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हिमाचल हाईकोर्ट ने पंचायत चुनाव विवाद में मंडलीय आयुक्त का आदेश रद्द किया

Vivek G.

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने पंचायत चुनाव क्षेत्र निर्धारण विवाद में मंडलीय आयुक्त का आदेश रद्द किया। अदालत ने कहा कि आयुक्त ने अधिकार से बाहर जाकर आदेश दिया। शिमला के उपायुक्त को मामले का निपटारा करने का निर्देश।

हिमाचल हाईकोर्ट ने पंचायत चुनाव विवाद में मंडलीय आयुक्त का आदेश रद्द किया

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने पंचायत वार्डों के क्षेत्र निर्धारण (delimitation) से जुड़े एक मामले में शिमला के मंडलीय आयुक्त द्वारा पारित आदेश को खारिज कर दिया। न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल ने 25 अगस्त 2025 को यह फैसला सुनाया। यह मामला मनीष धर्माइक द्वारा राज्य सरकार और अन्य के खिलाफ दायर याचिका पर सुना गया।

मामला कैसे शुरू हुआ ?

यह विवाद 31 मई 2025 की अधिसूचना से शुरू हुआ, जिसे याचिकाकर्ता ने चुनौती दी थी। उन्होंने पहले शिमला के मंडलीय आयुक्त के समक्ष अपील दायर की। मंडलीय आयुक्त ने 24 जून 2025 को अपील स्वीकार कर ली और मामला दोबारा सुनवाई के लिए शिमला के उपायुक्त (Deputy Commissioner) को भेज दिया।

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लेकिन, रिमांड आदेश (remand order) के बावजूद मंडलीय आयुक्त ने उसी अपील को दोबारा उठाया और 13 अगस्त 2025 को उसे खारिज कर दिया। इसी आदेश को चुनौती देने के लिए याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

न्यायमूर्ति गोयल ने साफ कहा कि एक बार जब मंडलीय आयुक्त ने 24 जून 2025 को अपील का निपटारा कर दिया और मामले को उपायुक्त को भेज दिया, तो उनके पास दोबारा वही अपील सुनने का कोई अधिकार नहीं था

कोर्ट ने कहा:

“जब मंडलीय आयुक्त पहले ही अपील का निपटारा कर चुके थे, तो वह functus officio हो गए थे। उनके पास पहले से निपटाए गए अपील को दोबारा सुनने की कोई शक्ति नहीं थी।”

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न्यायालय ने यह भी कहा कि मंडलीय आयुक्त ने बिना पुराने आदेश को रद्द किए या किसी उच्च प्राधिकारी से आदेश रद्द कराए बिना ही दोबारा अधिकार अपने हाथ में ले लिया, जो कि स्पष्ट गलती थी।

मंडलीय आयुक्त ने 29 जुलाई 2025 के राज्य निर्वाचन आयोग के पत्र का हवाला दिया, जिसमें उन्हें “अपील का तुरंत अंतिम निपटारा करने” का निर्देश दिया गया था।

लेकिन हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि आयोग को यह जानकारी नहीं दी गई थी कि अपील पहले ही 24 जून 2025 को निपटाई जा चुकी है।

न्यायमूर्ति गोयल ने कहा कि जब तक पूर्व आदेश की समीक्षा (review) नहीं होती या उच्च प्राधिकारी द्वारा उसे रद्द नहीं किया जाता, तब तक मंडलीय आयुक्त अपने आप मामले को दोबारा नहीं खोल सकते।

रिकॉर्ड की जांच के बाद हाईकोर्ट ने याचिका स्वीकार की और 13 अगस्त 2025 का आदेश रद्द कर दिया। अदालत ने निर्देश दिया कि शिमला के उपायुक्त अब इस मामले का जल्द निपटारा करें, जैसा कि 24 जून 2025 के रिमांड आदेश में कहा गया था।

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इसके साथ ही, अदालत ने मामले से जुड़े सभी लंबित आवेदन भी निपटा दिए।

अंत में हाईकोर्ट ने उपायुक्त को यह जिम्मेदारी दी कि वह याचिकाकर्ता की चौपाल, जिला शिमला के वार्ड नंबर 13 और 14 से जुड़ी आपत्तियों पर फैसला लें।

मामले का नाम: मनीष धर्मिक बनाम हिमाचल प्रदेश राज्य एवं अन्य

मामला संख्या: सीडब्ल्यूपी संख्या 13426/2025

निर्णय की तिथि: 25 अगस्त 2025

याचिकाकर्ता: मनीष धर्मिक

प्रतिवादी: हिमाचल प्रदेश राज्य एवं अन्य

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