मद्रास हाई कोर्ट ने एक एरोड स्थित कारोबारी को बड़ी राहत दी है, जिनका बैंक खाता वस्तु एवं सेवा कर (GST) विवाद के कारण फ्रीज़ कर दिया गया था। न्यायमूर्ति कृष्णन रामासामी ने 19 अगस्त 2025 को वाणिज्य कर विभाग के आदेश को रद्द करते हुए बैंक खाते को डी-फ्रीज़ करने का निर्देश दिया, बशर्ते आंशिक कर भुगतान किया जाए।
मामले की पृष्ठभूमि
याचिकाकर्ता चंद्रशेखरन, जो "सुभा अर्थ मूवर्स" के प्रोपराइटर हैं, ने अदालत का दरवाजा खटखटाया क्योंकि 2019-20 के वित्तीय वर्ष से जुड़े जीएसटी विवाद के चलते उनका एक्सिस बैंक खाता फ्रीज़ कर दिया गया था। नोटिस जीएसटी पोर्टल के माध्यम से जारी किए गए थे, लेकिन एक कंसल्टेंट की गलती के कारण असंबंधित जवाब दाखिल कर दिया गया। उसी आधार पर विभाग ने अगस्त 2024 में प्रतिकूल आदेश पारित कर दिया और बैंक खाता फ्रीज़ कर दिया गया।
Read also:- मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने बालिग महिला को अपनी पसंद के साथी के साथ रहने की अनुमति दी
अदालत ने पाया कि याचिकाकर्ता को "अयोग्य कंसल्टेंट की गलत सलाह" के कारण नुकसान हुआ। न्यायमूर्ति रामासामी ने गंभीर चिंता जताते हुए कहा,
"यह अदालत कई मामलों में देख रही है कि अयोग्य व्यक्तियों की सलाह से करदाता बिना उचित दस्तावेज़ और तर्क के अधिकारियों के सामने पेश नहीं हो पाते।"
Read also:- दशक पुराने जमीन विवाद में राजस्थान हाईकोर्ट ने बहाली के आदेश को बरकरार रखा
न्यायाधीश ने विभाग को यह भी निर्देश दिया कि एक सर्कुलर जारी कर केवल योग्य कंसल्टेंट से ही सलाह लेने की हिदायत दी जाए।
अदालत ने माना कि कारोबारी की गतिविधियां पूरी तरह ठप हो गई हैं और कई कर्मचारी बेरोजगार हो गए हैं। इस आधार पर याचिकाकर्ता को एक और मौका देने का फैसला किया गया। आदेश को इस शर्त पर रद्द किया गया कि याचिकाकर्ता चार सप्ताह के भीतर विवादित कर का 25% जमा करें। अदालत ने स्पष्ट किया कि भुगतान के बाद ही नई सुनवाई शुरू होगी।
इसके अलावा, अदालत ने कर विभाग को निर्देश दिया कि व्यक्तिगत सुनवाई से पहले कम से कम 14 दिन का स्पष्ट नोटिस दिया जाए और सभी आपत्तियों पर विचार करने के बाद कानून के अनुसार निष्पक्ष निर्णय सुनाया जाए। साथ ही, न्यायाधीश ने तुरंत बैंक खाता डी-फ्रीज़ करने का आदेश देते हुए कहा कि,
"जब आदेश ही रद्द कर दिया गया है तो बैंक खाता जब्ती जारी नहीं रह सकती।"
केस का शीर्षक: चंद्रशेखरन बनाम सहायक आयुक्त (एसटी), कोडुमुडी असेसमेंट सर्कल और अन्य
केस संख्या: W.P. No. 30638 of 2025