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आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने 22 साल पुराने भूमि नीलामी विवाद में ट्रिब्यूनल का आदेश रद्द किया

Vivek G.

आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने भूमि नीलामी विवाद में 22 साल की देरी माफ करने वाले ट्रिब्यूनल आदेश को रद्द किया, अधिकार क्षेत्र और पर्याप्त कारण की कमी बताई।

आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने 22 साल पुराने भूमि नीलामी विवाद में ट्रिब्यूनल का आदेश रद्द किया

आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट, अमरावती ने राज्य सहकारी ट्रिब्यूनल के उस आदेश को खारिज कर दिया जिसमें भूमि नीलामी को चुनौती देने में 22 साल से अधिक की देरी को माफ किया गया था। न्यायमूर्ति के. श्रीनिवास रेड्डी ने बी. सावित्री और उनके बेटे की याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा कि ट्रिब्यूनल ने अपनी सीमा से बाहर जाकर मामला स्वीकार किया, जबकि याचिका नीलामी के दशकों बाद दाखिल की गई थी।

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पृष्ठभूमि

मामला अनंतपुर जिले के राप्ताडु गाँव की लगभग 5 एकड़ जमीन से जुड़ा है। यह भूमि पहले के. चंद्रयडु ने अनंतपुर जिला सहकारी केंद्रीय बैंक में गिरवी रखी थी। ऋण न चुकाने पर 1996 में बैंक ने भूमि की नीलामी की। इस नीलामी में बी. सिवा प्रसाद रेड्डी (सावित्री के पति) खरीदार बने और उन्हें बिक्री प्रमाणपत्र मिला। याचिकाकर्ताओं के अनुसार, तभी से वे भूमि पर कब्जे में रहे और सरकारी रिकॉर्ड में उनकी मालिकाना हक भी दर्ज हो गई।

कई साल बाद, चंद्रयडु के वारिसों ने 2019 में सहकारी ट्रिब्यूनल का रुख किया और नीलामी को धोखाधड़ी बताते हुए बिक्री प्रमाणपत्र रद्द करने की मांग की। उन्होंने 22 साल 7 महीने की अत्यधिक देरी माफ करने की अपील भी की, जिसे ट्रिब्यूनल ने अक्टूबर 2024 में मंजूर कर विवाद को दोबारा जिंदा कर दिया।

अदालत की टिप्पणियाँ

हाईकोर्ट ने पाया कि खुद चंद्रयडु ने 2015 में इसी भूमि से जुड़े एक अन्य मामले में दाखिल हलफनामे में इस मुद्दे को स्वीकार किया था।

न्यायमूर्ति रेड्डी ने कहा, “दूसरे प्रतिवादी को बिक्री कार्यवाही की पूरी जानकारी थी और वे संबंधित मुकदमों में भी शामिल रहे। यह दावा कि उन्हें केवल याचिका दाखिल करने से तीन महीने पहले ही पता चला, अस्वीकार्य है।”

अदालत ने यह भी रेखांकित किया कि नीलामी के बाद भूमि का कुछ हिस्सा तीसरे पक्षों को बेच दिया गया था। पीठ ने कहा, “ऐसे शीर्षक और पंजीकृत बिक्री विलेखों से जुड़े विवाद सहकारी ट्रिब्यूनल के अधिकार क्षेत्र से बाहर हैं। इनका निपटारा केवल सिविल अदालत कर सकती है।”

निर्णय

अदालत ने माना कि इतनी असामान्य देरी को माफ करने के लिए कोई “पर्याप्त कारण” प्रस्तुत नहीं किया गया। हाईकोर्ट ने ट्रिब्यूनल का आदेश निरस्त करते हुए कहा: “दिनांक 23.10.2024 का आदेश, एम.ए. नं. 84/2019, निरस्त किया जाता है। परिणामस्वरूप, विलंब माफी आवेदन खारिज किया जाता है।”

इसके साथ ही सावित्री और उनके बेटे की याचिका स्वीकार कर ली गई, जिससे परिवार को वर्षों से चल रहे नीलामी विवाद में राहत मिली।

मामले का शीर्षक: बी. सावित्री एवं अन्य बनाम आंध्र प्रदेश सहकारी न्यायाधिकरण एवं अन्य

मामला संख्या: रिट याचिका संख्या 4437/2025

निर्णय की तिथि: 4 सितंबर 2025

याचिकाकर्ता: बी. सावित्री (बी. शिव प्रसाद रेड्डी की विधवा) और उनका पुत्र

प्रतिवादी: आंध्र प्रदेश सहकारी न्यायाधिकरण, के. चंद्रयुडु के कानूनी उत्तराधिकारी, अनंतपुर सहकारी बैंक, राप्ताडु पैक्स, और अन्य

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