सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में स्पष्ट कर दिया है कि अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के वे उम्मीदवार, जिन्होंने आयु या शारीरिक मानकों में छूट ली है, वे रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स (RPF) की भर्ती में सामान्य श्रेणी की सीटों पर दावा नहीं कर सकते, भले ही उनके अंक सामान्य उम्मीदवारों से ज्यादा क्यों न हों।
पृष्ठभूमि
यह मामला दिसंबर 2013 में जारी एक रोजगार अधिसूचना से जुड़ा है, जिसमें आरपीएफ की सहायक सेवाओं के लिए 763 पद निकाले गए थे, जैसे जल वाहक (Water Carrier), दर्जी (Tailor), मोची (Cobbler) और अन्य RAILWAY PROTECTION FORCE & ORS। इस भर्ती में आरक्षित वर्गों के लिए आयु और शारीरिक मानकों में छूट दी गई थी। विवाद तब खड़ा हुआ जब कुछ उम्मीदवार, जिन्होंने यह छूट ली थी, लेकिन लिखित परीक्षा में अधिक अंक प्राप्त किए, उन्होंने सामान्य श्रेणी की सीटों पर नियुक्ति की मांग की।
गुवाहाटी हाईकोर्ट ने पहले आरपीएफ को निर्देश दिया था कि ऐसे उम्मीदवारों को सामान्य श्रेणी की रिक्त सीटों पर नियुक्त किया जाए। इसका आधार एक पुराना स्थायी आदेश (Standing Order No. 78, 2008) था, जिसमें कहा गया था कि यदि आरक्षित वर्ग का उम्मीदवार अधिक अंक लाता है तो उसे सामान्य श्रेणी में शामिल किया जा सकता है।
अदालत की टिप्पणियाँ
सुप्रीम कोर्ट की पीठ, जिसमें जस्टिस जॉयमल्या बागची शामिल थे, ने दो परस्पर विरोधी आदेशों पर गौर किया-स्टैंडिंग ऑर्डर नंबर 78 (2008), जो ऐसे माइग्रेशन की अनुमति देता था, और स्टैंडिंग ऑर्डर नंबर 85 (2009), जो छूट लेने वाले उम्मीदवारों को सामान्य श्रेणी में शामिल करने से रोकता था।
पीठ ने कहा: “स्टैंडिंग ऑर्डर नंबर 78 में आंशिक संशोधन स्टैंडिंग ऑर्डर नंबर 85 से हुआ है, और इसका प्रभाव यह है कि आयु या शारीरिक छूट लेने वाले आरक्षित उम्मीदवारों के सामान्य श्रेणी में जाने पर रोक है।”
अदालत ने यह भी नोट किया कि कुछ याचिकाकर्ता व्यापार परीक्षण (Trade Test) या सामान्य श्रेणी की कट-ऑफ ही पार नहीं कर पाए थे। हाईकोर्ट ने इन तथ्यों को नज़रअंदाज़ कर दिया और केवल पुराने फैसलों पर निर्भर किया।
निर्णय
हाईकोर्ट का आदेश निरस्त करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि जो आरक्षित उम्मीदवार छूट का लाभ लेकर आए हैं, उन्हें सामान्य श्रेणी में नहीं रखा जा सकता, चाहे उनके अंक अधिक ही क्यों न हों। इस प्रकार आरपीएफ की अपील स्वीकार कर ली गई और हाईकोर्ट के निर्देश को खारिज कर दिया गया।
मामला: रेलवे सुरक्षा बल एवं अन्य बनाम प्रेम चंद कुमार एवं अन्य
निर्णय की तिथि: 9 सितंबर 2025