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दहेज हत्या मामले में ससुर की सजा बहाल: सुप्रीम कोर्ट ने कहा - “करंट से मौत की कहानी गढ़ी गई थी”

Vivek G.

सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश दहेज हत्या मामले में ससुर जनवेद सिंह की सजा बहाल की, कहा - करंट से मौत की कहानी झूठी थी।

दहेज हत्या मामले में ससुर की सजा बहाल: सुप्रीम कोर्ट ने कहा - “करंट से मौत की कहानी गढ़ी गई थी”

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (14 अक्टूबर 2025) को एक अहम फैसले में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा दिए गए बरी के आदेश को रद्द करते हुए दहेज हत्या के एक मामले में ससुर जनवेद सिंह की सजा बहाल कर दी। जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस आलोक अराधे की पीठ ने ट्रायल कोर्ट का फैसला बहाल करते हुए कहा कि “करंट लगने” की कहानी महज़ एक झूठा मुखौटा थी, असल में यह गला घोंटकर हत्या का मामला था।

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जस्टिस अराधे ने फैसले की शुरुआत इन शब्दों से की - “कानून अक्सर घरों में जश्न देखने नहीं, बल्कि दुःख का परदा उठाने जाता है।”

पृष्ठभूमि

यह मामला मध्य प्रदेश के गोर्मी कस्बे का है, जहां पुष्पा नामक युवती की शादी महेश सिंह से हुई थी। शादी के बाद उसका जीवन दहेज की मांग और प्रताड़ना से भर गया।

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31 दिसंबर 1997 को जनवेद सिंह, जो उसका ससुर था, ने पुलिस में रिपोर्ट दी कि पुष्पा की मौत कपड़े इस्त्री करते समय करंट लगने से हुई। मगर जांच के दौरान पुलिस को कई असंगतियां मिलीं - शव पर जलने के निशान मृत्यु के बाद के थे और पोस्टमार्टम रिपोर्ट में यह स्पष्ट हुआ कि मौत गला घोंटने से हुई थी।

ट्रायल कोर्ट ने वर्ष 2000 में महेश सिंह (पति) और जनवेद सिंह (ससुर) को दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई। लेकिन 2010 में हाईकोर्ट ने सबूतों की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हुए दोनों को बरी कर दिया।

मध्य प्रदेश सरकार ने इस बरी के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। हालांकि, महेश सिंह की सजा पहले ही खत्म हो चुकी थी, इसलिए अपील केवल जनवेद सिंह तक सीमित रही।

न्यायालय के अवलोकन

सुप्रीम कोर्ट ने सबूतों की बारीकी से समीक्षा की और कहा कि हाईकोर्ट ने “महत्वपूर्ण प्रमाणों को पूरी तरह नज़रअंदाज़” कर दिया था।

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डॉ. देवेंद्र खरे की मेडिकल रिपोर्ट में पुष्पा के गले पर रस्सी के निशान पाए गए, जिससे यह साबित हुआ कि उसकी मौत गला घोंटने से हुई थी। कोर्ट ने कहा, “करंट लगने की कहानी पूरी तरह से गढ़ी गई थी।”

पीठ ने कहा - “आरोपी का यह कहना कि वह खेत से लौटने पर मृत शरीर पाया, किसी स्वतंत्र गवाह से पुष्ट नहीं होता।” न किसी पड़ोसी ने और न ही खेत के किसी कर्मचारी ने इस दावे की पुष्टि की।

जस्टिस अराधे ने आगे कहा कि जनवेद सिंह द्वारा झूठी रिपोर्ट दर्ज कराना “परिस्थितियों की उस श्रृंखला में एक अतिरिक्त कड़ी” है, जो उसकी दोष सिद्धि की ओर इशारा करती है। पीठ ने यह भी दोहराया कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 106 के तहत, जब कोई मौत आरोपी के घर के भीतर होती है, तो यह उसका दायित्व बनता है कि वह स्पष्ट करे कि घटना कैसे घटी।

यहाँ, जनवेद सिंह “इस दायित्व को निभाने में बुरी तरह असफल रहा।”

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निर्णय

सुप्रीम कोर्ट ने माना कि हाईकोर्ट का फैसला “गंभीर त्रुटियों” से भरा था और ट्रायल कोर्ट का निर्णय ही सही था।

पीठ ने कहा - “अभियोजन पक्ष ने संदेह से परे यह सिद्ध कर दिया है कि जनवेद सिंह ने पुष्पा की गला घोंटकर हत्या की और जांच को गुमराह करने के लिए करंट लगने की झूठी कहानी गढ़ी।”

अदालत ने आदेश दिया कि जनवेद सिंह को तुरंत हिरासत में लेकर उसकी बाकी उम्रकैद की सजा पूरी कराई जाए। इस प्रकार, लगभग 28 साल बाद न्याय को पुनः बहाल किया गया।

Case: State of Madhya Pradesh vs. Janved Singh

Citation: 2025 INSC 1229

Case Type: Criminal Appeal No. 460 of 2014

Date of Judgment: October 14, 2025

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