प्रयागराज, सितंबर 2025- कांग्रेस सांसद और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है। उन्होंने वाराणसी की एमपी-एमएलए कोर्ट द्वारा उस मजिस्ट्रेट को फिर से सुनवाई करने का आदेश देने को चुनौती दी है, जिसमें उनके सिख समुदाय पर कथित बयान को लेकर एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई थी।
यह याचिका वाराणसी निवासी नागेश्वर मिश्रा ने दायर की थी। नवंबर 2024 में, एसीजेएम (अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट) कोर्ट ने एफआईआर दर्ज कराने की अर्जी यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि भारत के बाहर दिए गए भाषण पर उसका क्षेत्राधिकार नहीं बनता।
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हालांकि, जुलाई 2025 में एमपी-एमएलए कोर्ट ने इस फैसले को पलटते हुए मजिस्ट्रेट को यह मामला दोबारा सुनने और सुप्रीम कोर्ट की मिसालों को ध्यान में रखते हुए नया आदेश पारित करने को कहा।
राहुल गांधी की कानूनी टीम, जिसका नेतृत्व वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल चतुर्वेदी कर रहे हैं, का कहना है कि वाराणसी कोर्ट का आदेश “ग़लत, अवैध और अधिकार क्षेत्र से बाहर” है। उन्होंने हाईकोर्ट से इस आदेश पर रोक लगाने की भी मांग की है।
कोर्ट में चतुर्वेदी ने ज़ोर देते हुए कहा:
“मेरे इस कथन से पहले क्या कहा, बाद में क्या कहा, यह नहीं बताया गया... केवल 25 शब्दों के आधार पर ‘मन्स रिया’ नहीं देखा जा सकता... जब तक पूरी स्पीच अदालत के सामने नहीं होगी, तब तक मंशा तय नहीं की जा सकती।”
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वहीं उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता मनीष गोयल ने तर्क दिया कि मजिस्ट्रेट को स्वतंत्र रूप से यह तय करने का अधिकार है कि क्या कोई प्राथमिकी दर्ज करने योग्य अपराध बनता है। उन्होंने आगे कहा:
“वह नेता प्रतिपक्ष हैं। विपक्ष की आवाज़ वही हैं। अल्पसंख्यकों के अधिकारों को लेकर विपक्ष का जो नज़रिया है, वही वो विदेश में भी प्रस्तुत कर रहे हैं।”
जस्टिस समीर जैन ने 3 सितंबर 2025 को दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं और फ़ैसला सुरक्षित रख लिया। यह उम्मीद की जा रही है कि मजिस्ट्रेट हाईकोर्ट के फ़ैसले तक कोई अगली कार्रवाई नहीं करेगा।
मामला: राहुल गांधी बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और अन्य
याचिकाकर्ता: राहुल गांधी (नेता विपक्ष, लोकसभा)
प्रतिवादी: उत्तर प्रदेश राज्य, नागेश्वर मिश्रा (शिकायतकर्ता)