सुप्रीम कोर्ट ने 2 सितंबर 2025 को श्री नागानी सिल्क मिल्स प्रा. लि. बनाम एल.डी. इंडस्ट्रीज़ लि. एवं अन्य मामले में अहम फैसला सुनाते हुए, चेक बाउंस के तहत दर्ज आपराधिक शिकायतों को बहाल कर दिया।
यह मामला कई चेकों से जुड़ा था, जिनकी कुल राशि ₹1.4 करोड़ से अधिक थी। ये चेक एल.डी. इंडस्ट्रीज़ लि. ने श्री नागानी सिल्क मिल्स को माल की सप्लाई के भुगतान के लिए जारी किए थे। जब इन्हें बैंक में जमा कराया गया तो खाते में धनराशि की कमी के कारण चेक अस्वीकार हो गए। नोटिस भेजे जाने के बावजूद भुगतान नहीं हुआ, जिसके बाद शिकायतकर्ता ने धारा 138 और 141 एनआई एक्ट के तहत मामले दर्ज किए।
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प्रश्न यह था कि क्या किसी कंपनी को ‘सिक’ घोषित किए जाने और बीआईएफआर (BIFR) द्वारा उसकी संपत्तियों के लेन-देन पर रोक लगाने के बाद भी, उसके खिलाफ धारा 138 एनआई एक्ट की कार्यवाही जारी रह सकती है या नहीं।
अपीलकर्ता (श्री नागानी सिल्क मिल्स)
- Adalat Prasad बनाम Rooplal Jindal और संविधान पीठ के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि समन वापस लेने का अधिकार अदालत को नहीं है।
- बताया कि बीआईएफआर का 21.08.2000 का आदेश कंपनी को दिन-प्रतिदिन के कामकाज के लिए वर्तमान संपत्तियों का उपयोग करने की अनुमति देता था। इसलिए 2001 में जारी किए गए चेक पर रोक नहीं लगाई जा सकती।
- दलील दी कि यह तथ्यात्मक मुद्दा है और इसे सबूतों के आधार पर ट्रायल में तय किया जाना चाहिए।
“क्या बीआईएफआर के आदेश के कारण धारा 138 एनआई एक्ट की कार्यवाही रोकी जा सकती है या नहीं, यह कानून और तथ्यों का मिश्रित प्रश्न है, जिसका फैसला सबूतों के आधार पर होना चाहिए।” – अपीलकर्ता के वकील
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प्रतिवादी (एल.डी. इंडस्ट्रीज़ एवं अन्य)
- कहा कि कंपनी ‘सिक’ घोषित हो चुकी थी और संपत्ति लेन-देन पर रोक थी, इसलिए आपराधिक कार्यवाही जारी नहीं रह सकती।
- Kusum Ingots & Alloys Ltd. बनाम Pennar Peterson Securities Ltd. (2000) के फैसले पर भरोसा किया।
- अदालत ने स्पष्ट किया कि सीका (SICA) की धारा 22, धारा 138 एनआई एक्ट की आपराधिक कार्यवाही पर रोक नहीं लगाती।
- 2000 का बीआईएफआर आदेश पूर्ण प्रतिबंध नहीं था; इसमें दैनिक कामकाज के लिए धन निकालने की अनुमति थी।
- अदालत ने कुशुम इंगोट्स और Southern Steel Ltd. बनाम Jindal Vijayanagar Steel Ltd. (2008) मामलों का हवाला देते हुए कहा कि कंपनियां सीका का सहारा लेकर चेक बाउंस मामलों से बच नहीं सकतीं।
“धारा 138 एनआई एक्ट के तहत ‘सिक कंपनी’ पर शिकायत दर्ज करने पर कोई रोक नहीं है। चेक दैनिक कार्यों के लिए जारी हुआ या नहीं, यह ट्रायल में सबूतों से तय होगा।” – सुप्रीम कोर्ट
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सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट का 05.10.2023 का आदेश और रिविजनल कोर्ट का निर्णय रद्द कर दिया।
श्री नागानी सिल्क मिल्स द्वारा दायर धारा 138/141 एनआई एक्ट की शिकायतें फिर से मजिस्ट्रेट के समक्ष बहाल कर दी गईं और मजिस्ट्रेट को ट्रायल चलाने का निर्देश दिया गया।
केस का शीर्षक: श्री नागनी सिल्क मिल्स प्राइवेट लिमिटेड बनाम एल.डी. इंडस्ट्रीज लिमिटेड एवं अन्य
निर्णय की तिथि: 2 सितंबर, 2025
केस संख्या: आपराधिक अपील संख्या 3821-3827/2025 (विशेष अनुमति याचिका (आपराधिक अपील) संख्या 1550-1555/2024 और 530/2024 से उत्पन्न)