कर्नाटक हाईकोर्ट ने 28 अगस्त 2025 को एक जनहित याचिका (PIL) को खारिज कर दिया जिसमें महात्मा गांधी की आत्मकथा सत्य के साथ मेरे प्रयोग के कथित दूसरे खंड की मौजूदगी पर सवाल उठाया गया था।
यह याचिका संगठन जाग्रुत कर्नाटक, जाग्रुत भारत की ओर से उसके अध्यक्ष के.एन. मंजीनाथ द्वारा दायर की गई थी, जिन्होंने स्वयं अदालत में पक्ष रखा। इस याचिका में विपक्ष के नेता राहुल गांधी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला और अन्य अधिकारियों के खिलाफ निर्देश जारी करने की मांग की गई थी ताकि यह स्पष्ट हो सके कि दूसरा खंड मौजूद है या नहीं।
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मंजीनाथ का दावा था कि गांधी की आत्मकथा का कथित दूसरा खंड 1926 से 1947 के बीच का भारतीय इतिहास दर्शाता है। उन्होंने कहा कि उन्होंने राष्ट्र को “प्रकाशित करने” के उद्देश्य से कई नेताओं और संस्थाओं को पत्र लिखे, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। इसके अलावा उन्होंने 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता दिवस समारोह में महात्मा गांधी की तस्वीर प्रस्तुत करने का अंतरिम निर्देश भी मांगा था।
मुख्य न्यायाधीश विभु बखरू और न्यायमूर्ति सी.एम. जोशी की खंडपीठ ने इस याचिका को खारिज कर दिया। अदालत ने कहा–
“याचिकाकर्ता के अनुसार इतिहास में कुछ अंतराल हैं जिनका उत्तर दिया जाना चाहिए। स्पष्ट है कि इस संबंध में कोई आदेश जारी नहीं किया जा सकता। यदि याचिकाकर्ता ऐतिहासिक शोध का शैक्षणिक कार्य करना चाहते हैं तो इसमें कोई बाधा नहीं है।”
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अदालत ने आगे कहा कि आत्मकथा के दूसरे खंड को प्राप्त करने की प्रार्थना “अस्पष्ट” है और ऐसा कोई राहत आदेश नहीं दिया जा सकता। इसके साथ ही याचिका खारिज कर दी गई।
मामले का शीर्षक: जाग्रुत कर्नाटक जाग्रुत भारत बनाम द सेक्रेटरी एंड अदर्स
मामला संख्या: WP 33695/2025