबूतों के साथ छेड़छाड़ का भी आरोप लगाया।

लेकिन न्यायमूर्ति राकेश कंठला ने इन दलीलों को खारिज करते हुए कहा:
“स्वतंत्र गवाहों की अनुपस्थिति अभियोजन के लिए घातक नहीं है। आधिकारिक गवाहों की गवाही भी समान साक्ष्य मूल्य रखती है और अदालत को उनका सावधानीपूर्वक परीक्षण करना होता है।”

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अदालत ने यह भी माना कि वर्षों बाद गवाहों के बयानों में छोटे-छोटे विरोधाभास स्वाभाविक हैं और इससे अभियोजन का मामला कमजोर नहीं होता। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि यह “संयोगवश बरामदगी” (chance recovery) थी और पुलिस की कार्रवाई कानूनी थी।

हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को बरकरार रखते हुए सजा और दोषसिद्धि को सही ठहराया।

केस शीर्षक : Digvijay Singh vs. State of Himachal Pradesh
केस नंबर : Criminal Appeal No. 204 of 2024

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