महाराष्ट्र पुलिस को कड़ी फटकार लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह मई 2023 के अकोला दंगों के दौरान 17 वर्षीय लड़के पर हुए हमले की जांच के लिए विशेष जांच टीम (एसआईटी) गठित करे। अदालत ने कहा कि पुलिस ने “कभी आगे कार्रवाई नहीं की” जबकि शुरुआती अस्पताल रिपोर्ट में दंगों से हुए सिर की चोटों का स्पष्ट उल्लेख था।
पृष्ठभूमि
मोहम्मद अफ़ज़ल मोहम्मद शरीफ, जो उस समय नाबालिग थे, 13 मई 2023 की रात देर से घर लौटते समय हमले का शिकार हुए। उस दिन अकोला में सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर दंगे भड़क गए थे। अफ़ज़ल ने अदालत को बताया कि चार अज्ञात लोग पहले एक ऑटो रिक्शा चालक विलास महादेव राव गायकवाड़ की हत्या कर रहे थे, जिन्हें उन्होंने मुस्लिम समझ लिया था, और फिर लोहे की छड़ व तलवार से उन पर हमला किया। अफ़ज़ल के सिर में गंभीर चोट आई और उन्हें आइकॉन मल्टीस्पेशियलिटी अस्पताल में टांके लगाने पड़े।
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अफ़ज़ल के परिवार का कहना है कि पुलिस ने अस्पताल में उनका बयान दर्ज किया लेकिन प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) कभी दर्ज नहीं की। कई हफ्तों बाद, 1 जून 2023 को पुलिस अधीक्षक को लिखित शिकायत देने के बावजूद हमले के लिए अलग मामला दर्ज नहीं हुआ। गायकवाड़ की हत्या पर तो चार्जशीट दायर की गई, लेकिन अफ़ज़ल को जांच में शामिल नहीं किया गया।
न्यायमूर्ति संजय कुमार और सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने आश्चर्य जताया कि राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों ने, पुलिस अधीक्षक पर लगे आरोपों के बावजूद, हलफनामा दायर करने का काम स्थानीय इंस्पेक्टर पर छोड़ दिया। अदालत ने कहा, “एक बार जब पुलिस स्टेशन को हमले से जुड़े मेडिको-लीगल केस की जानकारी मिल गई, तो एफआईआर दर्ज करने का कर्तव्य उन पर था,” और दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 154 का हवाला दिया।
जजों ने बॉम्बे हाईकोर्ट के इस निष्कर्ष को खारिज किया कि अफ़ज़ल या उनके परिजन को पुलिस को कार्रवाई के लिए मजबूर करना चाहिए था। पीठ ने टिप्पणी की, “पुलिस बल के सदस्य अपने व्यक्तिगत पूर्वाग्रह और झुकाव छोड़ें… दुर्भाग्य से, इस मामले में ऐसा नहीं हुआ।”
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फैसला
अफ़ज़ल की अपील स्वीकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के गृह सचिव को निर्देश दिया कि वे वरिष्ठ हिंदू और मुस्लिम अधिकारियों वाली एसआईटी गठित करें। यह टीम हमले पर नई एफआईआर दर्ज करे, सभी आरोपों की जांच करे और तीन महीने में रिपोर्ट पेश करे। अदालत ने कर्तव्य में चूक करने वाले अधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई और पुलिस बल को अनिवार्य एफआईआर दर्ज करने के लिए संवेदनशील बनाने के भी आदेश दिए।
मामला: मोहम्मद अफ़ज़ल मोहम्मद शरीफ़ बनाम महाराष्ट्र राज्य एवं अन्य, भारत का सर्वोच्च न्यायालय, आपराधिक अपील (विशेष अनुमति याचिका आपराधिक संख्या 8494/2025)
घटना तिथि: 13 मई 2023, महाराष्ट्र के अकोला में सांप्रदायिक दंगों के दौरान।