सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को हरियाणा के करनाल में 40 से अधिक पेड़ काटे जाने की खबरों पर कड़ी आपत्ति जताई, जो कथित तौर पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के स्थानीय कार्यालय तक सीधा रास्ता बनाने के लिए काटे गए थे। न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने कई राज्य एजेंसियों को नोटिस जारी किए और स्थल पर आगे किसी भी विकास कार्य पर “यथास्थिति” बनाए रखने का आदेश दिया।
पीठ ने टिप्पणी की, “विकास के नाम पर पेड़ों की कटाई को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता,” यह कहते हुए कि शहरी विकास परियोजनाओं में पर्यावरण की अनदेखी एक “चिंताजनक प्रवृत्ति” बन गई है।
पृष्ठभूमि
विवाद तब शुरू हुआ जब सेवानिवृत्त सेना अधिकारी कर्नल देविंदर सिंह राजपूत ने हरियाणा सरकार के उस फैसले को चुनौती दी जिसमें करनाल के सेक्टर-9 में ग्रीन बेल्ट से होकर सड़क निकालने का निर्णय लिया गया था। उनका आरोप था कि दो आवासीय भूखंडों के बीच की जमीन भाजपा को कार्यालय बनाने के लिए आवंटित की गई और अधिकारियों ने बिना किसी सार्वजनिक परामर्श या ठोस कारण के ग्रीन जोन का एक बड़ा हिस्सा साफ कर दिया।
इससे पहले पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने राजपूत की याचिका खारिज कर दी थी, यह कहते हुए कि भूमि आवंटन उचित प्रक्रिया के तहत किया गया था और आवश्यक स्वीकृतियां प्राप्त की गई थीं। उच्च न्यायालय ने राज्य की उस दलील को स्वीकार किया था कि यह सड़क जीटी रोड पर यातायात जाम कम करने के लिए आवश्यक थी।
हालांकि, याचिकाकर्ता का कहना था कि “ट्रैफिक का बहाना” केवल एक दिखावा है और 40 से अधिक पेड़ केवल राजनीतिक सुविधा के लिए काटे गए। उन्होंने दावा किया कि यह तथाकथित विकास पर्यावरणीय दिशा-निर्देशों और निवासियों के स्वच्छ और शांतिपूर्ण वातावरण के अधिकारों का उल्लंघन करता है।
अदालत की टिप्पणियां
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की पीठ अब तक दी गई सफाई से स्पष्ट रूप से असंतुष्ट दिखाई दी। न्यायमूर्ति पारदीवाला ने कहा, “हम यह जानना चाहते हैं कि किन परिस्थितियों में ये पेड़ काटे गए। और उन पेड़ों का क्या किया गया जो काटे गए? विकास का मतलब जन हरियाली का विनाश नहीं हो सकता।”
अदालत ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि वह स्थल पर किसी भी आगे के काम को बर्दाश्त नहीं करेगी। पीठ ने चेतावनी दी, “यदि अब से कोई भी आगे विकास कार्य किया गया तो हम इस मामले को बहुत गंभीरता से लेंगे।”
न्यायाधीशों ने यह सवाल भी उठाया कि हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (HSVP) जो शहरी नियोजन के लिए जिम्मेदार है, ने स्वतंत्र रूप से काम किया या किसी बाहरी दबाव में। जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए, पीठ ने HSVP के मुख्य प्रशासक को सभी रिकॉर्ड के साथ व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित होने का निर्देश दिया।
नोटिस हरियाणा वन विभाग, करनाल नगर निगम और भाजपा को भी जारी किए गए हैं, उनसे विस्तृत जवाब मांगा गया है।
निर्णय
सुनवाई समाप्त करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि भाजपा कार्यालय के पास विवादित ग्रीन बेल्ट क्षेत्र में कोई भी नया निर्माण या सड़क का कार्य अगले आदेश तक नहीं होगा। पीठ के “यथास्थिति” बनाए रखने के आदेश से फिलहाल उस क्षेत्र में किसी भी गतिविधि पर रोक लग गई है।
पीठ ने आदेश दिया, “मुख्य प्रशासक संपूर्ण रिकॉर्ड के साथ व्यक्तिगत रूप से इस न्यायालय के समक्ष उपस्थित होंगे,” यह स्पष्ट करते हुए कि अदालत केवल विभागों को नहीं बल्कि जिम्मेदार अधिकारियों को भी जवाबदेह ठहराना चाहती है।
फिलहाल, सर्वोच्च न्यायालय के हस्तक्षेप से करनाल की वह हरियाली बची हुई है जो अभी तक काटी नहीं गई थी। आगे इसका भविष्य इस बात पर निर्भर करेगा कि राज्य अधिकारी अगली सुनवाई में क्या खुलासा करते हैं।
Case: Col. Davinder Singh Rajput v. State of Haryana & Ors.
Case Type: Special Leave Petition (Civil) Diary No. 46157/2025
Petitioner’s Claim: Authorities unlawfully carved a road through a green belt for political convenience, violating environmental norms and residents’ rights.
Respondents: State of Haryana, Haryana Shehri Vikas Pradhikaran (HSVP), Department of Forest, Karnal Municipal Corporation, and Bharatiya Janata Party (BJP).
Next Hearing Date: November 26, 2025.