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सुप्रीम कोर्ट ने चामुंडेश्वरी बिजली मामले में APTEL और KERC के आदेश रद्द किए

Vivek G.

सुप्रीम कोर्ट ने CESC की अपील स्वीकार की, KERC और APTEL के आदेश रद्द किए। सौर ऊर्जा परियोजना में PPA देरी और बैंक गारंटी एनकैशमेंट पर बड़ा फैसला।

सुप्रीम कोर्ट ने चामुंडेश्वरी बिजली मामले में APTEL और KERC के आदेश रद्द किए

भारत के सुप्रीम कोर्ट ने चामुंडेश्वरी इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई कंपनी लिमिटेड (CESC) की अपील स्वीकार कर ली और कर्नाटक इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन (KERC) तथा अपीलीय न्यायाधिकरण (APTEL) के आदेशों को रद्द कर दिया। यह विवाद कर्नाटक के चित्रदुर्गा जिले में 10 मेगावाट के सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट से जुड़ा हुआ था।

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मामले की पृष्ठभूमि

विवाद तब शुरू हुआ जब साईसुधीर एनर्जी (चित्रदुर्गा) प्रा. लि., परियोजना डेवलपर ने अगस्त 2012 में CESC के साथ एक पावर परचेज एग्रीमेंट (PPA) किया। इसमें ₹8.49 प्रति यूनिट की दर पर बिजली आपूर्ति का प्रावधान था। समझौते में तय था कि डेवलपर को पूर्व शर्तें (Conditions Precedent - CPs) 240 दिनों के भीतर पूरी करनी होंगी और वाणिज्यिक संचालन तिथि (COD) 12 महीने में हासिल करनी होगी।

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लेकिन कर्नाटक पावर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन लिमिटेड (KPTCL) समय पर 220 केवी ट्रांसमिशन लाइनें पूरी नहीं कर पाया। डेवलपर ने समय बढ़ाने की मांग की, लेकिन CESC ने दर घटाकर ₹2.39 प्रति यूनिट करने पर जोर दिया। इसी से कानूनी विवाद शुरू हुआ।

KERC के अंतरिम आदेशों के बावजूद CESC ने यह कहते हुए ₹24.9 करोड़ की परफॉर्मेंस बैंक गारंटी एनकैश कर ली कि डेवलपर अपने दायित्व पूरे नहीं कर सका।

28 जनवरी 2015 को KERC ने माना कि देरी डेवलपर के नियंत्रण से बाहर एक फोर्स मेज्योर घटना थी और आदेश दिया कि:

  • एनकैश की गई बैंक गारंटी वापस की जाए,
  • अनुबंध की समयसीमा बढ़ाई जाए, और
  • टैरिफ का पुनः समझौता किया जाए।

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APTEL ने 21 मार्च 2018 को इस निर्णय को बरकरार रखा।

सुप्रीम कोर्ट ने इस विवाद में पांच अहम मुद्दों की जांच की, जिनमें CESC द्वारा बैंक गारंटी एनकैश करने का अधिकार और देरी को फोर्स मेज्योर मानने का सवाल शामिल था।

अदालत ने कहा:

  • डेवलपर ने न तो अनुच्छेद 5.7 के तहत समय विस्तार मांगा और न ही अनुच्छेद 14.5 के तहत फोर्स मेज्योर नोटिस जारी किया।
  • KPTCL की देरी से समयसीमा अपने आप नहीं बढ़ जाती; राहत अनुबंध की शर्तों के तहत ही लेनी चाहिए।
  • CESC ने 12.11.2014 को गारंटी एनकैश की थी, जबकि KERC का रोक आदेश 14.11.2014 को आया था।

“उत्तरदाता द्वारा तय समय में दायित्व पूरे न करना, अनुच्छेद 5.7 के तहत विस्तार न लेना या अनुच्छेद 14 के तहत मान्य फोर्स मेज्योर दावा न करना, अनिवार्य रूप से PPA के अनुच्छेद 4.4 को लागू करता है।”

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सुप्रीम कोर्ट ने CESC के पक्ष में फैसला सुनाया और माना कि परफॉर्मेंस गारंटी का एनकैश करना अनुबंध के मुताबिक वैध था। अदालत ने स्पष्ट किया कि नियामक संस्थाएं वाणिज्यिक अनुबंधों को दोबारा लिख नहीं सकतीं और न ही तय जोखिम वितरण को बदल सकती हैं।

इसलिए, सुप्रीम कोर्ट ने 28 जनवरी 2015 के KERC के आदेश और 21 मार्च 2018 के APTEL के निर्णय को रद्द कर दिया।

केस डिटेल्स: Chamundeshwari Electricity Supply Co. Ltd. (CESC) बनाम Saisudhir Energy (Chitradurga) Pvt. Ltd. & Anr.

केस नंबर: Civil Appeal No. 6888 of 2018

जजमेंट डेट: 25 अगस्त 2025

अपीलकर्ता: Chamundeshwari Electricity Supply Company Ltd. (CESC), कर्नाटक

प्रतिवादी:

प्रतिवादी नंबर 1 - साईसुधीर एनर्जी (चित्रदुर्ग) प्रा. लिमिटेड (डेवलपर)

प्रतिवादी नंबर 2 - कर्नाटक पावर ट्रांसमिशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड (KPTCL)

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