जबलपुर, 18 अगस्त 2025 – मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि एक बालिग महिला को यह पूर्ण अधिकार है कि वह किसके साथ और कहाँ रहना चाहती है, भले ही यह संबंध सामाजिक दृष्टि से विवादित क्यों न हो।
न्यायमूर्ति अतुल श्रीधरन और न्यायमूर्ति प्रदीप मित्तल की खंडपीठ ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर फैसला सुनाया। यह मामला एक युवती का था, जिसे कॉर्पस एक्स कहा जाता है, जो एक विवाहित व्यक्ति के साथ भाग गई थी। उसका परिवार उसे घर वापस लाना चाहता था, क्योंकि उसका तर्क था कि वह उस व्यक्ति के साथ नहीं रह सकती क्योंकि उसकी पहले से ही एक पत्नी है।
न्यायाधीशों ने साफ कहा कि एक बार जब व्यक्ति वयस्क हो जाता है तो कानून उसे व्यक्तिगत निर्णय लेने का अधिकार देता है।
"कॉर्पस एक्स बालिग है। उसके पास अपनी सोच है और यह अधिकार भी कि वह किसके साथ रहना चाहती है, सही या गलत, इसका फैसला वही करेगी," पीठ ने टिप्पणी की।
अदालत ने यह भी कहा कि यदि पुरुष विवाहित है तो भी महिला के साथ रहने से उसे रोकने वाला कोई कानून नहीं है। न्यायाधीशों ने स्पष्ट किया कि यदि दूसरा विवाह होता है तो यह केवल पहली पत्नी है जो पति और उस महिला के खिलाफ बिगैमी (द्विविवाह) का मामला दर्ज करा सकती है।
Read also:- संसद ने छह दशक पुराने कानून को बदलने के लिए आयकर अधिनियम, 2025 पारित किया
याचिकाकर्ता के वकील का तर्क था कि चूंकि पुरुष पहले से विवाहित है, इसलिए महिला को माता-पिता के पास भेजा जाना चाहिए। वहीं राज्य सरकार के वकील ने अदालत को बताया कि पुरुष अपनी पहली पत्नी से अलग हो चुका है और तलाक की प्रक्रिया शुरू कर चुका है।
न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि वयस्कों के निजी फैसलों में नैतिकता के आधार पर हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता। अदालत ने पुलिस को निर्देश दिया कि युवती को रिहा किया जाए, बशर्ते उससे यह लिखित आश्वासन लिया जाए कि वह अपनी इच्छा से उस व्यक्ति के साथ रहना चाहती है, और पुरुष से भी लिखित सहमति ली जाए कि वह उसकी संगति स्वीकार कर रहा है।
Read also:- दशक पुराने जमीन विवाद में राजस्थान हाईकोर्ट ने बहाली के आदेश को बरकरार रखा
"यह अदालत नैतिकता पर उपदेश नहीं दे सकती। चूंकि कॉर्पस ने अपने माता-पिता के साथ रहने से इंकार कर दिया है, इसलिए उसे अपनी पसंद के व्यक्ति के साथ रहने की अनुमति दी जाती है," आदेश में कहा गया।
याचिका को इसी के साथ निपटाया गया।
केस का शीर्षक:- एन बनाम मध्य प्रदेश राज्य एवं अन्य
केस संख्या: Writ Petition No. 31544 of 2025