मामला पूर्व कॉन्स्टेबल सतपाल सिंह से जुड़ा है, जिन्हें 1989 में पंजाब आर्म्ड फोर्स में नियुक्त किया गया और बाद में पटियाला स्थित कमांडो बटालियन में स्थानांतरित किया गया। 1994 में उन्होंने एक दिन की छुट्टी ली लेकिन वापस नहीं लौटे और 4 अप्रैल 1994 से 12 मई 1994 तक (37 दिन) अनुपस्थित रहे।
इस पर उनके खिलाफ विभागीय जांच शुरू की गई। गवाहों को जिरह का अवसर और बचाव का मौका दिया गया, लेकिन उन्होंने इसका उपयोग नहीं किया। इसके बाद शो-कॉज नोटिस जारी किया गया, मगर उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। अंततः 3 मई 1996 को अनुशासनिक प्राधिकारी ने उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया।
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- सिंह की अपील और पुनरीक्षण पुलिस विभाग में खारिज हो गई।
- उनकी सिविल वाद 2003 में ट्रायल कोर्ट ने खारिज की, और 2004 में जिला न्यायाधीश ने भी इसे बरकरार रखा।
- लेकिन 2010 में पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट ने बर्खास्तगी रद्द कर दी और कहा कि यह पंजाब पुलिस नियम, 1934 के नियम 16.2 का उल्लंघन है, क्योंकि बिना सूचना पुराने आचरण को ध्यान में रखा गया।
इसके खिलाफ पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
हाईकोर्ट ने स्टेट ऑफ मैसूर बनाम के. मंचे गौड़ा (1964) के फैसले पर भरोसा करते हुए कहा:
“दंडाधिकारी ने बर्खास्तगी के समय कॉन्स्टेबल के पिछले रिकॉर्ड को ध्यान में रखा, लेकिन इसे शो-कॉज नोटिस में जाहिर नहीं किया। यह उसे बिना सुने दोषी ठहराने के समान है।”
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हाईकोर्ट ने बर्खास्तगी को अवैध घोषित किया, लेकिन चूंकि सिंह ने पहले ही बकाया वेतन के दावे को छोड़ दिया था, इसलिए उसे वेतन नहीं दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट से असहमति जताई और बर्खास्तगी को बहाल कर दिया।
- गंभीरतम दुराचार: “कम समय में बार-बार की अनधिकृत अनुपस्थिति गंभीर अनुशासनहीनता है। नियम 16.2(1) के तहत एक भी गंभीरतम दुराचार बर्खास्तगी के लिए पर्याप्त है।”
- पुराने रिकॉर्ड का संदर्भ घातक नहीं: अदालत ने कहा कि पिछले अनुपस्थिति का उल्लेख करने का अर्थ यह नहीं है कि बर्खास्तगी का आधार वही था। यह केवल सजा को मजबूत करने के लिए जोड़ा गया था।
- नियम 16.2(1) की व्याख्या: सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि नियम 16.2(1) का पहला हिस्सा गंभीरतम दुराचार से जुड़ा है, जिसमें सेवा अवधि या पेंशन पर विचार करना आवश्यक नहीं है। जबकि दूसरा हिस्सा केवल छोटे-छोटे दुराचारों की निरंतरता पर लागू होता है।
सुप्रीम कोर्ट ने 29 अगस्त 2025 को पंजाब सरकार की अपील स्वीकार कर ली और हाईकोर्ट का आदेश रद्द कर दिया।
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“बर्खास्तगी गंभीरतम दुराचार पर आधारित थी और अनुशासनिक प्राधिकारी ने नियमों व प्राकृतिक न्याय का पालन किया। हाईकोर्ट ने नियम 16.2 की गलत व्याख्या की।”
दोनों पक्षों को अपने-अपने खर्च वहन करने के लिए कहा गया।
केस: पंजाब राज्य एवं अन्य बनाम पूर्व कांस्टेबल सतपाल सिंह
निर्णय तिथि: 29 अगस्त 2025
केस संख्या: सिविल अपील संख्या 312/2012